ए फॉर अरेस्ट, बी फॉर बीटेन पढ़ रहे हैं नन्हें मासूम
- महिला थाना स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने को बाध्य हैं स्टूडेंट्स
- महिला थाना और प्राथमिक विद्यालय के बीच में दीवार के लिए शिक्षा विभाग से अवगत करा चुकी हैं हेड मास्टरGORAKHPUR: ए फॉर एप्पल, बी फॉर ब्वॉय, सी फॉर कैट पढ़ने की उम्र में नन्हें मासूम ए फॉर अरेस्ट, बी फॉर बीटेन और सी फॉर क्राइम का पाठ पढ़ रहे हैं। यह हाल कहीं और का नहीं बल्कि गोरखपुर के एक प्राथमिक विद्यालय का है, जहां मासूमों पढ़ाई के साथ ही आज के समाज में होने वाली हिंसा और उसके बाद होने वाले पुलिसिया एक्शन की कहानी लाइव देख रहे हैं और पढ़ाई के साथ ही क्राइम का ककहरा भी सीख रहे हैं। महिला थाना कैंपस स्थित इस प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं, लेकिन जिम्मेदार सब कुछ जानने के बाद भी अंजान बने हुए हैं। इसके लिए स्कूल की हेडमास्टर कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगा चुकी हैं, मगर अब भी यह स्कूल थाना कैंपस से शिफ्ट नहीं हो सका है।
पढ़ने को हैं बाध्य स्टूडेंट्सगोरखपुर जनपद का एक मात्र महिला थाना जहां रोजाना पारिवारिक कलह और महिला उत्पीड़न से जुड़े संबंधित दर्जनों मामले आते हैं। सुबह से लेकर शाम तक फरियादियों का जमवड़ा लगा रहता है। इस सबके बीचकक्षा 5 तक के स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि महिला थाना कैंपस में बने प्राथमिक विद्यालय की हेड मास्टर श्यामपति देवी थाने और स्कूल के रास्ते को अलग कराने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगा चुकी हैं। वहीं इनके बीच दीवार चलाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
चले जाते हैं महिला थानावह बताती हैं कि विद्यालय में कुल 61 स्टूडेंट्स हैं। इनको महिला थाना कैंपस में पढ़ाना बेहद मुश्किल हैं। बच्चे अक्सर महिला थाना के नजदीक चले जाते हैं। जहां पर महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर सुलह समझौते होते रहते हैं। बच्चों को डांट फटकार उन्हें फिर से क्लास रूम तक लाया जाता है, मगर बीच-बीच में वह दोबारा वहां पहुंच जाते हैं। इसके लिए दो टीचर्स की ड्यूटी भी लगाई गई है। वह स्टूडेंट्स को महिला थाने के नजदीक जाने से रोकते हैं। हेडमिस्ट्रस की मानें तो अगर प्राथमिक विद्यालय और महिला थाने के बीच में एक दीवार का निर्माण हो जाए तो यह समस्या दूर हो सकती है। जब तक शिक्षा विभाग और पुलिस दोनों एक साथ निर्णय नहीं लेते, तब तक यह समस्या बनी रहेगी।
महिला थाने जाना है मजबूरी उधर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने एक सुर में कहा कि उनके विद्यालय में न तो टॉयलेट की व्यवस्था और ना ही पीने के पानी। ऐसे में अगर वह महिला थाने के गेट के पास नहीं जाएंगे, तो फिर कहां जाएंगे? वह आरओ का पानी पीने के लिए महिला थाने की तरफ जाते हैं। बच्चों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री टॉयलेट बनाने की बात करते हैं। जहां सोच वहीं शौचालय का जगह-जगह नारा लग रहा है लेकिन यह एक ऐसा विद्यालय हैं जहां न तो टॉयलेट है और ना ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था। महिला थाना कैंपस में चल रहे प्राथमिक विद्यालय के स्टूडेंट्स को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। दीवार निर्माण के लिए इस बजट में उसे बनाया जाएगा। जो भी दिक्कतें आ रही हैं। सब दूर कराउंगा। ओमप्रकाश यादव, बीएसए, बेसिक शिक्षा कार्यालय, गोरखपुर