उनकी हड़ताल ने निकाली जान
- बीआरडी में दवा स्टोर बंद, जिला अस्पताल के पैथोलॉजी में हंगामा
- जिला महिला अस्पताल में भी नहीं हुई जांच GORAKHPUR: हेल्थ डिपार्टमेंट के एंप्लाइज की हड़ताल मरीजों की सांसत बन चुकी है। मंगलवार को भी जारी रही हड़ताल ने जहां बीारडी में एक युवक की जान ले ली निकाली तो दूसरी तरफ दवा काउंटर और जांच पूरी तरह ठप रहे। ओपीडी में आए मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ीं तो ऑपरेशन भी ठप रहे। बिना इलाज मर गया सुनील देवरिया जिले के सलेमपुर निवासी धर्मदेव प्रसाद का 35 वर्षीय बेटा सुनील बिजली की चपेट में आने से बुरी तरह झुलस गया था। परिजनपहले देवरिया जिला अस्पताल ले गए, जहां हड़ताल की वजह से डॉक्टर्स ने बीआरडी के लिए रेफर कर दिया। यहां ट्रामा सेंटर पहुंचते ही डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।15 सौ रुपये में खरीदी दवाएं
कुशीनगर जिले के तमकुही सिसवा निवासी रमेश की बहन रजांती देवी का दस दिन से बीारडी के वार्ड नंबर चार में इलाज चल रहा है। रमेश ने बताया कि अस्पताल प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है। हर रोज 1500 रुपए की दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
दवा का हो गया टोटाहड़ताल का सबसे ज्यादा असर दवा वितरण पर पड़ा। हड़ताल की वजह से बीआरडी में दवा काउंटर के साथ ड्रग स्टोर बंद रहा। इसकी वजह से इंसेफेलाइटिस वार्ड को छोड़कर किसी भी वार्ड में इंडेंट पर दवाएं नहीं मिली। साथ ही ओपीडी में आए मरीजों को भी इससे दो चार होना पड़ा। वहीं, जिला महिला अस्पताल में भी दवा वितरण पूरी तरह ठप रहा। जबकि जिला अस्पताल में मरीजों के हंगामे के बाद ट्रेनी छात्रों से दवाएं वितरित कराई गई। दोनों अस्पतालों में मंगलवार को करीब ढाई हजार मरीज इलाज कराने पहुंचे। महिला अस्पताल में पैथोलॉजी जांच नहीं हुई। अल्ट्रा साउंड करने के लिए डॉक्टर तो पहुंचे मगर कर्मचारी ही नदारद रहे। मजबूरन 90 फीसदी मरीजों को वापस कर दिया गया।