बांस बल्ली से स्कूल की छत पर पहुंचती है मैडम
- हर साल बरसात में डूब जाता है खोराबार इलाके का पूर्व माध्यमिक स्कूल
- जुलाई में अचानक डूबा स्कूल तो अंदर ही रह गई फाइलें और मेज-कुर्सी GORAKHPUR: सर्व शिक्षा अभियान किस तरह फेल हो जाता है इसका एग्जाम्पल आप गोरखपुर में देख सकते हैं। सिटी के खोराबार इलाके का पूर्व माध्यमिक स्कूल झरवां जुलाई से ही पानी में डूबा हुआ है। क्लास रूम में सात फिट तक पानी लगा हुआ है जबकि स्कूल का नाम और छत अभी भी सेफ है। यहां टीचर स्कूल की खुली छत पर बांस बल्ली के सहारे चढ़कर फाइल मेनटेन करती हैं। जब पानी बरसता है तो टीचर बगल में एक प्लास्टिक का छज्जा लगाकर उसमे छिपकर काम चलाते हैं। छत पर बैठकर मारते हैं मछलीबुधवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम इस स्कूल पर पहुंची। स्कूल की छत पर कुछ लड़के बैठकर मछली मार रहे थे। स्कूल के बगल में प्लास्टिक का त्रिपाल लगाकर चार सहायक टीचर बैठकर अपनी-अपनी फाइल दुरूस्त कर रहे थे।
हर साल डूब जाता है स्कूलटीचर ने बताया कि हर साल बरसात में करीब चार महीने तक स्कूल डूबा रहता है। हम लोग इधर उधर कमरा लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं। जुलाई में हम लोग स्कूल का काम निपटा कर घर आ गए। दूसरे दिन जब पहुंचे तो स्कूल डूबा हुआ था। थोड़ा बहुत सामान तो हम लोगों ने बाहर निकाला। बाकी सामान पानी अधिक होने की वजह से क्लासरूम में ही रह गया। कुछ लोगों को अंदर जाने के लिए तैयार भी किया गया तो सांप की डर से वे भी बाहर आ गए।
कूड़े के ढेर पर स्कूल इस स्कूल में एक ही कमी नहीं बल्कि इसके अलावा भी काफी खामियां हैं। चार महीने तक पानी में रहने वाले इस स्कूल के पास सिटी का कूड़ा भी फेंका जाता है। हालत ये है कि स्कूल की एक छोर पर इस समय कूड़े का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा हो गया है। हर तरफ गंदगी का माहौल है। स्कूल टाइम में बच्चों को संक्रामक बीमारी का खतरा भी बना रहता है। कुछ स्कूल ऐसे हैं जो बरसात में डूब जाते हैं। बच्चे जब आते हैं तो उनके लिए दूसरी जगह पर पढ़ने की व्यवस्था की जाती है। दूसरा कोई और विकल्प भी नहीं है। खोराबार इलाके में अधिकत्तर स्कूलों में बरसात में इस तरह की प्रॉब्लम आती है। बीएन सिंह, बीएसए