GORAKHPUR : सूबे में स्वाइन फ्लू ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। अब तक पूरे देश में इस खतरनाक बीमारी से म्00 की मौत हो चुकी है। वहींउत्तर प्रदेश में अब तक यह बीमारी म् लोगों को लील चुकी है। प्रदेश सरकार ने इस बीमारी गंभीरता के देखते हुए स्वाइन फ्लू की जांच मुफ्त करने का निर्देश दे दिया है। इतना सब होने के बाद भी गोरखपुर का डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल संजीदा नहींहै। गोरखपुर जिला अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन ने स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए जो वार्ड बनाया है वह खतरे से खाली नहींहै। स्वाइन फ्लू वार्ड में जाने के लिए मरीजों, तीमारदारों और डॉक्टरों को हड्डी वार्ड से होकर जाना पड़ेगा। स्वाइन फ्लू का वायरस हवा से भी फैलता है। ऐसे में जो हड्डी वार्ड से गुजरेगा उसे भी स्वाइन फ्लू का खतरा रहेगा।

स्वाइन फ्लू वार्ड का सच

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक हफ्ते पहले स्वाइन फ्लू से पीडि़त महिलाए भर्ती की गई। इसमें से एक की मौत हो गई, जबकि एक को एडमिट कराया गया। इसके बाद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने छह बेड वाला स्वाइन फ्लू का वार्ड तैयार किया। वार्ड का सच जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर वेंस्डे मार्निग स्वाइन फ्लू वार्ड पहुंचा। यहां जो दिखा, उसे देखकर यही लगा कि अस्पताल एडमिनिस्ट्रेशन मरीजो को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहींहै। तभी तो छह बेड वाले स्वाइन फ्लू वार्ड का मेन रास्ता बंद करवा दिया गया है, उसकी जगह स्वाइन फ्लू वार्ड में जाने के लिए हड्डी वार्ड और ओटी होकर रास्ता बनाया है। डिस्ट्रिक हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही उजागर होने लगी है। यह पेशेंट की जान से खेलने को उतारू है। यदि स्वाइन फ्लू के पेशेंट वार्ड में भर्ती हुए तो हड्डी वार्ड में एडमिट पेशेंटस भी वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

वर्जन

स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंजा वायरस है जो सुअरों से ख्009 में इंसानों में भी ट्रांसफर हुआ। मरीज के संपर्क में आने से, श्वास के जरिए, हवा के रूट से भी यह फ्लू हो सकता है। यदि सांस लेने में दिक्कत होती है बलगम और ब्लड की तत्काल जांच कराएं।

डॉ। अशोक पांडेय, एनआइवी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

स्वाइन फ्लू से लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। सभी को भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे पिक्चर हाल, मॉल जाने से पहले मास्क लगाना चाहिए। पानी से हाथ और मुंह रेग्युलर धोते रहें। मौसम में उतार चढ़ाव पर नजर रखें।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.सुधीर कुमार

यदि जुखाम, खासी और बुखार है तो वह तत्काल विशेषज्ञों से संपर्क करें। साथ ही अपने मुंह पर मास्क जरूर लगाए।

हृदय रोग विशेषज्ञ चक्रपणि पांडेय

भारत में स्वाइन फ्लू तेजी से पांव पसार रहा है। इसमें रेस्पीरेटरी यानि श्वसन तंत्र पर हमला करता है। यह खांसने, छींकने से फैलती है। एच क् एन क् वायरस का इलाज होम्योपैथी में संभव है।

डॉ। रूप कुमार बनर्जी

स्वाइन फ्लू जांच की रिपोर्ट नेगेटिव

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक हफ्ते पहले भर्ती पेशेंटस की रिपोर्ट वेंस्डे को मिल गई है। रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि नहींहुई है।

हेल्थ स्टाफ को नहींलगा टीका

शासन के फरमान के बाद स्वाइन फ्लू से लड़ने का संकट बरकरार है। साथ ही हेल्थ स्टाफ को भी अभी तक टीका नहींलगा है। ऐसे अगर मरीज आते हैं को वे भी उनका इलाज करने झिझकेंगे। जिम्मेदार इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

इसके नोडल अधिकारी सीएमओ हैं। उन्हींके पास वैक्सीन और दवाइयां आती हैं। टीकाकरण के लिए दो बार पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक टीके नहीं मिले हैं।

डा.एचआर यादव एसआइसी डिस्ट्रिक हॉस्पिटल

स्वाइन फ्लू टीके शासन से नहीं मिली है। उपलब्ध दवाइयां हॉस्पिटल को दे दी गई है।

डा.पीके मिश्रा सीएमओ

क्या है खतरा?

