गोरखपुर यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में दो दिवसीय इंटरनेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया. 'साउथ एशियाई युवाओं में आत्महत्या के कारणों की व्याख्याÓ पर नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के डॉ. नरेंद्र एस थगुन्ना ने व्याख्यान प्रस्तुत किया.


गोरखपुर (ब्यूरो)। उन्होंने डेली रूटीन में सेल्फ हार्म से संबंधित व्यवहारों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसमें व्ययाम न करना, अपर्याप्त निद्रा, बात कहने में असमर्थता आदि शामिल हैं। डॉ। थगुन्ना ने आत्महत्या के बढ़ते दर, उसके कारणों, सुरक्षात्मक कारकों एवं चेतावनी संकेतों के बारे में बताया। संस्कृति पर दें जोरडॉ। थगुन्ना ने बताया कि आत्महत्या के जोखिम को विचारों, योजनाओं, साधनों और प्रयासों में पहचाना जा सकता है। सामाजिक समर्थन एवं प्रोत्साहन, कृतज्ञता और क्षमा की भावनाएं ऐसी संपत्तियां हैं जो आत्मघाती विचार व्यवहार को कम करने में मदद कर सकते हैं। संस्कृति एवं सामाजिक धरोहर ऐसे शस्त्र हैं जिनके द्वारा हम आत्महत्या से लड़ सकते हैं। वर्कशॉप में उन्होंने लाफ्टर थेरेपी से जुड़ीर एक्टिविटीजी भी कराईं जिसमें स्टूडेंट्स ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। डेली रूटीन करें फॉलो
एचओडी प्रो। अनुभूति दुबे ने गेस्ट का वेलकम किया। उन्होंने कहा कि डेली रूटीन को सही तरीके से फॉलो न करना, ठीक ढंग से भोजन न करना, अलगाव महसूस करना और आक्रामकता को प्रदर्शित न कर पाना सेल्फ हार्म से जुड़े व्यवहारों के शुरुआती संकेत हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ। विस्मिता पालीवाल ने किया। इस दौरान डॉ। गिरिजेश कुमार यादव, डॉ। गरिमा सिंह, डॉ। राम कृति सिंह, डॉ। रश्मि रानी, डॉ। प्रियंका गौतम के साथ ही यूजी और पीजी के स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive