इस साल मिल जाएगा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
- दो साल सिटी में नहीं दिखेगा गंदा पानी
- केंद्रीय कमेटी ने दी स्वीकृत, राज्य सरकार ने दी डीपीआर बनाने के लिए 50 लाख रुपए द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: जल भराव और बाढ़ से जुझते रहने वाले गोरखपुराइट्स को जल्द ही राहत मिलने वाली है। सिटी में पानी निकालने के लिए कवायद शुरू हो चुकी है। जल निगम सिटी में सीवरेज बिछाने के लिए सर्वे और डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है। नगर आयुक्त राजेश कुमार त्यागी ने बताया कि सर्वे और डीपीआर का काम छह माह में पूरा हो जाएगा। इसके बाद दो साल में पूरे शहर में सीवरेज की लाइन बिछाने का काम पूरा करने का टारगेट है। यह योजना कुल 3 हजार करोड़ रुपए की है। इसके डीपीआर बनाने में कुल 2 से 3 करोड़ खर्च होंगे। शुद्ध होगी राप्ती नदीसिटी का गंदा पानी राप्ती नदी में 9 नालों से गिरता है। इससे राप्ती नदी का पानी गंदा हो जाता है। इसकी शिकायत पिछले साल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक केस दायर हुआ, जिसमें नगर निगम पर राप्ती नदी में नाले का पानी गिराने का आरोप लगाया गया। नगर आयुक्त ने बताया कि जिन नालों से पानी गिराया जाता है, उन्हें एक जगह जोड़ा जाएगा, वहां वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर उसके बाद यह पानी राप्ती नदी में गिराया जाएगा। जिससे कि बाढ़ की प्रॉब्लम तो सॉल्व हो सके, साथ में राप्ती को भी गंदी होने से बचाया जा सके।
कुछ हिस्से में है वाटर सीवरेज नगर निगम बनने के बाद सिटी में सीवरेज की लाइन बेतियाहाता, गोलघर, मियां बाजार और नेताजी सुभाष चंद बोस नगर कॉलोनी में बिछी हुई है। नगर आयुक्त का कहना है कि सीवरेज लाइन उस समय की आबादी के हिसाब से 3 फीट चौड़ी बिछाई गई थी, लेकिन वर्तमान में अधिक पानी निकलने की वजह से यह सीवरेज अक्सर जाम हो जाते हैं। जिसके कारण पानी सड़क पर बहने लगता है। गोरखपुर में सीवरेज की बहुत ही आवश्यकता है। सिटी में सीवरेज प्रोजेक्ट बनाने के लिए कुल 2 करोड़ रुपए की जरूरत है। हमको जितना जल्द पैसे मिलेगा हम उतने ही जल्द प्रोजेक्ट बनाकर तैयार कर देंगे। अभी कुछ पैसा मिला है, उससे कुछ काम शुरू कर दिया गया है। एमसी श्रीवास्तव, जल निगम