Tech News : चाइल्ड सेफ्टी स्मार्ट यूनिफॉर्म से बच्चा चोरी पर लगेगी लगाम
गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आईटीएम गीडा की 2 छात्राओं ने चाइल्ड सेफ्टी स्मार्ट यूनिफॉर्म के लिए स्पेशल डिवाइस तैयार की है। इसके यूज करने के बाद अगर बच्चे गेट की सीमा लांघते हैं तो इसकी खबर उनके पेरेंट्स को मिल जाएगी। एमबीए की छात्राओं ने किया कमालआईटीएम गीडा में एमबीए फस्र्ट की स्टूडेंट शिवानी सिंह और अंशिका गुप्ता ने मिलकर बच्चों की सेफ्टी के लिए ये डिवाइस बनाई है। दोनों स्टूडेंट्स ने बताया कि इस इनोवेशन में मैकेनिकल हेड विनित सर का उन्हें मार्गदर्शन मिला। छात्राओं ने बताया कि दो से 5 साल के बच्चों की सेफ्टी के लिए डिवाइस तैयार की गई है। इस तरह काम करेगी डिवाइस
स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने एक रेडियो सिग्नल पर काम करने वाली नैनो चिप बनाई है। ये एक ट्रांसमीटर की तरह काम करती है, जिसे बच्चों के कपड़े में लगाया सकता है। इस चिप से जुड़े सेंसर बेस्ड डिवाइस को बाहर जाने वाले रास्ते यानी गेट पर लगाया जाता है। घर के अंदर कॉलर ट्यून बेस्ड डिवाइस लगाई जाती है। जब बच्चा घर के अंदर होता तो ये डिवाइस नहीं काम करती है। जैसे ही बच्चा घर की सीमा यानी गेट से बाहर निकलता है तब अंदर लगे ट्यून बेस्ड डिवाइस शोर करने लगती हैं। घरवालों को पता चल जाता है कि बच्चा घर से बाहर निकल गया है। इससे घर में काम करने के साथ ही पेरेंट्स अपने बच्चे पर भी नजर रख सकते हैं।मॉल में खरीदारी करते हुए आइडियाशिवानी और अंशिका ने बताया कि मॉल में खरीदारी करते समय उनके दिमाग ये आइडिया आया। उन्होंने बताया कि मॉल में नए कपड़ों में सिक्योरिटी टैग लगा होता है। गलती से भी अगर वो कपड़ा आपके पास रह जाता है तो गेट से बाहर निकलने पर अलार्म बजने लगता है। इसे टेक्नोलॉजी को देखकर ही छात्राओं ने बच्चों के लिए ये डिवाइस तैयार की है।बहला-फुसलाकर नहीं ले जा सकेंगे बच्चेउन्होंने बताया, एक वॉटरप्रूफ चिप भी तैयार की जा रही है, जिसे स्कूल जाने वाले बच्चों के यूनिफॉर्म में भी लगाया जा सकता है। जैसे ही बच्चा स्कूल से बाहर निकलता है या फिर बाजार में गुम हो जाता है तो फौरन इसकी खबर पेरेंट्स को मिल जाएगी। 500 रुपए में बनी डिवाइस
स्टूडेंट्स ने बताया कि इस डिवाइस को चार से पांच दिन में तैयार किया है। इसमे नैनो चिप, सेंसर बेस्ड डिवाइस, कॉलर ट्यून बेस्ड डिवाइस और 9 वॉट की बैटरी लगी है, जिसकी लागत 500 रुपए है। जो एक सप्ताह काम करती है। कॉलेज के निदेशक डॉ। एनके सिंह ने बताया छात्राओं ने अच्छा इनोवेशन किया है। हम अपने यूनिक इनोवेशन आइडिया को हम बिजनेस प्रोडक्ट में कन्वर्ट कर बाजार में लांच कर सकते हैं। इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।