आज भी कायम है रुतबा 'छोटे साहब' का
क्रिसमस की बधाई पर आया फस्र्ट एसएमएसएसएमएस। जिसके बारे में अब यूथ क्या सीनियर सिटीजन से लेकर बच्चे तक जानते हैं। कोसों दूर बैठे अपने करीबी को बधाई देने या उस तक मैसेज पहुंचाने का इससे अच्छा कोई तरीका नहीं है। जिस तरह पहले बंद जुबान से पूरी कहानी आंखें कह देती थी, उसी तरह हजारों किमी दूर बैठे लोग बिना कुछ बोले एसएमएस के जरिए दिल की बात कह देते है। एसएमएस का पहला यूज 1992 में क्रिसमस की बधाई के हुआ था। उस समय कुछ ही लोग इसके बारे में जानते थे। उस टाइम एसएमएस का संदेश सिर्फ शब्दों में आता था। मगर आज हम पिक्चर और वीडियो भी भेज सकते हैं।5 रुपए से फ्री का सफर
एसएमएस जब स्टार्ट हुआ था, तब एक एसएमएस की कीमत 5 रुपए तक चुकानी पड़ती थी। मगर समय के साथ मोबाइल हाइटेक होता गया और सुविधा सस्ती। अब एक पैसे में एसएमएस इंडिया के किसी भी छोर में भेज सकते है। बल्कि कई कंपनीज इससे भी सस्ते ऑफर कस्टमर को दे रही हैं। स्टार्टिंग में एसएमएस सेवा कुछ चुनिंदा हैंडसेट में थी। मगर अब यह हर हैंडसेट में एसएमएस है। अकेले यूपी ईस्ट सर्किल में विभिन्न मोबाइल ऑपरेटर नेटवर्क के बीच डेली 2 से 3 करोड़ एसएमएस होते हैं। एसएमएस करने वालों में 60 परसेंट से अधिक यूथ है। पुराना है, पर पीछे नहींसमय बीतने के साथ मोबाइल में भी हाइटेक एप्स शामिल हो चुके है। जिसके जरिए सेकेंडों में मैसेज के साथ पिक्चर और वीडियो भी पहुंच जाते है। वाट्स-एप्प, बीबीएम मैसेंजर, निंबज, एफबी चैट, लाइन, वाइबर, फ्रिंग, वी-चैट, चैट-ऑन जैसे कई मैैंसेजर है, जिनके थ्रू लोग एक दूसरे के टच में है, मगर इन सबके बीच एसएमएस का क्रेज भी कम नहीं हुआ है। एसएमएस पर कई पाबंदियां लगने के बावजूद उसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। जहां पहले मोबाइल कंपनीज अनलिमिटेड मैसेज ऑफर करती थी, वहीं अब उनकी लिमिट 200 से 300 एसएमएस तक सिमट कर रह गई है। इसके बाद भी डेली इंडिया में करोड़ों एसएमएस हो रहे हैं। मेरी मोबाइल से काफी अच्छी यादें जुड़ी है। मैंने 2001 में मोबाइल खरीदा था। तब मैं जॉब में नहीं था। एक कंपनी ने मुझे ऑफर किया और मेरा बॉयोडाटा मांगा। मैंने तुरंत अपने फ्रेंड को एसएमएस किया और बॉयोडाटा भेजा। इसके बाद मेरी जॉब कंफर्म हो गई। तब से मेरी आदत है कि मेरे मोबाइल पर एसएमएस पैक कभी खत्म नहीं होता। पंकज
एग्जाम टाइम में एसएमएस मेरे किसी बेस्ट फ्रेंड से कम नहीं होता। मेरा पूरा फ्रेंड सर्किल एग्जाम टाइम में एसएमएस के सहारे ही बात करता है और जरूरत पडऩे पर क्वेश्चन पूछते है। क्योंकि एसएमएस से डिस्टर्बेंस नहीं होता है।मोनिस सिद्दीकी