-मैट कवर फटा, नहीं हो सकेगी प्रैक्टिस

GORAKHPUR: सिर्फ दौड़ कर और एक्सरसाइज कर क्या कुश्ती में मेडल जीता जा सकता है। जवाब होगा नहीं। क्या दौड़ कर और अन्य फिजिकल टेस्ट के आधार पर पहलवान का सेलेक्शन किया जा सकता है। इसका भी आंसर होगा नहीं। दो पहलवानों के बीच बिना कुश्ती लड़ाए, कौन बेहतर है, यह बताया जा सकता है? उत्तर होगा नहीं। ये उत्तर देने वाले खिलाड़ी नहीं बल्कि खेल से दूर-दूर संबंध न रखने वाले लोग भी हैं। इसके बावजूद खेल विभाग कुछ ऐसे ही प्रॉसेस से पहलवानों के सेलेक्शन करने की जुगत में लगा है। रीजनल स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में स्टेट लेवल का एक कैंप लगा है। इस कैंप के आधार पर हॉस्टल में एडमिशन के लिए फाइनल सेलेक्शन किया जाना है। जबकि कैंप में प्रैक्टिस होना बहुत मुश्किल है। क्योंकि प्रैक्टिस के लिए मैट कवर ही नहीं है।

जुगाड़ से होगी प्रैक्टिस

रीजनल स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में हॉस्टल के एडमिशन के लिए फाइनल कैंप ख्भ् मार्च से भ् अप्रैल के बीच लगा है। कैंप का हिस्सा बनने के लिए फ्फ् खिलाडि़यों का सेलेक्शन किया गया है। कैंप में गोरखपुर के क्0 के अलावा इलाहाबाद से ख्, वाराणसी से म्, आजमगढ़ से 7, सहारनपुर से एक, बस्ती से ख्, मेरठ से एक, आगरा से एक, मिर्जापुर से ख् और बांदा से एक खिलाड़ी आया है। कैंप के पहले दिन फिजिकल टेस्ट के साथ कोच हरीराम ने ट्रेनिंग शुरू करा दी है। वहीं प्रैक्टिस के लिए हाल के अंदर रखे मैट का बुरा हाल है। खिलाडि़यों को अधिक नुकसान न हो इसके लिए कवर को जुगाड़ से मैट पर लगाया गया है। जिससे किसी तरह प्रैक्टिस हो सके। हालांकि कवर की हालत बहुत खराब है। कवर को देख यह कहना मुश्किल है कि प्रैक्टिस मुमकिन है भी या नहीं।

कैसे होगी क्भ्0 खिलाडि़यों की प्रैक्टिस

कैंप के लिए प्रदेश से फ्0 खिलाड़ी सेलेक्ट कर गोरखपुर भेजे गए हैं। वहीं हॉस्टल के खिलाड़ी मिला कर पहले से यहां करीब क्ख्भ् से अधिक पहलवान रेगुलर प्रैक्टिस करते हैं। मतलब क्भ्0 से अधिक रेसलर को एक साथ प्रैक्टिस कराना काफी मुश्किल साबित होगा। इतनी भीड़ में नए खिलाडि़यों को सीखने का मौका मिलेगा या पुराने खिलाडि़यों की प्रैक्टिस पर ब्रेक लगेगा, यह देखने लायक होगा। क्योंकि दोनों एक साथ करना मुश्किल है।

मैट कवर देख हताश हैं स्टूडेंट्स

स्टेट लेवल पर दम दिखाने के बाद कैंप में शामिल हुए सभी फ्0 खिलाड़ी बड़ी उम्मीद लेकर स्टेडियम आए हैं। मगर हाल में लगे रेसलिंग मैट को देख वे सभी टेंशन में हैं। गोरखपुर के ही एक पहलवान ने बताया कि अगर मैट पर प्रैक्टिस नहीं करेंगे तो कैसे सीखेंगे। हम अपना टैलेंट भी नहीं दिखा पाएंगे। वाराणसी से आए एक खिलाड़ी ने बताया कि बिना मैट पर प्रैक्टिस किए अगर सेलेक्शन हुआ तो सबसे बेहतर पहलवान भी बाहर हो सकता है। आजमगढ़ के एक खिलाड़ी ने कहा कि स्टेट लेवल में दम दिखाने के बाद कैंप के लिए सेलेक्शन हुआ है। अब यहां भी ऐसी हालत मिलेगी, यह तो सोचा भी नहीं था।

वर्जन-

स्टेडियम के रेसलिंग हाल में लगे मैट का कवर फट गया है। इसकी जानकारी निदेशालय को दी गई है। मैच कवर ख्भ् मार्च के पहले मिल जानी चाहिए थी। किन्ही कारणवश नहीं मिली है। उम्मीद है कि फ्क् मार्च के पहले मैट कवर आ जाएगा।

अश्विनी कुमार सिंह, रीजनल स्पो‌र्ट्स अफसर

बिना प्रैक्टिस के मेडल की उम्मीद करना गलता है। उसी तरह मैट के बिना प्रैक्टिस करना भी गलत है। अगर मैट कवर नहीं होगा तो उस पर प्रैक्टिस संभव नहीं है। ऐसे में खिलाड़ी के टैलेंट को पहचानना बहुत मुश्किल होगा।

नरसिंह पंचम यादव, मेडलिस्ट व‌र्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप

कवर के बिना मैट बेकार है। उस पर प्रैक्टिस नहीं हो सकती। जब मैट पर प्रैक्टिस नहीं होगी तो कैसे मालूम पड़ेगा कि कौन रेसलर कितना टैलेंटेड है। क्योंकि हॉस्टल देश के लिए मेडल जीतने वालों की पहली सीढ़ी है।

संदीप यादव, मेडलिस्ट व‌र्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप

Posted By: Inextlive