रिश्ते हो रहे कलंकित
गोरखपुर (ब्यूरो).ये कुछ घटनाएं आज के दौर की हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं। अपने-अपने नहीं रह गए हैं। लोग अपने लिए ही जी रहे हैं। रिश्तों का हर रोज कत्ल हो रहा है। एक समय अपने खून की खातिर कुछ भी कर गुजरने को तैयार लोग आज अपनों की जान लेने पर ही आमादा हैं। आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिससे रिश्ते कलंकित हो रहे हैं। केस 1पिता ने बेटे को कार से कुचलकर मार डाला
20 जुलाई की देर रात 12.30 बजे पिपराइच इलाके में प्रॉपर्टी डीलर पिता शराब के नशे में धुत होकर अपनी पत्नी और बेटे को कार से कुचल दिया। जिसमें बेटे की मौत हो गई। जबकि पत्नी भी गंभीर रुप से घायल हो गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल महिला को इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल भेजा और युवक के शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। बेटी की तहरीर पर पुलिस केस दर्ज कर उसे अरेस्ट कर लिया।केस 2कलयुगी मां ने बेटी को चाकू से दागा
19 जुलाई को एक मां ने अपनी 5 साल की बच्ची को चाकू गर्म कर 17 जगह दाग दिया। मासूम की बस यही गलती थी कि उसने स्कूल जाने से मना कर दिया था। गर्म चाकू से बेटी को जलाने की जानकारी जब बच्ची के पिता तक पहुंची तो वह बेटी के साथ गीडा थाने पहुंच गया। पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज कराया। आईपीसी की धारा 324 के तहत केस दर्ज कर गीडा पुलिस ने आरोपी मां को अरेस्ट कर लिया। केस 3सगे भाई की गड़ासे से हत्या19 जून को पिपराइच इलाके में रिश्तों का कत्ल हुआ। यहां बड़े भाई ने अपने सगे छोटे भाई की गड़ासा मारकर हत्या कर दी। प्रॉपर्टी को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था, रविवार को बड़े भाई पर ऐसा खून सवार हुआ कि छोटे भाई की गड़ासे से मार डाला।केस 4आम के लिए बेटे की कर दी हत्या20 जून को गुलरिहा इलाके के भगवानपुर में दो पके आम तोडने के विवाद में पिता और बड़े भाई ने मिलकर छोटे भाई की हत्या कर दी। मरने वाले युवक की पत्नी ने ससुर और जेठ पर हत्या का आरोप लगाया है। पत्नी ने आरोप लगाया कि ससुर और जेठ ने उनके पति को बेरहमी से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई।दिलों में घर कर रहा शक
जिले में हुई इन घटनाओं में अपनों की ही जान गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह न्यूक्लीयर फैमिली और लोगों के बीच आती शक की दीवार है। बेहतर जिंदगी गुजारने के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने पर उतारू हैं, जिसकी वजह से फैमिली के लिए टाइम ही नहीं निकाल पा रहे हंै। इस दूरी की वजह से रिश्तों के बीच शक की खाई बढ़ रही है और इसका रिजल्ट इस तरह की घटनाओं के तौर पर नजर आ रहा है। इतना ही नहीं न्यूक्लीयर फैमिली होने की वजह से लोग अब रिश्तों का मोल भी भूल गए हैं, उन्हें यह बताने वाला कोई नहीं है कि जब वह कमाने के लायक नहीं होंगे, पैसा तो बहुत होगा, लेकिन साथ देने वाला कोई नहीं होगा। साइकोलॉजिस्ट की राय में इसलिए हो रही घटनाएं- अधिक से अधिक पैसा पाने की लालसा बढ़ती जा रही है।- एक दूसरे पर संदेह कर रहे हैं।- डाउट होना, धोखा होना जैसी फिलिंग आने पर लोग अचानक से हो जा रहे जानलेवा।- क्राइम होता है तो पता चलता है, उसकी सजा कितनी हुई? इसकी नहीं होती जानकारी।- क्राइम करके पहुंंच और जुगाड़ से बच जाएंगे।- घर-घर के झगड़े में पुलिस डांट समझाकर छोड़ देती है।
- बार-बार हो रहे झगड़े को खत्म करने के लिए उठा लेते हैं गलत कदम।ऐसे रोक सकते हैं- अपनी मेहनत पर भरोसा रखें।- किसी से बहुत अधिक उम्मीद ना पालें।- किसी के लिए कुछ भी कीजिए, बदले में उसने क्या किया? इसकी उम्मीद ना पालें।- सीनियर्स को रोल मॉडल की भूमिका में आगे आना होगा।- घर-घर के झगड़े में पहले ही स्टेप में कड़े कदम उठाए जाएं तो लोग गलत कदम उठाने से कतराएंगे।घरेलू विवाद में जान लेने की प्रवृत्ति के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पैसे और प्रॉपर्टी की लालसा बढ़ती जा रही है। एक-दूसरे पर अब किसी को विश्वास नहीं रह गया है। सीनियर्स भी अब कुछ भी समझाने आगे नहीं आते हैं। यही वजह है कि ऐसी घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। प्रो। अनुभूति दुबे, विभागाध्यक्ष, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट