यहां तो लग्जरी गाडि़यों का रेला है
- प्राइमरी स्कूलों की हालत डराएगी
- अफसर, नेता सबको भा रहे कॉन्वेंट GORAKHPUR: प्राथमिक स्कूलों की हालत देखकर कोई अपने बच्चे को वहां पढ़ाना नहीं चाहेगा। कॉन्वेंट स्कूलों की चमक बच्चों के साथ- साथ गार्जियन को भी अपनी ओर खींच लाती है। सुबह सवेरे लग्जरी गाडि़यां बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती हैं। गार्जियन अपने बच्चों को सजा सवार कर स्कूल भेजते हैं। ऐसे में जिम्मेदारों के सामने एक बड़ी चुनौती है कि आखिर बदहाली को कैसे दूर करेंगे। आई नेक्स्ट की पड़ताल में सामने आया कि प्राइमरी स्कूलों की खस्ता हालत के पीछे गैर जिम्मेदारी है। इसके लिए अफसरों के साथ-साथ सोसायटी के हर वर्ग को आगे आना होगा। लग्जरी गाडि़यों का रेला, चहकते पहुंच रहे स्कूलकॉन्वेंट स्कूलों की चमक-दमक गार्जियन को आकर्षित करती है। वह अपने बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए लालायित रहते हैं। रोजाना सुबह स्कूलों के सामने लग्जरी गाडि़यों का रेला लगा रहता है। गवर्नमेंट अफसरों की गाडि़यों से उनके बच्चे स्कूल आते-जाते हैं। सिटी के सिविल लाइंस, मोगलहा, राजेंद्र नगर, असुरन सहित कई जगहों पर खुले कॉन्वेंट स्कूलों के सामने ऐसे व्हीकल का तांता लगा रहता है।
यहां टीचर की जिम्मेदारी, वहां गार्जियन जिम्मेदारप्राइमरी स्कूलों और कॉन्वेंट के बीच जमीन आसमान का फासला है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जहां प्राइमरी स्कूलों में बच्चे एजुकेशन हासिल कर रहे हैं, वहीं कॉन्वेंट स्कूलों में आम आदमी भी अपने बच्चों का एडमिशन कराना चाहता है। प्राइमरी स्कूल में जहां सारी जिम्मेदारी टीचर्स को मढ़ दी गई है। वहीं खराब परफॉर्मेंस होने पर कॉन्वेंट स्कूलों में गार्जियन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। ऐसे में गार्जियन भी काफी सतर्क रहते हैं। वह बच्चों को होम ट्यूशन से लेकर क्लास वर्क के लिए तैयार करते हैं। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गार्जियन के पास इतनी फुर्सत नहीं कि वह स्कूल जा सके। रोजी-रोटी कमाने में बिजी गार्जियन कभी-कभार स्कूल पहुंचते हैं।
प्राइमरी स्कूल के बच्चों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। स्कूलों की दशा सुधारने को लेकर गंभीरता से पहल नहीं होती। इस वजह से प्राइमरी स्कूलों की दशा सुधारने में प्रॉब्लम आ रही है। बजरंगी लाल, टीचर प्राइमरी स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूल के बराबर लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। इसके लिए सबसे पहले सोच बदलने की जरूरत है। किशोर कुमार, टीचर प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने की कोशिश हो रही है। सरकारी स्कूलों के संसाधन सीमित है। इस वजह से यह प्रॉब्लम सामने आ रही है।ओम प्रकाश यादव, बीएसए