क्9फ्0 में पहली बार एक्एनक् वायरस के सामने आने के बाद से क्998 तक इसके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। क्998 और ख्00ख् के बीच इस वायरस के तीन डिफरेंट टाइप्स सामने आए। इनमें भी भ् अलग-अलग जीनोटाइप थे। इंसानो के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम यह है कि स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस लगातार स्वरूप बदलना। व‌र्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यह वायरस अब केवल सूअरों तक ही सीमित नहीं है, इसने इंसानों के बीच फैलने की कुवत हासिल कर ली है। अमेरिका में ख्00भ् से अब तक केवल क्ख् मामले ही सामने आए हैं। एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है कि यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है कि एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता। मध्य ख्0वीं सदी से अब तक के चिकित्सा इतिहास में केवल भ्0 केसेस ही ऐसे हैं जिनमें वायरस सूअरों से इंसानों तक पहुंचा हो। ध्यान में रखने योग्य यह बात है कि सूअर का मांस खाने वालों को यह वायरस चपेट में नहींलेता है, क्योंकि यह पकाने के दौरान नष्ट हो जाता है।

रखें ये सावधानियां

-इस बीमारी से बचने के लिए हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते समय और झींकते समय टीशू से कवर रखें। इसके बाद टीशू को नष्ट कर दें।

-बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।

- जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों तो उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए।

-स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज के ज्यादा करीब न आया जाए। हाथ मिलाने से बचें। रेग्यूलर ब्रेक पर हाथ धोते रहें।

-जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से हाई फीवर हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

-स्वाइन फ्लू के टेस्ट के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है। इससे एचक्एनक् वायरस की पहचान की जाती है। ऐसा कोई भी टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही करवाएं।

क्या है इलाज

स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदाथरें की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सके। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।

इस बीमारी के तेजी के साथ फैलने वजहें

सर्दी के मौसम का देर तक रहना- गर्मी का मौसम आते ही स्वाइन फ्लू का असर कम होने लगता है, लेकिन इस बार ठंड का मौसम देर तक खिंचने की वजह से स्वाइन फ्लू ने विकराल रूप ले लिया।

जांच लैब की कमी- स्वाइन फ्लू के लक्षण अगर शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाते हैं तो इससे के इलाज में आसानी होती है, लेकिन कई राज्य जांच लैब की कमी से जूझ रहे हैं।

टैमीफ्लू दवा की किल्ल - स्वाइन फ्लू के इलाज में टैमीफ्लू दवा का खासतौर पर इस्तेमाल होता है, लेकिन दिल्ली समेत कई राज्य इस दवा की कमी का सामना कर रहे हैं। सही वक्त पर दवा का ना मिलना भी इस इस बीमारी के बढ़ने की खास वजह है।

प्राइवेट अस्पतालों में व्यवस्था का अभाव - देश के ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के लिए अलग से वार्ड नहीं हैं। बीमारी की जांच के लिए भी ये सरकारी लैब पर ही निर्भर हैं। कई मरीज जो प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं, लेकिन सही इलाज ना होने की वजह से दम तोड़ देते हैं।

देश में स्वाइन फ्लू से अब तक म्00 की मौत

राजस्थान में अब तक क्7म् की मौत

मध्यप्रदेश 8क् ने गंवाई जान

हिमाचल में भी एक मौत

कोलकाता में फ्क् नए मामले

आगरा में अब तक फ्7 की मौत

उत्तर प्रदेश में अब तक म् मौतें

छत्तीसगढ़ में दो की मौत।

Posted By: Inextlive