दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि रिसर्च को लैब से बाहर निकालकर जमीन खेत पर लाने की जरूरत है. केंद्र और प्रदेश की सरकार भी यही चाहती है कि रिसर्च का लाभ समाज को मिले.


गोरखपुर (ब्यूरो)। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए एक जीवंत वातावरण बनाने की आवश्यकता है। यह बातें उन्होंने शनिवार को संवाद भवन में आयोजित 'प्लांट, माइक्रोब्स: प्रोग्रेस, पोटेंशियल एंड फ्यूचर' सब्जेक्ट पर एक दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान कहीं। कार्यक्रम के चीफ गेस्ट आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी के डायरेक्टर डॉ। टीके बेहरा, गेस्ट ऑफ ऑनर एमबीएसआई के अध्यक्ष डॉ। एएम देशमुख और स्पेशल गेस्ट एसीआईएबी से डॉ। निशांत श्रीवास्तव रहे। कांफ्रेंस का आयोजन बॉटनी डिपार्टमेंट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी इंडिया (एमबीएसआई) और अविष्का काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड अलाइड बायोसाइंसेज के सहयोग से किया गया।एमओयू पर सिग्नेचर
कांफ्रेंस के दौरान गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर सिग्नेचर किया। इस एमओयू के तहत दोनों संस्थानों के रिसचर्स को ज्वॉइंट रिसर्च करने में सहयोग किया जाएगा। एमओयू पर यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो। पूनम टंडन और आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी के डायरेक्टर डॉ। टीके बेहरा ने सिग्नेचर किए।

Posted By: Inextlive