करोड़ों उड़ा दिए धुएं के छल्ले में
- टोबैको को हर मर्ज का इलाज बताते हैं एडिक्ट
- यूथ के बीच चढ़ रहा क्रेज, मार्केट में बढ़ रहा टोबैको का बिजनेसGORAKHPUR : 'हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया'। यह लाइन वैसे तो एक फिल्म के गाने की हैं, मगर गोरखपुर के यूथ और टीनएजर ने उसे लाइफ का फंडा मान लिया है। कभी टेंशन के नाम पर तो कभी समाज में स्टेट्स के नाम पर वे इसकी जकड़ में फंसते जा रहे हैं। गोरखपुर की पॉपुलेशन के करीब भ् परसेंट लोग नशे के लती हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर ने टोबैको का यूज सिर्फ शौक को पूरा करने और स्ट्रेस को भगाने के लिए किया था, मगर धीरे-धीरे टोबैको उनकी लत बन चुका है। टोबैको ने किस कदर लोगों को अपना लती बनाया है, इसका अंदाजा बढ़ते बिजनेस को देख कर लगाया जा सकता है। गोरखपुर में टोबैको का बिजनेस करीब ख्क् करोड़ रुपए पर मंथ से अधिक है। टोबैको के बढ़ता रेट और बनते अनेक नियम भी इसे लोगों से दूर न कर सका।
क्ख् करोड़ का धुआंगोरखपुर की पॉपुलेशन करीब ब्भ् लाख है। गोरखपुर में अभी मेट्रो कल्चर पूरी तरह हावी नहीं है फिर भी व्यापारियों की मानें तो करीब एक लाख लोग स्मोकिंग करते होंगे। एक शख्स अगर डेली भ् टाइम स्मोक करता है तो शहर में मंथली क्ख् करोड़ का धुआं उड़ जाता है। सिर्फ सिगरेट नहीं, बल्कि गुटखा का बिजनेस भी दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। कई बार रेट बढ़ने और सरकार के रोक लगाने के बावजूद गुटखा का बिजनेस गोरखपुर में मंथली करीब 9 करोड़ रुपए से अधिक का होता है। इसी तरह बीड़ी और टोबैको का बिजनेस भी लगातार इनक्रीज कर रहा है।
हर कदम पर है नशे की दुकान भगवान को चढ़ाने के लिए दो फूल खरीदने को शायद आपको कई सौ मीटर चलना पड़े, लेकिन टोबैको खरीदने के लिए बस आपको दो कदम ही चलना पड़ेगा। शहर के हर गली-मोहल्ले और हर चौराहे और नुक्कड़ पर नशे की दुकान सजी मिल जाएगी। इन दुकानों पर किसी तरह का पाबंदी भी नहीं होती है। सिगरेट या गुटखा खरीदने वाला बालिग है या नाबालिग, यह भी देखना दुकानदार जरूरी नहीं समझता। उसे तो सिर्फ अपनी कमाई से मतलब होता है। पुलिस या प्रशासन भी ऐसी दुकानों पर रोक नहीं लगाता जबकि अधिकांश दुकानें अवैध होती हैं। शौक से बन जाता है आदतटोबैको का यूज अधिकांश लोग सिर्फ शौक में करते हैं, मगर वह कब आदत में बदल जाता है, किसी को पता नहीं चलता। गोरखपुर में टोबैको और बीड़ी का यूज करने वाले अधिक ओल्ड एजग्रुप के लोग हैं। जबकि सिगरेट और गुटखा यूथ का स्टेट्स सिंबल है। वे अपनी हर खुशी और हर गम में इसका सहारा लेते हैं। यूथ के ब्रेन में टोबैको इस कदर घर कर जाता है कि वे अपना स्ट्रेस भी धुआं उड़ा कर कम करते हैं और जीत का जश्न भी धुएं के साथ मनाते हैं।
ऐसे तो और बढ़ेगा टोबैको को कम करने के लिए सरकार अनेक प्रयास कर रही है। फिर चाहे पब्लिक प्लेस पर जुर्माना कर या फिर गुटखा और सिगरेट की डिब्बी पर वार्निग को बड़ा कर, मगर रिजल्ट जीरो है। इस बारे में साइक्रेएटिस्ट डॉ। सीपी मल्ल ने बताया कि स्मोकिंग या गुटखा खाने वाले कोई बच्चे नहीं हैं, जिन्हें वार्निग दिखा कर डराया जा सके। सरकार रोकने के लिए जितने प्रयास कर रही है, यूथ के बीच उसका क्रेज उतना ही अधिक बढ़ रहा है। ये ब्रेन का केमिकल लोचा होता है कि जिस चीज को रोकोगे, वह वही करेगा। कुछ यूं चलता है बाजार सिगरेट - क्ख् करोड़ रुपए बीड़ी - क्0 लाख रुपएगुटखा - 9 करोड़ रुपए
टोबैको - क्0 लाख रुपए
(ये आंकड़े लगभग पर मंथ के है.) बाक्स क्या हो सकता है ख्क् करोड़ से? - पर इयर ब्8 हजार बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कर सकते है। - ख्भ् हजार लोगों का एक साल तक पेट भर सकता है। टोबैको का बिजनेस लगातार बढ़ रहा है। सरकार ने जब रेट बढ़ाए थे तो उम्मीद थी कि मार्केट डाउन होगा, मगर रेट बढ़ने के साथ ही मार्केट भी उतनी तेजी से बढ़ा। प्रकाश, शॉपकीपर सिगरेट और गुटखा अब यूथ के बीच स्टेटस सिंबल हो गया है। तभी इसका बिजनेस दिन बीतने के साथ लगातार बढ़ रहा है। सरकार ने जितनी तेजी से कानून बनाए, बिजनेस भी उतनी तेजी से बढ़ा है। हर साल बिजनेस का ग्राफ चढ़ता चला जा रहा है। अभिषेक, बिजनेसमैन