रिश्तों की डोर मजबूत करने के लिए हुआ मंथन
- एमपीपीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में नेशनल सेमिनार की क्लोजिंग सेरेमनी
- भारत-नेपाल के रिश्तों की डोर मजबूत करने के लिए जुटे थे दिग्गज GORAKHPUR : सिटी के महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में संडे को नेशनल सेमिनार की क्लोजिंग सेरेमनी ऑर्गेनाइज की गई। ख्क्वीं शताब्दी में भारत-नेपाल संबंध : चुनौतियां और विकल्प, टॉपिक पर ऑर्गेनाइज इस सेमिनार में फील्ड के दिग्गजों ने रिश्तों की डोर को मजबूत करने के लिए मंथन किया। क्लोजिंग सेरेमनी के चीफ गेस्ट अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ। बाल मुकुंद पांडेय रहे। उन्होंने बताया कि ख्क्वीं सदी में संबंध सुनिश्चित करने के लिए नेपाल को नए संदर्भ में समझने की जरूरत है। संवेदना के साथ-साथ सावधानी भी जरूरी है। डोर को मजबूत करने के लिए सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक वर्तमान परिवेश में इसकी समीक्षा करनी होगी। संधि का हो सम्मानप्रोग्राम की अध्यक्षता डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो। आरपी यादव ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच की गई क्9भ्0 की संधि का सम्मान करना चाहिए। साथ ही इस संधि की दोबारा पूरी समीक्षा करनी चाहिए। स्पेशल गेस्ट के तौर पर डॉ। राजबहादुर सिंह ने राजनीतिक मंच पर इसी भाव से विचार करने की बात कही। इस दौरान 'हिमालयी क्षेत्र और भारत' टॉपिक पर बीएचयू के प्रो। टीपी वर्मा ने अपनी रिसर्च और फाइंडिग्स शेयर कीं।
मानविकी का हुआ विमोचन प्रोग्राम के दौरान रिसर्च पेपर पर बेस्ड बुक मानविकी का विमोचन किया गया। वहीं प्रो। महेश कुमार शरण की बुक 'पर्यटक का देश थाईलैंड' और डॉ। कुंवर बहादुर कौशिक की बुक 'हिंदु सम्राट हेमु विक्रमादित्य' का विमोचन किया गया। इस दौरान इतिहास के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए डॉ। कुंवर बहादुर कौशिक और संस्कृत साहित्य में विशेष योगदान के लिए डॉ। सुशील कुमार पांडेय को सारस्वत सम्मान दिया गया। इस दौरान महाराष्ट्र, बिहार, एमपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, यूपी और नेपाल के म्8 रिसर्च स्कॉलर्स और क्भ् विद्वानों के रिसर्च पेपर पढ़े गए।