यहां तो अपना 'उल्लू' सीधा करने में लगे लोग
- दीपावली में तंत्र पूजा के लिए हो रही उल्लुओं की तस्करी
- दिवाली पर मनचाही मुराद के लिए 15 सौ से लेकर 2 लाख तक के उल्लुओं की चढ़ेगी बलि - सिटी के मीरशिकार मुहल्ले में खुलेआम लग रही बेजुबानों की बोली GORAKHPUR:हां, बेशक, आप-हम इक्कीसवीं सदी में ही जी रहे हैं लेकिन इस सदी में भी 16वीं शताब्दी की सोच वालों की कोई कमी नहीं है। विज्ञान के इस युग में भी अंधविश्वास लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। दीपावली पर मनचाही मुराद और तंत्र साधना के लिए उल्लुओं की बलि चढ़ाने के लिए उनकी बोली लगाई जा रही है। धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी का वाहन समझे जाने वाले उल्लू की बलि देने के लिए लोग कर्ज तक लेने से गुरेज नहीं कर रहे। इसका खुलासा सिटी के रायगंज स्थित मीरशिकार मोहल्ले में आई नेक्स्ट टीम के स्टिंग में हुआ। यहां महीनों से उल्लुओं के लिए ऑर्डर बुक है। कई व्यापारी 'माल' लेने के लिए बाहर गए हैं। सभी लोगों के ऑर्डर की डिलीवरी दो दिन के अंदर दे देनी है।
दीपावली की रात चढ़ेगी बलिआई नेक्स्ट टीम के स्टिंग में खुलासा हुआ कि बड़े पैमाने पर जंगल व अन्य एरियाज से उल्लुओं को पकड़कर उनकी तस्करी की जा रही है। व्यापारी देश के अलग-अलग जगहों से उल्लुओं को खरीदकर ला रहे हैं। इनसे खरीदकर धन के लालची इनकी बलि देंगे। बताते हैं कि अपनी च्च्छा पूरी करने के लिए बेजुबानों को पकड़ने और बेचने वाले हर दीपावली से करीब दो-तीन महीने पहले ही सक्रिय हो जाते हैं। इस साल भी दीपावली आते ही इन बेजुबान प्राणियों का कत्लेआम करने की गुपचुप तैयारी जोर-शोर से चल रही है। हालांकि तंत्र साधना के लिए सालभर विशेष अवसरों पर इनकी बलि दी जाती रहती है।
सोहगीबरवा से लाते हैं उल्लू इस पेशे के जानकारों के मुताबिक महराजगंज स्थित सोहगीबरवा जंगल से सबसे अधिक उल्लू पकड़े जाते हैं। सोहगीबरवा के जंगलों से उल्लुओं को पकड़कर उसे आसपास के जिलों में मुंहमांगी कीमत पर बेचा जा रहा है। जानकारों की मानें तो इसके लिए कुछ विशेष तरह के उल्लुओं की अधिक डिमांड होती है। जिनके रेट 50 हजार से लेकर 2-3 लाख रुपए तक भी मिल जाते हैं। हालांकि रस्मअदायगी के नाम पर गोरखपुर में भी 15 सौ रुपए से 5 हजार रुपए तक के उल्लू चोरी-छिपे बेचे जा रहे हैं। तो ऐसे खुश होंगी मां लक्ष्मी?जानकारों के मुताबिक दीपावली की आधी रात में बलि चढ़ाए जाने वाले उल्लुओं में ब्राउन फिश ऑउल यानी कि भूरे रंग के उल्लू की कुछ अधिक ही डिमांड हैं। तांत्रिक पूजन में ऐसी मान्यता है कि इसके पैर काटकर बलि चढ़ाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपार धन की प्राप्ति होगी। वहीं बुद्धिजीवी इसे सिर्फ अंधविश्वास ही करार देते हैं। इनका मानना है कि किसी भी बेजुबान जानवर को मारने से कोई देवी-देवता प्रसन्न नहीं होते।
आई नेस्क्ट रिपोर्टर व उल्लू तस्कर की बातचीत रिपोर्टर : भाई उल्लू चाहिए, मिल जाएगा क्या? तस्कर : हां मिल तो जाएगा। लेकिन दो दिन बाद। रिपोर्टर : अभी चाहिए। मुझे बाहर भेजना है। तस्कर : था तो लेकिन दीपावली की वजह से सब बिक गया। रिपोर्टर : फिर कब मिलेगा? तस्कर : मेरे भाई माल लेने बाहर गए हैं। आप फोन मिलाओ वही बताएंगे। रिपोर्टर फोन पर : मैं आपकी दुकान पर आया हूं, उल्लू चाहिए। तस्कर : मिल जाएगा लेकिन दो दिन के बाद।रिपोर्टर : कैसा मिलेगा और कितने का?
तस्कर : आप जैसा चाहो मिल जाएगा। रिपोर्टर : मुझे भूरे रंग का चाहिए। तस्कर : आपको दीपावली पूजन के लिए चाहिए ना? रिपोर्टर : हां। तस्कर : सफेद, भूरा सब लेकर आ रहा हूं, 15 सौ से पांच हजार तक रेट है। रिपोर्टर : ठीक है मुझे कई चाहिए, रेट ठीक करो। तस्कर : आप बुधवार को आना, रेट लग जाएगा और माल भी सामने रहेगा। --------- एक्सपर्ट व डीएफओ का वर्जन