Gorakhpur News : स्कूली बच्चों को हो रहा स्पॉन्डिलाइटिस, खतरा है भारी बस्ता
गोरखपुर (ब्यूरो)। यह सिर्फ एक केस है, पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में हुई स्टडी मेें खुलासा हुआ है कि ऐसे अलग-अलग केस अब सामने आ रहे हैं। दरअसल, आर्थोपेडिक्स डॉ। पवन प्रधान व डॉ। अमित मिश्रा की टीम ने ओपीडी में आने वाले 275 बच्चों पर स्टडी की। उनकी हिस्ट्री ली गई तो पाया गया कि भारी बस्ता के कारण उनके बैक पेन और कंधे में दर्द होने लगा है। दरअसल, स्कूली बैग में कॉपी और किताब समेत लंच बॉक्स होने से करीब एक बस्ते का वजन 10-15 किलो तक पहुंच जाता है। यही वजह है कि बच्चों में बैक पेन जैसे मामले आ रहे हैैं। बच्चे उठा रहे ज्यादा वजन
बच्चों पर हुई स्टडी में सामने आया कि बच्चे अपने वजन का 20-25 परसेंट वजन स्कूली बस्तों के रूप में उठा रहे है। डॉक्टर्स के मुताबिक रोजाना भारी स्कूल बैग उठाने से बच्चो में आगे चलकर स्पांडलाइटिस, झुकी हुई कमर और पोस्चर से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। मेडिकल साइंस के अनुसार बच्चे के वजन का 10 परसेंट वजन ही बच्चों को उठाने के लिए सलाह दी गई है। इससे ज्यादा वजन उठाने पर उनके हाथ, पैर और कंधों में दर्द के साथ लंबाई पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
किस उम्र के बच्चे के लिए कितने वजन का होना चाहिए स्कूली बस्ता- 5 साल के बच्चे के लिए - 1 किलो- 6 साल के बच्चे के लिए - 2 किलो से कम- 7 साल के बच्चे के लिए - 2 किलो- 8 साल के बच्चे के लिए - 2.5 किलो- 9 साल के बच्चे के लिए - 3 किलो- 10 साल के बच्चे के लिए - 3.5 किलो- 11-12 साल के बच्चे के लिए - 4 किलोपीठ और गर्दन में दर्द
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ। रविंद्र ओझा बताते हैैं कि तूलिका गोरखपुर के एक प्राइवेट स्कूल में 7वीं में पढ़ती है। पिछले एक साल से उसकी पीठ और गर्दन में भारी दर्द हो रहा है। उसके पेरेंट्स कई डॉक्टरों से मिले, फिलहाल कुछ दिनों से जिला अस्पताल गोरखपुर में उसकी फिजियोथेरेपी चल रही है। अब वो ठीक है। वे बताते हैैं कि ऐसी परेशानी केवल 7वीं में पढऩे वाली तूलिका की ही नहीं है, बल्कि अन्य स्कूल के कई स्टूडेंट्स पीठ और गर्दन दर्द से परेशान हैं। भारी स्कूल बैग के कारण 5 से 15 साल के बीच के कई छात्रों को दिक्कत हो रही है। शुरू में दर्द का कारण खराब मुद्रा या मांसपेशियों की कमजोरी माना जाता है, लेकिन असली कारण भारी स्कूल बैग है।भारी बस्ता से नुकसान पीठ दर्द - भारी बस्ता उठाने से लोअर बैक झुकी और टेढ़ी हो सकती है। इस वजह से बच्चा आगे झुककर चलने लगते हैं और उनके पोस्चर में बदलाव आ जाता है।तनाव - मनोवैज्ञानिकों की मानें तो भारी बस्ता उठाने से बच्चों की मानसिक सेहत पर भी गहरा असर पड़ता है। भारी बैग बच्चों में तनाव का कारण बन सकता है।कंधों में दर्द- भारी बस्ता उठाने से बच्चे के कंधे में दर्द बना रह सकता है। कई बार तो बच्चे इस दर्द से बचने के लिए स्कूली बस्ते को बारी बारी एक कंधे से दूसरे कंधे पर टांगे रहते हैं, जिससे उन्हें कंधे की एक साइड दर्द होना शुरू हो जाता हैस्पॉन्डिलाइटिस की प्रॉब्लमबच्चे जितना भारी बैग उठाएंगे, आगे चलकर उनमें स्पॉन्डिलाइटिस व स्कोलियोसिस की समस्या होगी।रखना होगा ध्यान- बच्चा अपने स्कूल बैग में केवल वही चीजें लेकर जाएं, जो जरूरी हैं।- बच्चों में बचपन से ही एक्सरसाइज की आदत डालें।- स्कूल बैग खरीदते समय हमेशा शोल्डर स्ट्रेप्स पैड वाले बैग ही खरीदें। इससे गर्दन और कंधों पर दबाव कम पड़ता है।
ये करें ट्रीटमेंट- इस समस्या से बचने के लिए बच्चे में सीधे चलने की आदत डालें और नियमित आउटडोर गेम खेलने के लिए और फिजियोथेरेपिस्ट की राय से व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।- अगर किसी तरह के दर्द की समस्या होती है तो दर्द निवारक दवा देने के बजाय गरम पानी से सिकाई करें और विटामिन डी व कैल्शियम वाले पोषक तत्व खाने में जरूर शामिल करें।- मौसम के मुताबिक धूप में बैठने से भी उन्हें लाभ मिलेगा। स्कूली बच्चे अपनी क्षमता से अधिक वजन उठा रहे हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। बच्चे अपने बैग में जरूरी चीजें ही रखें। पेरेंट्स बच्चों में एक्सरसाइज की आदत डालें। डॉ। अमित मिश्रा, आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट बीआरडी मेडिकल कॉलेज