अपना सचिवालय ही दुरुस्त नहीं रख पा रही लोकल गवर्नमेंट
- पंचायतों में ग्राम सचिवालयों का बुरा हाल, कहीं जर्जर तो कहीं अधूरे पड़े हैं पंचायत भवन
- नए प्रधान से लेकर एडीओ पंचायत तक हैं उदासीन GORAKHPUR: गांवों में नई सरकार के गठन के तीन माह हो चुके हैं। इस दौरान लोकल सरकार के अगुआ प्रधान से लेकर इसके अधिकारी विकास तो दूर, अपना ही सचिवालय दुरुस्त नहीं करा पाए हैं। गांवों के विकास और समस्याओं पर चर्चा के लिए सभी जगह पंचायत भवन के लिए सरकार ने लाखों रुपए दिए। कहीं निर्माण अधूरा है तो कहीं भवन बनकर जर्जर भी हो गया लेकिन कभी बैठक नहीं हुई। इस संबंध में प्रधान से लेकर एडीओ पंचायत तक गंभीर नजर नहीं आते। सवाल उठता है कि ऐसी उदासीनता के सहारे गांव की सरकार कैसे काम करेगी और उसमें आम आदमी की सहभागिता कैसे सुनिश्चित हो पाएगी? भवन में लगे पंखे भी खोल ले गएचारगांवा ब्लॉक के रामपुर गोपालपुर ग्राम सभा में 3 वर्ष पहले सचिवालय भवन का निर्माण कराया गया था। इसके लिए समाज कल्याण विभाग ने 11 लाख का टेंडर जारी किया था। अक्टूबर 2012 में इसका काम पूरा हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद इसकी फर्श टूटने लगी। इस कारण तत्कालीन ग्राम प्रधान संगम सिंह ने इसे गांव को हैंडओवर नहीं कराया और विभाग को चिठ्ठी लिखी। एडीओ पंचायत ने जांच तो जरूर की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालत यह है कि भवन की खिड़कियां टूटने लगी हैं। पंखे चोर खोल ले गए। न तो गांव के सेक्रेटरी और न ही समाज कल्याण विभाग ही इस ओर ध्यान दे रहा है। चरगांवा एडीओ पंचायत का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी ही नहीं है। सेक्रेट्री से पता कर कार्रवाई करेंगे। वहीं सेक्रेट्री का कहना है कि उन्होंने विभाग को कई पत्र लिखे। जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
मैं समाज कल्याण विभाग को लिख चुका हूं कि सचिवालय पूर्ण नहीं बना है। इसे पूरा कराया जाए। - राम दया पासवान, प्रधान, रामपुर गोपालपुर दुबौली ग्राम पंचायत भी खस्ताहाल बड़हलगंज विकास खंड के खडे़सरी ग्राम सभा के दुबौली स्थित ग्राम पंचायत इन दिनों खस्ताहाल है। इस संबंध में जब ग्राम प्रधान सुनील सोनकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब बजट मिलेगा तभी इसकी मरम्मत कराई जा सकेगी। तब तक किसी सार्वजनिक स्थल पर मीटिंग करवाने की व्यवस्था की जाएगी। कई पंचायतों में तो भवन ही नहींविकास खंड खोराबार में कुल 52 ग्राम सभा हैं। इनमें से झंगहा थाना क्षेत्र में झंगहा, जंगल गौरी नं। एक, जंगल गौरी न। दो उर्फ अमहिया, लक्ष्मीपुर, बरगदवां चकदेईया, सेमरौना, गहीरा, शिवपुर व मोतीराम मिलाकर कुल 9 ग्राम सभाएं पड़ती हैं। इनमें से दो सेमरौना व बरगदवां में पंचायत भवन नहीं है। 1995 से पहले ये दोनों ग्राम सभाएं एक थीं लेकिन 2016 के पंचायती चुनाव में दोनो को अलग कर दिया गया। दोनों ग्राम सभाओं के पंचायत भवन जर्जर होकर ढह गए हैं।
ग्राम प्रधान सेमरौना रामनाथ यादव व चकदेईया बरगदवां के प्रधान रामनवल यादव ने बताया कि जब तक नया पंचायत भवन नही बन जाता तब तक प्राथमिक विद्यालय में ग्राम सभा की बैठक व अन्य ग्राम सभा की कार्यवाही होगी। यहां तो पंचायत भवन में उप डाकघर कुसम्ही बाजार स्थित पंचायत भवन में तो उपडाकघर चल रहा है। बाजार निवासी शेषनाथ जायसवाल पुत्र स्व। सीताराम जायसवाल ने इसकी शिकायत भी की। इस संबंध में पिछले महीने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर बीडीओ पिपराइच चन्द्रजीत यादव, ग्राम पंचायत अधिकारी सलीम उल्लाह आदि ने मौके पर पहुंचकर जांच की थी। ग्राम प्रधान रुद्रापुर व अन्य लोगों से इस मामले की जानकारी ली थी। कुछ दिनों के लिए मांगा था भवनवर्ष 2000 में ग्राम प्रधान रही ज्योति देवी के पुत्र रामआसरे गुप्ता का कहना है कि पोस्टऑफिस के कर्मचारियों के आग्रह पर उनकी मां ने व्यवहारिक तौर पर कुछ समय के लिए पंचायत भवन में पोस्टऑफिस संचालन की सहमती दी थी। यह निशुल्क ही रखा गया था। खंड विकास अधिकारी चंद्रजीत यादव ने मुख्य विकास अधिकारी को आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेज दी। अब भी पंचायत भवन में ग्रामसभा की कोई मीटिंग नहीं हुई।
रखी जाती हैं लकड़ी गोइठा उरूवा ब्लॉक क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों में बने पंचायत भवन या तो बंद पड़े हैं या उनमें लकड़ी गोइठा रखा हुआ है। कुछ में ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारने की लबनी रखी हुई है तो कहीं पंचायत भवनों के हैंडपंप खराब पड़े हैं। इस बारे में खंड विकास अधिकारी उरूवा से बात की गई तो उन्होंने कहा की ब्लॉक क्षेत्र में कितने पंचायत भवन हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। शिकायतें मिल रही हैं कि पंचायत भवन का उपयोग नहीं हो रहा है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सुनिश्चित करेंगे कि पंचायत भवन में ही गांवों की पंचायत हो।