रेलवे के अधिकारियों की भी नजरें हुई टेढ़ी
- आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर के रंगरूट की मौत का मामला
- मौत पर नेतागिरी करने पहुंचे सुभाष दुबे के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शुरू हुई जांच - इस बार बख्शने के मूड में नहीं है आरपीएफ GORAKHPUR: आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर के रंगरूट की मौत पर नेतागिरी चमकाने वाले सुभाष दुबे पर रेलवे के अधिकारियों की नजरें भी टेढ़ी हो गई है। पुलिसिया कार्रवाई के बाद सुभाष पर रेलवे भी सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। रेलवे अधिकारी मामले की पूरी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो रेलवे की छवि खराब करने वाले रेलकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ट्रेन से कटने पर हुई थी मौतबीते संडे आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल कर रहा जयपुर का मीणा ट्रेन की चपेट में आ गया। ट्रेन से कटने पर उसकी मौत हो गई थी। इसकी सूचना आरपीएफ ने मीणा के घरवालों को दी, जिसके बाद मंडे को उसके परिजन गोरखपुर पहुंचे और डेडबॉडी लेकर जयपुर रवाना हो गए। वहीं जब इसकी जानकारी स्टोर डिपार्टमेंट में कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात सुभाष दुबे को हुई तो वह मौके पर नेतागिरी करने पहुंच गया। कर्मचारी नेता रंगरूट रामराज की पत्नी को नौकरी देने पर अड़ गया। जबकि रूल के मुताबिक, पति के मरने के बाद नौकरी पत्नी को मिल ही जाती है। उसने मृतक रंगरूट के परिजनों को भड़काना शुरू किया। इस दौरान वह आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर के प्रिंसिपल से भिड़ गया। मामला बढ़ने पर आरपीएफ ने लाठीचार्ज कर मामले को शांत करने का प्रयास किया।
सुर्खियों में आने के लिए करता है नेतागिरी आरपीएफ की मानें तो जब आरपीएफ की अलग से एसोसिएशन है तो फिर सुभाष दुबे को यहां नेतागिरी करने की क्या जरूरत आन पड़ी? जबकि आरपीएफ एसोसिएशन आल रेडी मृतक रंगरूट के परिजनों को आर्थिक सहायता के लिए करीब 9.भ् लाख रुपए का बंदोबस्त कर चुकी थी। वहीं कुछ लोगों का वह सुर्खियां में आने के लिए नेतागिरी करने पहुंचा था। पहले भी हो चुकी है कार्रवाईविभागीय सोर्सेज की मानें तो इससे पहले आपराधिक मामले में जीएम स्तर से इसे दूसरे जोन में ट्रांसफर किया जा चुका है। यहां तक कि कई साल तक विभाग से बर्खास्त भी किया जा चुका है, लेकिन रेल मंत्रालय और कोर्ट का सहारा लेकर यह आज भी हेड क्वार्टर में जमा हुआ है। यही रीजन है कि विभाग के आला अधिकारी भी इसपर कार्रवाई से बचते हैं, लेकिन इस बार की घटना में विभाग सख्त कार्रवाई का मन बना चुका है।
किसी भी कर्मचारी पर मुकदमा दर्ज हो जाता है तो उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई बिलकुल होती है। इस मामले में विभाग रिपोर्ट तैयार कर रहा है। नियमानुसार जांच कर कार्रवाई की जाएगी। आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे इस मामले में सुभाष दुबे के खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन के लिए लेटर तैयार किए जा रहे हैं। किसी भी दशा में उसे बख्शा नहीं जाएगा। विजय खातरकर, डिप्टी चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर, आरपीएफ --------- ठेकेदार माफिया के रूप में है रजिस्टर्ड द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: रेलवे कर्मचारी नेता सुभाष दुबे पुलिस रिकार्ड में बतौर ठेकेदार माफिया रजिस्टर्ड है। सात मई ख्000 को सुभाष की पुलिस ने हिस्ट्रीशीट खोली। आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर, अमिलो के मूल निवासी कर्मचारी नेता को किसी न किसी बहाने सुर्खियों में रहने की आदत है। गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट में पांबद रह चुके सुभाष के खिलाफ कुल ब्ख् मुकदमे पुलिस रिकार्ड में हैं। ख्008 में हुई लाइसेंस कैसिंल करने की कार्रवाईसुभाष दुबे के पास एक बंदूक और एक रायफल का लाइसेंस था। गुलरिहा थाना से बने लाइसेंस को निरस्त करने के लिए क्ब् फरवरी ख्008 को पुलिस कार्रवाई कर चुकी है। वर्ष ख्0क्0 में गोलघर के एक गन हाउस में जमा सुभाष की विदेशी पिस्टल को पुलिस ने जब्त कर लिया था।
इन मामलों में दर्ज हैं मुकदमा ठेकेदार माफिया के रूप में रजिस्टर्ड सुभाष दुबे के खिलाफ हत्या के प्रयास, जालसाजी, मारपीट, बलवा, जानमाल की धमकी देने, नाबालिग के अपहरण, आर्म्स एक्ट, 7 क्रिमिनल ला एमेडमेंट की धाराओं में कुल ब्ख् मुकदमे दर्ज हैं। लखनऊ के हजरतगंज थाना में एक, कैंट थाना में छह और शाहपुर में कुल फ्भ् मुकदमे लिखे गए हैं। आपराधिक माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला सहित कई बदमाशों के साथ संबंध रखने का आरोप भी सुभाष दुबे पर लग चुका है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक वर्ष क्98क् में पहली बार अवैध असलहा रखने के आरोप में उसपर कार्रवाई हुई। आपराधिक इतिहास - पुलिस रिकार्ड में सुभाष दुबे माफिया (गैंग नंबर आईएस-ख्क्7) का सदस्य घोषित है। - आरपीएफ चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर बृजलाल के कार्यकाल में पुलिस ने धारा फ्07 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। - पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक कुख्यात माफिया श्री प्रकाश शुक्ला गिरोह के सदस्य के साथ भी नाम आया। - रेलवे यूनियन के बीच हुए झगड़े में ख्0क्क् में मुकदमा दर्ज।- ख्00ख् में चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर बृजलाल के लखनऊ ट्रांसफर के बाद क्8 सितंबर को आईपीसी की धारा फ्07 के तहत मुकदमा दर्ज।
- क्98भ् में शाहपुर थाने में आईपीसी की धारा फ्म्फ् व फ्म्म् के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।