स्वच्छ सर्वेक्षण: महुआ एप में टेक्निकल प्रॉब्लम, 9 दिन में आए सिर्फ 662 फीडबैक
गोरखपुर (ब्यूरो)। नगर निगम ने इसकी वजह महुआ एप में तकनीकी प्रॉब्लम बताई है। नगर निगम के स्वच्छता महुआ एप में प्रॉब्लम की वजह से फीडबैक की रफ्तार काफी सुस्त है। निगम के सामने सिर्फ लिंक से फीडबैक लेने का एक ऑप्शन बचा है। हालांकि, लिंक के बारे में प्रॉपर अवेयरनेस नहीं होने की वजह से 2 लाख फीडबैक लेना बड़ी चुनौती बन गया है।
महानगर की कॉलोनियों में नाली जाम, कूड़ा नहीं उठा, घर के सामने जानवर मरा पड़ा है, जैसी 19 प्रॉब्लम संबंधी गोरखपुराइट्स की परेशानी को दूर करने के लिए एक सॉल्युशन महुआ एप है। हालांकि, पिछले कई दिनों से एप शो नहीं होने की वजह से फीडबैक की रफ्तार सुस्त है। एक मार्च से लेकर अब तक निगम सिर्फ 662 लोगों से ही फीडबैक ले सका है। जबकि नगर निगम के दायरे में लगभग आठ लाख से अधिक आबादी हैं। फीडबैक लेने की अंतिम तिथि 28 मार्च है।इस तरह डाउनलोड करें एप - पहले प्ले स्टोर करें एप। - वहां से स्वच्छता महुआ इंस्टॉल करें।- उसके बाद अपने 10 अंकों का मोबाइल नंबर टाइप करें। - चार डिजिट का कोड टाइप करें। - कम्प्लेन पोस्ट करें।इन प्रॉब्लम का सॉल्युशन - घरेलू खाद।- खुले में यूरिनल।
- घर में प्रतिदिन कचरा एकत्रित करना।- कचरा संग्राहक को सूखा व गीला कचरा अलग-अलग करना।- स्वच्छ शौचालय सर्च कर गूगल टॉयलेट लोकेटर का प्रयोग।- पास-पड़ोस में सफाई। - पुराने व टूटे खिलौने, किताबें, कपड़े, जूते आदि की रिसाइकिल और रियूज करना।- खुले में शौच या यूरिनल के प्रति पब्लिक कितना संवेदनशील है। - पहले की तुलना में सार्वजनिक शौचालयों को अधिक उपयोगी और साफ रखना। - सेप्टिक टैंक, सीवर लाइन आदि की प्रॉब्लम। - सेप्टिक टैंक और सीवर लाइन आदि की सफाई। - पहले की तुलना में शहर अधिक साफ। - कचरे का ढेर। - कचरा वाहन नहीं आया।- सार्वजनिक जगह पर कूड़ा जलाना। - पब्लिक ट्वॉयलेट की साफ-सफाई। - कोविड-19 के दौरान फॉगिग, स्वच्छता के लिए हेल्प।- लगी है डस्टबिन।- कॉलोनी में नहीं फैली रहती है गंदगी।- शौचालय नहीं है गंदा।शहर की आबादी 8 लाख से अधिक शहर में सफाई कर्मी 3500 शहर में वार्ड 70
स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में शहर को बेहतर रैंकिंग दिलाने के लिए पब्लिक से स्वच्छता महुआ एप और लिंक के जरिए फीडबैक लिए जा रहे हैं। एप में टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से दिक्कत हो रही है। इसके बावजूद भी लगातार फीडबैक की संख्या बढ़ रही है। जल्द ही लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। अविनाश सिंह, नगर आयुक्त गोरखपुर