-एक घर में रोजाना 10 से 12 पॉलीथिन बैग पहुंच रहे

-सालाना तकरीबन 24 केजी पॉलीथिन का एक घर में हो रहा है

इस्तेमाल

-पन्नी में मौजूद केमिकल से स्वास्थ्य को हो रहा नुकसान

-कैंसर के साथ ही हारमोनल चेंजेज की हो रही प्रॉब्लम

-वाटर बॉटल्स के यूज से भी साइंटिस्ट दे रहे बचने की सलाह

GORAKHPUR : सुबह से शाम तक पॉलीथिन का यूज धड़ल्ले से किया जा रहा है। साथ ही, अनजाने में ही हम अपने और अपने पड़ोसियों के स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। उधर, प्रकृति को तो हानि हो ही रही है। रोजाना औसतन दस से बारह पॉलीथिन बैग किसी न किसी रूप में घर-घर पहुंच रहा है। पर्यावरणविद की मानें तो हर साल पॉलीथिन का बेजां इस्तेमाल ख्0 किमी का दायरा बंजर कर रहा है। वहीं, साइंटिस्ट्स कहते हैं कि इससे कई प्रकार के कैंसर के अलावा हार्मोनल चेंजेस भी हो रहे हैं।

पर्यावरण पर 'प्रहार'

पर्यावरणविद अनूप मिश्रा के अनुसार एक घर में रोजाना दस से क्ख् पॉलीथिन पैक पहुंच रहे है तो महीने में फ्म्0 पॉलीबैग हो गए। ऐसे में एक आकलन किया जाए तो एक घर में हर महीने

लगभग दो किलो पॉलीथिन पहुंच रही है। दो किलो पॉलीथिन एक महीने में तो सालभर में ख्ब् किलो पॉलीथिन यूज की जा रही है। अब इस बात का अंदाजा लगाइये कि शहर में एक फैमिली तो है नहीं। अंदाजा ख्भ् लाख से अधिक फै मिलीज यहां मौजूद हैं। ऐसे में लगभग 7 करोड़ केजी पॉलीथिन हर साल निकल रही है। इतनी पॉलीथिन ख्0 किमी के दायरे की जमीन को पांच साल में ऊसर बना सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं हीट होने पर निकलने वाली गैसे ओजोन लेयर को बड़ी हानि पहुंचा रही हैं। पॉलीथिन के ढेर अभी एक जगह नहीं हैं ऐसे में अभी बड़े नुकसान से हम बचे हुए हैं। ऐसे में पॉलीथिन पर बैन लगाना ही होगा।

रिसर्च बता रहे हार्मोनल चेंजेस

गलती से भी यदि पॉलीथिन या प्लास्टिक का एक भी टुकड़ा हमारे अंदर पहुंच गया तो वह हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकता है। कई तरह के कैंसर का कारण है यह पॉलीथिन। उन्होंने बताया कि जिस तरह से पॉलीथिन से होने वाले नुकसान पर रिसर्च चल रही है उसमें सिर्फ कैंसर ही नहीं कई बार बॉडी में हुए हारमोनल चेंजेज के पीछे भी पॉलीथिन का असर देखने को मिला है।

कलरफुल पॉलीथिन है घातक

ट्रांसपैरेंट पॉलीथिन ही कुछ हद तक ठीक होती हैं। कलरफुल पॉलीथिन रिसाइकिल कर तैयार की जाती है। इसमें नीली, लाल और काली पॉलीथिन तो बहुत ही बेकार होती है। इसे तो यूज ही नहीं किया जाना चाहिए।

घर के कोने-कोने में पॉलीथिन

पर्यावरण विशेषज्ञों की माने तो पॉलीथिन से लोगों को सुविधा तो मिलती है लेकिन इसके हार्मफुल इफेक्ट्स से लोग अंजान हैं। घर में पीने का पानी और जूस सभी ह्रश्वलास्टिक के बॉटल्स में रखे जाते हैं। फ्रिज में सब्जियों और फलों को पॉलीथिन के अंदर ही सहेज कर रख दिया जाता है। घरों में आटा, दाल, चावल और अन्य फूड आइटम्स ह्रश्वलास्टिक के जार में ही रखा जाता है। ह्रश्वलास्टिक का इतना यूज ठीक नहीं है।

छोटे उपायों से करें बड़ा समाधान

-बाजार जाते समय कपड़े के बने झोले का प्रयोग करें। जूट का बैग भी ले सकते हैं।

-लिक्विड आइटम लाने के लिए बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं। इनमें

-मेटल की डिब्बा बंद छोटी बास्केट आती हैं।

-लोगों को पॉलीथिन का यूज ना करने के लिए प्रोत्साहित करे।

-खाने में लिपटे सामान का यूज न करें

Posted By: Inextlive