Sawan 2023 : अधिकमास के कारण 59 दिन का सावन, पड़ेंगे 8 सोमवार, पहला आज
गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके साथ ही जिला प्रशासन व पुलिस की तरफ से चप्पे चप्पे पर फोर्स की तैनाती की भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। दरअसल, इस बार मलमास लग जाने के कारण सावन 59 दिनों का हो गया है। ऐसे में शिव भक्तोंं को महादेव की उपासना करने के लिए पूरे 8 सोमवार मिलेंगे। ज्योतिषाचार्य पं। नरेंद्र उपाध्याय बताते हैैं कि इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से होने जा रही है और 31 अगस्त को सावन का समापन होगा। इस बार सावन माह पूरा महादेव को समर्पित है, लेकिन अधिक मास के स्वामी श्री विष्णु हैं। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस बार सावन में पडऩे के कारण यह अधिकमास और भी विशेष हो गया है। शिवलिंग के जलाभिषेक से दूर होंगे कष्ट
बता दें, सिटी के शिवालय महादेव झारखंडी, गोरखनाथ मंदिर, मुक्तेश्वरनाथ व सर्वोदय नगर बिछिया शिवालय में सावन को लेकर तैयारियां जोर शोर से चल रही हैैं। ज्योतिर्विद पं। नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि श्रावण के हर सोमवार पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने पर तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन खुशियों से भर जाता है। सावन सोमवार का महत्व अधिक होता है। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत रखता है। उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।ऐसे करें पूजन, मिलेगा लाभज्योतिर्विद पं। नरेंद्र उपाध्याय ने बताया, सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। सावन में अधिकमास 18 जुलाई से शुरू होगापं। नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि इस बार सावन में अधिकमास 18 जुलाई से शुरू होगा और 16 अगस्त को खत्म होगा। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा।भगवान विष्णु की भी बरसेगी कृपाइस बार सावन में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी। वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है। तीन साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है। आषाढ़ी पूर्णिमा में करें गुरु के दर्शन
बताया गया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। साथ ही इसी को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। यह पर्व तीन जुलाई दिन सोमवार को है, जो जातक किसी को भी अपना गुरु मानते है। उन्हें उनकी फोटो या साक्षात उनके दर्शन करके उनकी पूजा करनी चाहिए।