ठंडे बस्ते में गया फजीवाड़ा
- बिजली विभाग में एक माह बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : सरकारी विभागों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद विभागीय जांच के जरिए दूध का दूध और पानी का पानी करने की बात होती है। असल में ये सारी कवायद होती है मामले को ठंडे बस्ते में पहुंचाने के लिए। अक्टूबर में बिजली विभाग में तीन फर्जीवाड़े सामने आए, जांच कमेटियां बना दी गई। लेकिन नतीजा अब तक सिफर है। तीन फर्जी मामले आए प्रकाश मेंअक्टूबर मंथ में महानगर विद्युत वितरण निगम के अंडर तीन बिल के फर्जी मामले प्रकाश में आए। इसमें सबसे बड़ा मामला 5 बड़े अफसरों का फर्जी एकाउंट बनाने का रहा। मामले में बिलिंग काउंटर्स पर इंटरनेट फैसिलिटी प्रोवाइड करने वाली कंपनी एचसीएल का ही एक पूर्व कर्मचारी पकड़ा गया था। वहीं अगस्त से अक्टूबर तक बक्शीपुर के एक एसडीओ की आईडी से बिल अमाउंट कम किया गया था। जिस समय यह बिल कम हुआ था उस समय एसडीओ का यह पद खाली था। इसके अलावा राप्तीनगर के एक कर्मचारी ने तीन कंज्यूमर्स से कैश में बिल लेकर चेक जमा कर दिया था, जो बैंक जाने पर बाउंस हो गया।
जांच कमेटी के हाथ में है सब कुछविभाग के एक जेई की मानें तो दो मामलों में गठित की गई विभागीय जांच कमेटी बस नाम के लिए है। साइबर सेल की ओर से भी अभी तक कोई अफसर जानकारी लेने बिजली विभाग नहीं आया है। चेक बाउंस मामले में कर्मचारी को निलंबित किया गया, लेकिन उससे कोई वसूली नहीं हुई। ऊपर से बिजली विभाग ने पैसा देने वाले कंज्यूमर्स की बिजली काट कर और बखेड़ा खड़ा कर दिया है। बक्शीपुर में एसडीओ की आईडी से कम किए गए बिल के मामले में भी अभी तक केवल जांच कमेटी गठित की गई है। कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ है।
दो मामलों में विभागीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है। फर्जी आईडी के मामले में लखनऊ साइबर सेल में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। कमेटी का निर्णय आते ही दोनों मामले में कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम