कहां गई स्वाइन फ्लू की दवाइयां?
- 6 साल पहले आई थी दवाइयों की खेप, जिम्मेदारों को नहीं पता कहां हुआ यूज
- जांच के लिए भेजे गए नमूने में हुई स्वाइन फ्लू की पुष्टि, बनाया गया स्वाइन फ्लू वार्डGORAKHPUR : स्वाइन फ्लू की दहशत धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में फैलने लगी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिट रहे एक पेशेंट में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद शासन ने दवाइयां भेजी हैं। हालांकि उस पेशेंट की मौत हो चुकी है। ख्009 में जब स्वाइन फ्लू पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा था, तब केंद्र सरकार ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को करोड़ों रुपए की दवाइयां भेजी थीं। गोरखपुर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को तब भेजी गई दवाओं का कोई अता-पता नहीं है। टेमीफ्लू कैप्सूल्स, किट और मास्क कहां यूज हुए, इसका कोई रिकॉर्ड डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पास नहीं है। टेमीफ्लू कैप्सूल की एक्सपायरी डेट ख्0क्ब् थी, मतलब अब वो दवा किसी काम की नहीं रही। चीफ फार्मासिस्ट की मानें तो स्टोर में रखी दवाएं एक्सपायरी से पहले बांट दी जाती हैं, लेकिन वो ये नहीं बता पाए कि टेमीफ्लू और अन्य दवाएं कहां बांटी गई? सभी एक-दूसरे पर इस बात का ठीकरा फोड़ रहे हैं, लेकिन किसी को नहीं पता कि इन दवाइयों का क्या हुआ और अब ये कहां हैं।
सेंट्रल ड्रग स्टोर और कंट्रोल रूम आमने-सामने सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से ख्009 में क्000 टेमीफ्लू कैप्सूल और किट्स भेजे गए। कंट्रोल रूम के एंप्लाई की मानें तो जो दवाइयां आई, वो सेंट्रल ड्रग स्टोर को भेजी गई, जबकि स्टोर के चीफ फार्मासिस्ट की मानें तो दवाइयां स्टोर रूम में भेजी ही नहीं गई, उन्हें कंट्रोल रूम में रखा गया। दोनों एक-दूसरे पर दवाइयों के रिकॉर्ड गायब होने की तोहमत लगा रहे हैं। छह साल बाद आई स्वाइन फ्लू की दवाएं प्रदेश में स्वाइन फ्लू के केसेज सामने आने शुरू हुए तो शासन की नींद खुली और दवाइयों की नई खेप भेजी गई है। करीब म् साल बाद शासन की ओर से सीएमओ को ख्भ्0 टैमीफ्लू कैप्सूल(ओसेल्टामिविर फॉस्फेट), भ्0 पीपीई किट और दस पीस एन-9भ् रिस्पिरेटर भेजे गए हैं। सीएमओ के यहां से क्00 कैप्सूल, ख्0 किट और चार पीस मास्क मेडिकल कॉलेज को भेज दिए गए हैं। स्वाइन फ्लू की पुष्टि से मचा हड़कंपचार दिन पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिट सलेमपुर की प्रीति की मौत हो गई। स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने के बाद नमूना लखनऊ भेजा गया। जांच रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। इसके बाद मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया। उसी दिन कुशीनगर के एक संभावित पेशेंट को भी एडमिट किया गया। उसका नमूना भी जांच को भेजा गया है। आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने बाल रोग विभाग संख्या म् के बगल में तीन बेड वाला स्वाइन फ्लू वार्ड?बनाया गया है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को शासन की ओर से भेजी गई दवाइयां नहीं मिली हैं। इसके लिए सैटर्डे को एसआईसी ने सीएमओ को लेकर लिखकर दवाइयां मांगी है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दस दिन पहले एलर्ट जारी किया गया था, वहां म् बेड?वाला स्वाइन फ्लू वार्ड?बनकर तैयार है, लेकिन दवाइयां नहीं आई हैं।
डॉक्टर्स को लगा टीका बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सैटर्डे को प्रिवेंटिव मेजर के तौर पर डॉक्टर्स और मेडिकल एंप्लाईज को स्वाइन फ्लू का वैक्सीन लगाया गया। नेहरू हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ। रामयश यादव ने बताया कि क्0 डॉक्टर्स, ब् स्टाफ नर्स, फ् वार्डब्वॉय और फ् स्वीपर्स को टीका लगाया गया है। गोलियां आए पांच साल हो गए। उन्हें सेंट्रल ड्रग स्टोर को भेज दिया गया था। पूर्व में तैनात चीफ फार्मासिस्ट को ही इसकी जानकारी होगी। केके श्रीवास्तव, एंप्लाई, कंट्रोल रूमयह काफी पूरा मामला है। उस समय किसी और के पास चार्ज था। स्टोर में रखी दवाइयों को एक्सपायर होने से पहले ही बांट दिया जाता है। पुराने रजिस्टर में इसका लेखा-जोखा दर्ज होगा।
चंद्रशेखर सिंह, चीफ फार्मासिस्ट स्वाइन फ्लू की गोलियां कब आई और कहा बटीं, इसकी जानकारी नहीं है। उस समय जो भी रहा होगा, उसे ही पता होगा। डॉ। पीके मिश्रा, सीएमओ