-बंधु सिंह शहीद स्मारक व मंदिर का होगा सौंदर्यीकरण

-वित्तीय वर्ष 2018-19 में करीब 4 करोड़ की लागत से विकसित होगा मंदिर परिसर

GORAKHPUR: 1857 से पहले स्थापित शहर के तरकुलहा देवी मंदिर को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। पर्यटन विभाग ने योजना के पहले चरण में सर्वे का काम पूरा कर लिया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कैम्पस को डेवलप करने के लिए 4 करोड़ का प्रस्ताव जल्द ही शासन को भेज दिया जाएगा। विभाग की योजना को यदि शासन से स्वीकृति मिल जाती है तो मंदिर कैम्पस में टूरिस्टों के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम हो जाएगा।

1857 के पहले से स्थापित तरकुलहा देवी मंदिर की शोभा चैत्र रामनवमी में विशेष तौर से बढ़ जाती है। नवमी के समापन अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ इक्ट्ठा होती है। इसी मंदिर पर क्रांतिकारी बंधु सिंह ने कई अंग्रेज सैनिकों की बलि चढ़ाई थी। अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों के लिए यह मंदिर छिपने की जगह और हमला करने में भी मददगार रहा। बाद में जब अंग्रेजों को मंदिर के बारे में पता चला तो उन्होंने इसी जगह पर कई क्रांतिकारियों को फांसी दी।

देश का पहला मंदिर जहां प्रसाद है नॉनवेज

बंधु सिंह ने अंग्रेजी सैनिकों के सर काटकर तरकुलहा देवी को जो बलि देने की प्रथा शुरू की थी। वह जानवरों की बलि देने के नाम पर अभी भी कायम है। श्रद्धालु यहां मंदिर के कैम्पस में ही आकर मटन बनाकर खाते हैं और प्रसाद के तौर पर इसी का वितरण भी करते हैं। देवी को बलि देने के बाद मीट और लिट्टी के प्रसाद के वितरण को शुभ माना जाता है। हालंाकि की कैम्पस में जगह-जगह खून और गंदगी फैलने के कारण कई बार इसे बंद करने के लिए भी आवाजें उठीं।

पुलिस ने सुधारी थी व्यवस्था

2017 की शुरुआती तिमाही में शासनादेश पर अमल करते हुए पुलिस ने यहां की व्यवस्था सुधारने के लिहाज से महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया था। जानवरों की बलि देने के लिए एक निश्चित जगह निर्धारित की गई। जिससे फैलने वाली गंदगी पर अंकुश लगाया गया। साथ ही नारियल फोड़ने, कपूर व अगरबत्ती जलाने के लिए भी एक जगह निर्धारित की गई। कैम्पस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जिससे रोजाना होने वाले विवादों व शराब पीने वालों पर रोक लगी।

4 करोड़ से सुधरेगा हालात

तरकुलहा देवी मंदिर कैम्पस को धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग के सर्वे के अनुसार करीब 4 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। विभाग ने मंदिर कैम्पस में टॉयलेट के बेहतर इंतजाम, रात में लाइट सिस्टम, बैठने के लिए बेंच, दीवारों व मंदिर की पेंटिंग, रास्तों को और बेहतर करने के लिहाज से कामों का स्टीमेट तैयार किया है। यह स्टीमेट शासन को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए जल्द ही भेज दी जाएगी।

वर्जन-

तरकुलहा मंदिर को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिहाज से सभी आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं। शहर में पर्यटकों को शिव व शक्ति दोनों के दर्शन होंगे।

रविन्द्र कुमार, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी

Posted By: Inextlive