मन का विश्वास दूर करेगा नशे से
- वर्ल्ड नो टोबैको डे स्पेशल
- एक शौक छीन रहा जिंदगी, बर्बाद कर रहा पूरा परिवारGORAKHPUR : कभी शौक, कभी स्टेट्स सिंबल, कभी फैशन तो कभी डिप्रेशन दूर करने की दवा समझ कर यूथ धड़ल्ले से टोबैको का यूज कर रहे हैं। महंगाई की मार पड़ने और जानलेवा होने के बावजूद यूथ टोबैको से लड़ने के बजाए उसके प्रति क्रेजी बनते जा रहे हैं। जिससे न सिर्फ कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं, बल्कि परिवार के परिवार बर्बाद हो रहे हैं। इस जानलेवा टोबैको के बारे में जानकारी होने के बावजूद इसे छोड़ना किसी के लिए आसान नहीं होता। पहले शौक में और फिर बीमारी में लाखों रुपए खर्च करने के बाद जब कोई नशे का लती इसे छोड़ने का प्रयास करता है तो उसके लिए किसी बार्डर की जंग जीतने से कम परेशानी नहीं होती। हालांकि नशा न छोड़ने के पीछे मुख्य वजह आत्मसंकल्प में कमी होती है।
फॉर योर इंफॉर्मेशन - इंडिया में हर साल 18 लाख लोगों की मौत टोबैको और स्मोकिंग से होती है। -?स्मोकिंग से होने वाले कैंसर से हर साल करीब 5.35 लाख लोगों की मौत हो जाती है। - मरने वालों में 42 परसेंट पुरुष हैं और 18 परसेंट महिलाएं।- 2030 तक इंडिया में एक करोड़ 15 लाख लोगों की मौत की वजह टोबैको होगा।
- न रुका यूज तो 2030 में मर जाएंगे 1 करोड़ 15 लाख लोग - सिटी में आने वाले कैंसर पेशेंट्स में 40 परसेंट केस टोबैको के होते है। जिसमें 25 परसेंट मुंह के कैंसर के होते है तो 15 परसेंट फेफड़े के कैंसर के। ये पड़ता है इफेक्ट - चक्कर आना - पैर लड़खड़ाना - बहरापन बढ़ना - पाचन क्रिया डिस्टर्ब होना - कब्ज - अपच - ब्लड प्रेशर - स्किन सुन्न पड़ना - खांसी, गले में दर्द - दमा - तपेदिक दस रुपए में मिलती है हजारों की बीमारी कैंसर - खर्च ओंठ का कैंसर - 50 हजार रुपए जीभ का कैंसर - 90 हजार रुपए गले का कैंसर - 50 हजार रुपएगाल का कैंसर - 50 हजार रुपए
तालू का कैंसर - 60 हजार रुपए
फेफड़े का कैंसर - 70 हजार रुपए लैरिक्स का कैंसर - 50 हजार रुपए गुर्दा का कैंसर - 70 हजार रुपए जब तक नहीं लेंगे संकल्प नहीं छूटेगी आदत आखिर इस लत को कैसे छोड़ा जा सकता है, इस बारे में जब आई नेक्स्ट ने एक्सपर्ट काउंसलर और डॉ। संदीप श्रीवास्तव से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि नशा कुछ इस तरह छोड़ा जा सकता है। आत्मसंकल्प - नशा जैसे शुरू किया जाता है, वैसे ही छोड़ा भी जाता है। मतलब जिस तरह शौक से नशा शुरू करते हैं, उसी तरह दृढ़ संकल्प लेकर उसे छोड़ सकते हैं।सडेन छोड़ना - नशे को छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका है सडेन। किसी भी बात को गंभीरता से लें और तुरंत नशा छोड़ने का फैसला ले लें। हालांकि ये तरीका उन लोगों पर लागू नहीं होता, जिन्हें मेडिकल एडिक्शन हुआ है। मेडिकल एडिक्शन वालों को धीरे-धीरे छोड़ने के साथ किसी स्पेशलिस्ट के सुपरविजन में रहना चाहिए।
खुद की इच्छा - नशा करने वाला व्यक्ति जब तक खुद इसे छोड़ने की मन में इच्छा नहीं बनाएगा, तब तक नशा छोड़ना मुश्किल नहीं बल्कि नामुमकिन है। दुष्परिणाम की जानकारी - नशा करने वाले व्यक्ति को इसके दुष्परिणाम की विस्तार से जानकारी देनी चाहिए। ऐसे मरीजों से मिलवाना चाहिए, जो इसकी सजा पा रहे हो। काउंसलिंग - नशा करने वाले व्यक्ति की काउंसलिंग जरूरी है। काउंसलर 90 परसेंट मामलों में सफल होते हैं।