यहां कई बन सकते हैं पेशावर के आर्मी स्कूल
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : एक अलर्ट और हम सेफ। क्या ऐसा संभव है? वह भी जब सईद लश्कर और जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद ने इंडिया को खुला चैलेंज किया हो। पाकिस्तान के पेशावर में हुए आतंकी हमले का दोषी इंडिया के साथ यहां के पीएम को बताते हुए हाफिज सईद ने बदला लेने की धमकी दी। इस धमकी के बाद पूरे देश में गृह मंत्रालय की ओर से अलर्ट जारी कर दिया गया। पर, क्या एक अलर्ट से हम इन आतंकियों के निशाने से बच जाएंगे? क्या पब्लिक प्लेस पूरी तरह सेफ हो गए हैं? क्या हमारे लाडले स्कूल में पढ़ाई करते समय सेफ हैं या फिर हम मार्केट और स्टेशन पर सेफ हैं? ऐसे ही कई सवालों का जवाब तलाशने के लिए आई नेक्स्ट ने सिटी के विभिन्न पब्लिक प्लेसेज पर रियल्टी चेक किया। सुबह से लेकर शाम तक आई नेक्स्ट की टीम ने विभिन्न पब्लिक प्लेस पर कई घंटे गुजारे। आई नेक्स्ट टीम के मेंबर ने जगह-जगह एक बैग रखा और दूर जाकर खड़े हो गए। करीब एक घंटे तक लावारिस हालत में बैग रखा रहा, मगर न तो किसी ने उसे जांचने की कोशिश की और न ही पुलिस या प्रशासन को इसकी सूचना देने की। ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि इन शातिर आतंकियों से हम कितने सेफ हैं?
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल - कलेक्ट्रेट ऑफिस से महज 200 मीटर दूर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की इमरजेंसी है। जहां करीब 100 से अधिक पेशेंट्स एडमिट रहते हैं। साथ ही उनके साथ करीब 500 से अधिक तीमारदार मौजूद रहते हैं। इमरजेंसी में हमेशा मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे बिजी प्लेस पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर एक खाली बैग लेकर पहुंचा। पूरा हॉस्पिटल घूमने के बाद एक बेड पर बैग छोड़ कर दूर खड़ा हो गया। रिपोर्टर की निगाह बैग के साथ चारों ओर थी, मगर वहां आने वाले एक भी शख्स की उस लावारिस हालत में रखे बैग पर नहीं पड़ी। हॉस्पिटल में सुरक्षा के नाम पर बाहर दो सिक्योरिटी गार्ड लगे थे, मगर वे सिर्फ बाइक और साइकिल खड़ी कराने में लगे थे। टाउन हाल चौराहानगर निगम के सामने सिटी के व्यस्तम चौराहों में से एक टाउन हाल चौराहा है। जहां डेली करीब 50 हजार से अधिक लोगों का आवागमन रहता है। वहां करीब एक घंटे तक लावारिस बैग रखा रहा, मगर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। कई बार पुलिस की गाडि़यां भी निकली। जबकि चौराहे के ठीक सामने सिटी का एक फेमस होटल भी है, जो अक्सर टूरिस्ट्स का ठिकाना होता है। चौराहे के पास ट्रैफिक के साथ पुलिस की ड्यूटी रहती है, मगर सभी खाकी वर्दी सिर्फ जाम खुलवाने और ड्यूटी बजाने में लगे थे। चौराहे पर किसी तरह का अलर्ट नजर नहीं दिखा।
बलदेव प्लाजा, गोलघर सिटी की फेमस मार्केट में से एक है बलदेव प्लाजा। जो सिटी के हार्ट गोलघर की शान है। मार्केट के साथ आसपास करीब एक लाख से अधिक लोगों को डेली आवागमन रहता है। 100 मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी है तो 50 मीटर की दूरी पर गणेश चौराहा। जहां हमेशा आधा दर्जन से अधिक सिपाही तैनात रहते हैं। मार्केट के भी गनर खड़े थे। इन सबके बीच एक बैग लावारिस हालत में करीब एक घंटे तक रखा रहा, मगर किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर बैग में क्या है? गोरखनाथ मंदिरविश्व में सिटी की पहचान गोरखनाथ मंदिर है। जहां गोरखपुर के अलावा आसपास जिले, प्रदेश के साथ विदेश से भी लोग घूमने आते हैं। मंदिर में करीब 50 हजार से अधिक लोगों का आवागमन रहता है। थाने के सामने होने के साथ मंदिर के अंदर एक चौकी भी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर में सिक्योरिटी व्यवस्था कितनी टाइट है। इसके बावजूद एक बैग मंदिर परिसर में लावारिस हालत में काफी टाइम तक रखा रहा, मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया। मंदिर में लगे दो मेटल डिटेक्टर में एक काम नहीं कर रहा है। वहां खाकी वर्दी वाले सिर्फ अपना ड्यूटी टाइम पूरा कर रहे थे।
रेलवे स्टेशन गोरखपुर रेलवे स्टेशन जिसकी पहचान विश्व के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म से हो रही है। सुरक्षा के लिए स्टेशन के बाहर एक चौकी है। स्टेशन के अंदर जीआरपी थाना और आरपीएफ पोस्ट है। मेन गेट पर मेटल डिटेक्टर लगे हैं। हर प्लेटफॉर्म के चप्पे-चप्पे पर खाकी वर्दी को निगाह रखने का निर्देश है। इतने भीड़भाड़ वाले स्थान पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने एक खाली बैग संदिग्ध हालत में ले जाकर रख दिया, मगर किसी ने न तो टोका और न ही जानने की कोशिश की। काफी समय तक वह बैग लावारिस हालत में रखा रहा। केंद्र सरकार से जारी अलर्ट का भी कोई खास इफेक्ट नजर नहीं आया। जबकि आतंकियों का पहला निशाना रेलवे स्टेशन बन सकता है। बस स्टेशनरेलवे बस स्टेशन। जहां डेली 50 से 60 हजार लोगों का आवागमन रहता है। जाम न लगे इसके लिए सिपाही भी तैनात रहते हैं। सिपाहियों के साथ रोडवेज के गार्ड भी मौजूद थे, मगर वहां आने-जाने वाले लोगों की हरकतों पर कोई निगाह नहीं रखी जा रही थी। इससे आई नेक्स्ट रिपोर्टर आसानी से इस सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद लावारिस हालत में बैग रख कर कई घंटे तक वहां मौजूद रहा। मगर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। बस स्टेशन पर सुरक्षा के नाम पर एक भी इंतजाम नहीं दिखे।