इस्लामी माह शाबान का चांद मंगलवार को नजर आ गया. बुधवार को माह-ए-शाबान की शुरुआत हो जाएगी. उलमा किराम ने ऐलान किया कि शब-ए-बरात पर्व मंगलवार 7 मार्च को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा.


गोरखपुर (ब्यूरो)।इस्लामी कैलेंडर के माह शाबान को पंद्रहवीं तारीख की रात को शब-ए-बरात के नाम से जाना जाता है। छुटकारे की है रातमौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि माह-ए-शाबान बहुत मुबारक महीना है। यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना है। इसके बाद माह-ए-रमजान आएगा। कारी मोहम्मद अनस रजवी ने बताया कि शब-ए-बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात या निजात की रात। इस्लाम धर्म में इस रात को महत्वपूर्ण माना जाता है। हदीस शरीफ में है कि इस रात में साल भर के होने वाले तमाम काम बांटे जाते है जैसे कौन पैदा होगा, कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी आदि। कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की दुआ करते हैं। खुराफात से बचें लोग
मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम ने बताया कि इस दिन नफिल नमाज व तिलावत-ए-कुरआन से अपना मुकद्दर संवारने की दुआ करें। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करें। आतिशबाजी, बाइक स्टंट और खुराफाती बातों से बचने की जरूरत है। उन्होंने गुजारिश की है कि जिनकी फर्ज नमाजें कजा (छूटी) हो उनको नफिल नमाजों की जगह फर्ज कजा नमाजें पढ़ें।

Posted By: Inextlive