शिक्षा कराती है राष्ट्रीयता का बोध
- डीवीएनपीजी कॉलेज में ट्यूज्डे से शुरू हुई सात दिवसीय व्याख्यान माला
GORAKHPUR : शिक्षा राष्ट्रीयता का बोध कराती है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने स्वतंत्र भारत की शिक्षा का एक स्पष्ट चित्र भारतीय संसद में भी रखा था और उसे क्रियान्वित करने के लिए गोरक्षपीठ के शैक्षिक प्रकल्प के रूप में एमपी शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। इसी शिक्षा परिषद की महत्वपूर्ण संस्था महाराणा प्रताप महाविद्यालय और उसका परिसर आगे चलकर गोरखपुर यूनिवर्सिटी के खुलने की आधारशिला बना। यह बातें ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज स्मृति व्याख्यानमाला के उद्घाटन सत्र के दौरान बीएचयू, वाराणसी शिक्षा संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो। हरिकेश सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि भारत की अस्मिता ऋषियों और तपस्वियों की दी हुई शिक्षा के कारण बची हुई है। इसमें नाथ परंपरा के सिद्ध योगियों का महान योगदान रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमपी शिक्षा परषिद के उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्रो। उदय प्रताप सिंह ने ब्रह्मलीन महाराज जी की स्मृतियों को उकरेते हुए उनके व्यक्तित्व की उज्जवलता एवं उनके शैक्षिक अवदान को रेखांकित किया। इस मौके पर सभी अतिथियों का आभार ज्ञापन कॉलेज प्रिंसिपल डॉ। शेर बहादुर सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ। भगवान सिंह ने किया। इस मौके पर डॉ। शैलेंद्र प्रताप सिंह, डॉ। सत्येंद्र प्रताप सिंह, डॉ। राजशरण शाही, डॉ। नीरज कुमार सिंह, रिटायर्ड टीचर डॉ। रघुनाथ चंद्र, डॉ। राणाप्रताप चंद, डॉ। नरेश चंद्र ग्वाड़ी, डॉ, शीला सिंह व डॉ। उदय प्रताप सिंह समेत कई टीचर्स व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।