..तो भयावह हो जाएगा वातावरण
- सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज में दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस में
- साइंटिस्ट और शिक्षाविद ने जलवायु परिवर्तन पर रखे विचार और जताई चिंता GORAKHPUR: जलवायु परिवर्तन के कारण प्लांट्स और एनिमल्स विलुप्त होते जा रहे हैं, जो चिंता का विषय है। इसका इफेक्ट मानव जीवन के रहन-सहन पर पड़ रहा है। इससे हमारे प्राकृतिक और अप्राकृतिक संसाधनों को भी क्षति पहुंच रही है। अगर इसी तरह पर्यावरण असंतुलन बढ़ता रहा तो आने वाली जनरेशन के लिए वातावरण और भयावह हो सकता है। यह बातें सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज में 'चैलेंज्ड ऑफ बॉयोलॉजिकल एंड एन्वॉयरमेंटल साइंस इन ख्क् सेंचुरी' सब्जेक्ट पर आधारित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के दौरान चीफ गेस्ट गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार यूनिवर्सिटी के प्रो। बीडी जोशी ने कही। इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी हैनेशनल कांफ्रेंस की अध्यक्षता कर रहे डीडीयूजीयू के वीसी प्रो। अशोक कुमार ने कहा कि किसान पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहता है। ऐसे में पर्यावरण का असंतुलन बहुत गंभीर बात है। इसलिए इसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसी क्रम में कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से आए प्रो। रोहताश चंद्र गुप्ता ने कहा कि रूरल एरिया में आने वाले प्रवासी पक्षियों की जीवन शैली कठिन होती जा रही है। जिसे सरल बनाना होगा। गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी से आए प्रो। वीके गर्ग ने वर्मी कम्पोस्ट के बारे में बताया कि फैक्ट्रियों से निकलने वाले ठोस कचरा पदार्थ को केचुओं के द्वारा केचुआ खाद बनाया जा सकता है, जिसका लाभ वनस्पतिक पर्यावरण को मिलेगा। इस मौके पर तकनीकी सेशन में कुल क्म् शोध पत्र भी पढ़े गए।
प्रिंसिपल ने किया गेस्ट का स्वागत नेशनल कांफ्रेंस की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यर्पण एवं दीप प्रज्जवलन से किया गया। मंचासीन चीफ गेस्ट और कार्यक्रम अध्यक्ष का परिचय एवं स्वागत कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। रीना त्रिपाठी ने किया। मंच पर उपस्थित प्रबंध समिति के मेंबर डॉ। महेंद्र अग्रवाल ने कॉलेज परिचय और आयोजन सचिव डॉ। ब्रजेश मणि त्रिपाठी ने कांफ्रेंस की रूपरेखा प्रस्तुत की। आभार ज्ञापन कॉलेज के प्रमुख शिवजी सिंह ने किया। इस मौके पर टीचर्स के साथ स्टूडेंट्स मौजूद रहे। पॉल्यूशन फ्री के लिए डेवलपमेंट विथ आउट डिस्ट्रक्शननेशनल कांफ्रेंस में आए साइंटिस्ट प्रो। जीसी पाण्डेय ने आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि हमारे देश में पॉल्यूशन, पॉपुलेशन और पॉवर्टी की सबसे बड़ी समस्या है। जैसे ही पॉपुलेशन बढ़ेगा लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की डिमांड भी बढ़ेगी। जब डिमांड बढ़ेगी तो पॉल्यूशन भी बढ़ना स्वाभाविक है। इसलिए हमें पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए अवेयर रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में सिवेज, एयर और वेस्ट पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा प्रभाव है। जिसके चलते यहां पाल्यूशन की समस्या सबसे ज्यादा है। जिसे दूर करने के लिए डेवलपमेंट विथ आउट डिस्ट्रक्शन अपनाना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि जितनी ही टेक्नोलॉजी बढ़ेगी, उतनी ही पॉल्यूशन का खतरा भी बढ़ेगा। खासतौर से नैनो टक्नोलॉजी से, क्योंकि नैनो टेक्नोलॉजी में मरकरी, कॉपर और लेड आदि का इस्तेमाल ज्यादा होता है, इसलिए इसकी रोकथाम बेहद जरूरी है।