पॉवर और टेक्नीक का कांबिनेशन है रेसलिंग
- सिटी आए ओलंपियन मेडलिस्ट और पद्मश्री अवार्डी सुशील कुमार बोले
- ओलंपिक में 66 से बढ़ कर 74 केजी में सुशील दिखाएंगे दम - सुशील की कुर्सी संभालेंगे योगेश्वरGORAKHPUR : हैवी वेट और पावरफुल पर्सनालिटी मतलब पहलवान। जो अखाड़े में जब उतरे तो मिट्टी भी कांप जाए। कुश्ती शायद इसे ही कहते हैं, मगर समय चेंज होने के साथ अब कुश्ती भी चेंज हो गई है। अब पहलवान पॉवरफुल के साथ माइंडेड भी होते हैं क्योंकि कुश्ती अब अकेले ताकत से नहीं होती। जीत के लिए ताकत के साथ माइंड भी जरूरी है। अब कुश्ती पॉवर और टेक्नीक का गेम है। यह बात ओलंपिक में इंडिया का परचम फहराने वाले सिल्वर मेडलिस्ट और पद्मश्री अवार्डी सुशील कुमार ने कही। वे भारत भीम जनार्दन सिंह की फैमिली में आयोजित एक प्रोग्राम में शिरकत करने सिटी आए हैं। रियो ओलंपिक की तैयारी कर रहे सुशील कुमार ने बताया कि इस बार वे फ्री स्टाइल के 7ब् केजी वेट में दम दिखाएंगे। लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीतने वाले सुशील कुमार ने म्म् केजी वेट में पार्टिसिपेट किया था।
लंदन ओलंपिक में आप गोल्ड से चूक गए। क्या कारण था?-लंदन ओलंपिक में मैं जिस ग्रुप में था, उसमें सारे मेडलिस्ट रेसलर थे इसलिए कॉम्प्टीशन काफी कठिन था। साथ ही हम हर बाउट के पहले वेट लॉस करते हैं और रिकवर करते है। फाइनल के समय मेरी बॉडी उतनी रफ्तार से रिकवर नहीं हुई, इससे प्रॉब्लम हुई थी।
रियो ओलंपिक की क्या तैयारी है? -तैयारी अच्छी चल रही है। कैंप में कोच और सीनियर रेसलर की देखरेख में लगातार प्रैक्टिस हो रही है। किस रेसलर को क्या चीज की जरूरत है, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अगर सब अच्छा रहा है तो इस ओलंपिक में कुश्ती सबसे अधिक मेडल लाएगी। कुश्ती को और बढ़ावा कैसे मिल सकता है? -इंडिया में टैलेंट की कमी नहीं है। खासतौर पर हरियाणा, पंजाब या उत्तर प्रदेश में। बस कमी है तो सुविधा की। हरियाणा में पहलवान लगातार अच्छा कर रहे हैं, इंटरनेशनल लेवल पर जा रहे हैं। उसके पीछे मेन रीजन वहां गांव-गांव में चल रही एकेडमी है। यूपी में भी ऐसी एकेडमी की जरूरत है जो पहलवान के टैलेंट को निखार सके। अगर कुश्ती में प्रीमियर लीग हो तो क्या फायदा मिलेगा? -कुश्ती में प्रीमियर लीग होने से काफी बढ़ावा मिलेगा। लीग शुरू होने से कई जगह इंटरनेशनल लेवल के हाल बनेंगे जिसका फायदा सभी रेसलर को मिलेगा। अगला सुशील कौन होगा?-सभी सुशील हैं जो रेसलिंग में प्रैक्टिस कर देश के लिए मेडल जीतना चाहता है। वर्तमान में कैंप में प्रैक्टिस कर रहे सभी रेसलर सुशील कुमार हैं।
ओलंपिक में आ रहे मेडल को क्या अच्छा दिन समझा जाए? -हां। कुश्ती के अच्छे दिन चल रहे हैं। बीजिंग ओलंपिक में तीन मेडल आने के बाद कुश्ती में काफी सुधार हुआ है। पहलवानों के साथ सरकार और संगठन का भी रवैया बढ़ा है। अब सरकार पहलवानों की हर सुविधा पर ध्यान दे रही है। कुश्ती को भी अन्य गेम की तरह तवज्जो मिल रही है। गोरखपुर में अभी दंगल का क्रेज खत्म नहीं हो रहा है। क्यों? -यूपी का पूर्वाचल इलाका थोड़ा पिछड़ा हुआ है। यहां टैलेंट की कमी नहीं है, पर पहलवानों की डाइट पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे वे दंगल को तवज्जो दे रहे हैं क्योंकि अब पहलवानी सिर्फ दूध-घी से नहीं हो सकती। खेल कैसे बढ़ सकता है? -खेल को बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ी को सुविधा मुहैया करानी पड़ेगी। जिस तरह रेलवे खिलाड़ी का प्लेटफॉर्म बन चुका है, वैसे ही स्टेट गवर्नमेंट के अन्य डिपार्टमेंट को भी स्पोर्ट्स कोटे से जॉब निकालनी चाहिए। खिलाड़ी का फ्यूचर सेफ होगा तो वह मेहनत कर आगे तैयारी करेगा।क्या आप रेलवे छोड़ रहे हैं?
नहीं। ऐसा नहीं है। मैं रेलवे से डेपोटेशन पर हूं। फिलहाल दिल्ली में खेल को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा हूं। इसके लिए दिल्ली स्पोर्ट्स अथॉरिटी से जुड़ा हूं। इस बार ओलंपिक में कितने मेडल आएंगे? -ओलंपिक में इस बार ग्रीको रोमन का भी खाता खुलेगा। फ्री स्टाइल में मेडल आना तय है। मतलब ओलंपिक में टोटल भ् से अधिक मेडल आने की उम्मीद है। इस बार किस वेट में लड़ेंगे? -इस बार 7ब् केजी वेट में पार्टिसिपेट करूंगा। हालांकि पिछले दोनों ओलंपिक में म्म् केजी वेट में था। इस साल योगेश्वर दत्त म्0 केजी से बढ़ कर म्म् केजी वेट में पार्टिसिपेट करेगा।