विदेश मंत्रालय तक पहुंचा रोहिन का मामला
- योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण मंत्रालय, जल संसाधन और विदेश मंत्रालय को लिखा पत्र
GORAKHPUR: रोहिन नदी महराजगंज और गोरखपुर की जीवन रेखा है। इस नदी के किनारे महराजगंज और गोरखपुर की सभ्यता भी विकसित हुई, लेकिन अब इस पर संकट आ गया है। क्भ् और क्म् जनवरी को रोहिन नदी में प्रदूषित पानी गिराने से लाखों मछलियां मर गई। आई नेक्स्ट ने पूरे मामले की तहकीकात की और क्9 जनवरी के अंक में 'रोहिन नदी पर काला साया', ख्0 जनवरी को 'नेपाल से आ रहा काला पानी', ख्क् जनवरी को 'संकट में हजारों की रोजी रोटी' हेडिंग से खबर पब्लिश की। सदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने आई नेक्स्ट की खबर को संज्ञान में लिया और विदेश मंत्रालय सहित तीन मंत्रालयों को इस मुद्दे पर पत्र लिखा। सुषमा स्वराज को लिखा पत्रसदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लिखे पत्र में रोहिन की समस्या रखी है। योगी ने लिखा है कि रोहिन नदी नेपाल से निकलती है और महराजगंज होकर गोरखपुर के डोमिनगढ़ में राप्ती नदी में मिलती है। रोहिन नदी का लगभग क्भ्0 किमी हिस्सा भारत में बहता है। इस नदी के किनारे भारत के सैकड़ों गांव का सभ्यता विकसित हुई है। इन गांवों में रोहिन नदी से खेती की सिंचाई से लेकर मछली मारने कर रोजगार तक से लोगों को रोजगार मिलता है। इसके किनारे कई धार्मिक स्थल भी हैं। वे लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं। बीते कुछ दिनों से रोहिन नदी में नेपाल के नवलपरासी जिले के सोनवल में दो फैक्ट्रियों का गंदा पानी लगातार नदी में गिराया जा रहा है। स्थिति यह है कि पूरी नदी प्रदूषित हो गई है। रोहिन नदी के जलीय जीव मर चुके हैं। पानी से बदबू आ रही है। साथ ही साथ यह राप्ती नदी को भी गंदा कर रही है। नेपाल से गंदा पानी आने के कारण स्थानीय प्रशासन कुछ भी कर पाने में असमर्थ है। योगी ने अपील की कि भारत सरकार नेपाल सरकार से देश में नदियों को प्रदूषित करने वाली नेपाल की फैक्ट्रियों को कंट्रोल करने का काम करें।
पूर्वाचल के सभी नदियों खतरायोगी आदित्यनाथ ने पूर्वाचल की सभी नदियों के प्रदूषण की जानकारी मंत्रालय को दी है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावडेकर और जल संसाधन, नदी विकास व गंगा जीर्णोद्धर मंत्री उमा भारती को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आमी नदी सिद्र्धाथनगर से निकलती है। जिसमें सिद्धार्थनगर के रुधौली और संतकबीर नगर में इंडस्ट्रियल एरिया का कचरा गिराया जा रहा है। वहीं चौरीचौरा और सरदार नगर में लगी इंडस्ट्रीज का भी गंदा फरेन नाला से सीधे राप्ती में गिर रहा है। स्थिति यह है कि आमी नदी अंतिम सांस ले रही है। आमी नदी के किनारे की खेती पूरी तरह चौपट हो गई है। यह नदियां गोरखपुर के जनजीवन को विकसित करती हैं। अत: इन नदियों में जो भी इंडस्ट्री प्रदूषित कर रही हैं उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए।