लगाते रहे चक्कर फिर भी नहीं बनी रोड
- आधा दर्जन सड़कों के लिए कई बार अफसरों से मिली जनता
- हर बार आश्वासन के बाद भी अफसरों की नहीं खुल रही नींद GORAKHPUR : नगर निगम को केवल बड़ी सड़कों की फिक्र है। गली-मोहल्लों की रोड्स सालों अफसरों की नजरे इनायत का इंतजार करती रहती हैं। पब्लिक चक्कर पर चक्कर लगाती रहती है और काम अटका रहता है। आश्वासन पर सड़कें जिंदा रहती हैं, लेकिन हकीकत में कभी नहीं बनती। बाहरी एरिया में सबसे ज्यादा प्रॉब्लमवार्ड नं 22 के पार्षद चंद्रभान प्रजापति का कहना है कि मुख्य सड़क को बनाने के लिए सभी प्रस्ताव दे देते हैं, लेकिन छोटी-छोटी गलियों के लिए टेंडर नहीं हो पाता है। ऐसे काम कोटेशन द्वारा होते है, लेकिन पिछले 9 माह से एक वार्ड में केवल तीन कोटेशन का नियम बनने के बाद इन रोड्स की मरम्मत नहीं हो पा रही है। मेरे ही वार्ड में ऐसे कम से कम आधा दर्जन सड़क और नाली के काम पड़े हुए हैं। सेमरा के पार्षद प्रतिनिधि चंद्रशेखर यादव बताते हैं कि उनके यहां पिछले तीन साल में एक भी गली का निर्माण नहीं हुआ है।
टूटी गलियों से गुजरने को मजबूरसिटी में सबसे अधिक प्रॉब्लम मोहल्ले की गलियों में है। इन गलियों से होकर डेली 100 से 200 लोग आते-जाते हैं। टूटी सड़कों पर ऑफिस, स्कूल जाने वाले लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अफसरों के पास जाने पर वे आश्वासन की घुट्टी पिला देते हैं, सड़कें कभी नहीं बनती।