शाहपुर एरिया के हरिद्वारपुरम कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड बैंक मैनेजर को साइबर जालसाजों ने 33 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा. रिटायर्ड बैंक मैनेजर से वे अपने खाते में पैसा ट्रांसफर करा पाते इससे पहले उनके दोस्त के माध्यम से पुलिस को खबर हो गई. मौके पर पहुंची साइबर थाने की पुलिस ने न सिर्फ परिवार को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराया बल्कि इस तरह की जालसाजी से बचने का उपाय भी बताया.

31 जुलाई को फोन
शाहपुर थाना एरिया के हरिद्वारपुरम कॉलोनी के रहने वाले ऑलविन अर्विन्द बर्नाड एसबीआई के मैनेजर पद से रिटायर्ड हैं। उनके मोबाइल पर 31 जुलाई की सुबह 9:43 बजे एक काल आई। फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को मुम्बई कस्टम का इंस्पेक्टर बताया। उसने ऑलविन से कहा कि उनके नाम से फेडएक्स एक्सप्रेस कोरियर कम्पनी से ताईवान पार्सल भेजा जा रहा है। इसमें पांच पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, चार किलो कोकिन, एक लैपटाप, 600 किलोग्राम एमडीएमए ड्रग्स है। पार्सल को भेजने के लिए आप के क्रेडिट कार्ड से पेमेंट किया गया है और आप का आधार कार्ड भी इस्तेमाल किया गया है। यह सब सुनकर ऑलविन घबरा गए। उन्होंने बताया कि वे कोई पार्सल नहीं भेज रहे हैं।

ऐसे डिजिटल अरेस्ट
कथित कस्टम इंस्पेक्टर ने जांच में सहयोग करने के लिए कहा और इसके बाद ऑलविन के पास एक दूसरे मोबाइल नंबर से वाट्सएप वीडियो कॉल आई। इसमें पुलिस युनिफार्म में एक व्यक्ति दिख रहा था। उसने खुद को मुम्बई साइबर क्राइम ब्रांच का डीएसपी बताया और कहा कि आपके और आपके परिवार के सदस्य के जितने भी बैंक खाते हैं, उनकी जांच चल रहा है। जबतक आपकी जांच पुरी नहीं हो जाती है। आप 24 घण्टे हमारी निगरानी में अपने मोबाइल का कैमरा ऑन करके रहेंगे। करीब 24 घंटे बाद भी जब निगरानी खत्म नहीं हुई तो यह बात उनके परिचित तक पहुंच गई और उन्होंने पुलिस को खबर कर दिया। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई के निर्देश पर साइबर थाने से सब इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार सिंह और दिव्येन्दु तिवारी ने ऑलविन अर्विन्द बर्नाड के घर जाकर पूरे मामले की जांच की और उन्हें साइबर जालसाजी की जानकारी देते हुए काउंसिलिंग कर उन्हें डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराया।

दोस्त ने बचाया
रिटायर्ड बैंक मैनेजर ऑलविन अर्विन्द बर्नाड पूरी तरह से जालसाज की गिरफ्त में आ चुके थे। उनके एक दोस्त ने उन्हें जालसाजी का शिकार होने से बचाने में अहम भूमिका निभाई। ऑलविन अपने दोस्त के साथ सुबह टहलने जाते थे। एक अगस्त को जब उनके दोस्त टलहने के लिए बुलाने गए तो वे बाहर नहीं आए। पत्नी से पता चला कि बैंक डिटेल की जांच चल रही है। पूरा मामला समझने के बाद मित्र ने पहले तो ऑलविन के सभी बैंक खातों से किसी भी तरह के ट्रांसफर पर रोक लगवाया और बाद में पुलिस को खबर दी।

आसाम से आई कॉल
साइबर टीम की जांच में पता चला कि जिस नंबर से ऑलविन अर्विन्द बर्नाड को डिजिटल अरेस्ट किया गया था, वह कॉल मुम्बई से नहीं बल्कि आसाम से आ रही थी। पुलिस ने कॉल ट्रेस करने के साथ ही अन्य माध्यमों से जांच शुरू कर दी है। आसाम पुलिस को भी इस तरह के जालसाजों के बारे में जानकारी दी गई है।

डिजिटल अरेस्ट से ऐसे बचें
- स्ट्रॉन्ग और यूनिक पासवर्ड का उपयोग करें और उन्हें रेग्युलर बदलते रहें
- अपने सभी जरूरी अकाउंट्स के लिए 2एफए इनेबल करें
- अपने सभी डिवाइस सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस से अपडेट रखें
- किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें
- सोशल मीडिया या दूसरे प्लेटफार्म पर निजी जानकारी शेयर न करें
- सोशल मीडिया और दूसरी एंटरटेनमेंट एक्टिविटी के लिए टाइम लिमिट फिक्स करें

ऑलविन अर्विन्द बर्नाड नामक बैंक कर्मी को 31 जुलाई की सुबह 9:43 से एक अगस्त की शाम 6 बजे तक साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट में रखा था। जैसे ही सूचना मिली टीम मौके पर पहुंची और जालसाजी की जानकारी देते हुए मुक्त कराया गया। जिन नम्बरों से कॉल आई थी, उनकी सर्विलांस की मदद से जांच की जा रही है।
कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive