यह कड़े नहीं, बदमाशों का 'रक्त चरित्र' है
गोरखपुर (ब्यूरो)। साउथ की फिल्मों में इस्तेमाल किया जाने वाले हथियार अब असल जिंदगी में बदमाशों ने अपना लिए हैं, गोरखपुर के थानों में टंगे हाथ के कड़े उनके 'रक्त चरित्र' की निशानियां और कहानियां बयां कर रहे हैं। यह वह कड़े हैं, जिससे मार पीट में खून खराबा किया गया। अभियुक्तों को पकड़कर पुलिस ने जब सलाखों के पीछे किया तो हकीकत सामने आई और पुलिस ने उनके हाथ से कड़ा उतरवा लिया। उस कड़े से फिर मारपीट ना हो इसलिए उसे फिर वापस भी नहीं दिया। कैंट थाने में टंगा दर्जनों कड़ा
कैंट थाना जहां पुलिस जनसुनवाई करती है। ठीक उसी के बगल में एक दर्जन से अधिक खूनी कड़े एक डोर में बांधकर लटकाए गए हैं। वहां पुलिस कर्मियों का कहना है कि नई उम्र के अधिकतर मनबढ़ मारपीट में कड़े से ही सिर फोड़ देते हैं। लिहाजा पकड़े जाने पर सबसे पहले उनका कड़ा उतरवा कर रखा जाता है, ताकि वह थाने के लॉकअप मेें उससे खुद या किसी अन्य हिरासत में लिए गए अभियुक्त को चोट ना पहुंचा सके।साउथ फिल्मों का भी असर
वर्तमान समय में हर घर में साउथ फिल्मों का खूब क्रेज है। खास तौर से नई उम्र के युवा साउथ फिल्में बहुत पंसद करते हैं। साउथ फिल्मों में भी मार-धाड़ में हीरो या विलेन कड़े का यूज करते नजर आते हैं। जिसे देखकर युवा हाथ में टैटू बनवाकर कड़ा पहनने का क्रेज बढ़ गया है। वहीं इसमें कई मनबढ़ किस्म के यूथ का कड़ा पहनने के पीछे उद्देश्य सिर्फ मार पीट ही होता है। यह बात पुलिस इनवेस्टिगेशन में सामने भी आई है।पेरेंट्स को भी होना होगा अवेयरपुलिस कर्मियों का कहना है कि पेरेंट्स को अपने बच्चे के रूटीन पर हमेशा ध्यान देना चाहिए। हाथ में कड़ा पहनकर उसका किस तरह मिस यूज किया जा रहा है, यह वॉच करना चाहिए। समय रहते बच्चों को समझाया जाए तो वह क्राइम के दलदल में जाने से बच जाएंगे। असलहा से सस्ता और सुरक्षित कड़ापकड़े गए अभियुक्तों की मानें तो पुलिस की सख्ती बढऩे के बाद अवैध असलहों पर अंकुश लगा है। मनबढ़ भी अवैध असलहा और चाकू लेकर चलने से परहेज कर रहे हैं। इस हालत में हाथ का कड़ा उनके लिए हथियार बन रहा है। कड़े का धार्मिक महत्व
सिख धर्म में कड़े को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में कड़े को एक खालसा के हाथ का सुरक्षा बंधन माना जाता था। सीधे हाथ में तलवार पकड़ी जाती थी और कड़ा भी उसी हाथ में धारण किया जाता था। गुरु गोविंद सिंह जी ने कड़े को पंच ककारों में शामिल किया था। मगर इसका अब सभी धर्म के लोगों में क्रेज है और इसका दुरुपयोग भी किया जा रहा है।