'सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंदÓ. रामचरित मानस की ये चौपाई बता रही है कि जब श्रीराम वनवास के बाद अयोध्या लौटे तब आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया और नगर की स्त्री-पुरुष के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन करने लगे.


गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।त्रेता युग का यह दृश्य इस युग में भी तब दिखा। जब नेपाल के जनकपुर यानी श्रीराम के ससुराल से रथ पर सवार देवशिलाएं पुष्पवर्षा और जय श्रीराम के उद्घोष के बीच गोरखपुर पहुंचीं। देर रात से ही सुबह तक मंदिर में देवशिलाओं के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सुबह करीब 9.40 बजे रथ देवशिलाओं का विधिवत पूजा-पाठ कर अयोध्या के लिए रवाना किया गया। जहां पर सबके सियाराम विराजेंगे।