पुरानी यादें ताजा करने बुद्धा हॉस्टल जाएंगे राजनाथ!
- डीडीयूजीयू 34 वें दीक्षांत समारोह में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद रहेंगे होम मिनिस्टर
- गोरखपुर यूनिवर्सिटी के एक्स स्टूडेंट अपने पुराने हॉस्टल का कर सकते हैं दीदार, यूनिवर्सिटी ने युद्ध स्तर पर शुरू कराया रिपेयरिंग वर्क GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के 34वें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह शोभा बढ़ाएंगे। डीडीयूजीयू गौतम बुद्ध हॉस्टल के एक्स हॉस्टलर रह चुके होम मिनिस्टर के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े सोर्सेज की मानें तो राजनाथ सिंह अपनी पुरानी यादों को ताजा करने के लिए बुद्धा हॉस्टल जा सकते हैं। इसके मद्देनजर यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल के रंग-रोगन के साथ उसकी सूरत बदलनी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही राजनाथ के आगमन को लेकर हॉस्टलर्स काफी एक्साइटेड हैं। रूम नंबर 94 था ठिकानायूनिवर्सिटी प्रशासन दीक्षांत समारोह को लेकर स्पोर्ट्स ग्राउंड को सजाने में लगा हुआ है। वहीं हॉस्टल को सजाने के लिए भी जिम्मेदार दौड़ लगाए हुए हैं। गौतम बुद्ध हॉस्टल के रूम नंबर 94 में केंद्रीय गृह मंत्री का ठिकाना था। वहीं से रहकर उन्होंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। इसके बाद वह बाहर चले गए। अब यूनिवर्सिटी कनवोकेशन में जब वह बतौर चीफ गेस्ट फाइनल हो गए हैं, तो वहीं यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन भी उनके कमरे को खास बनाने की तैयारियों में जुट गया है।
1970-71 में रहे थे राजनाथ गौतमबुद्ध में रहने वाले हॉस्टलर्स की माने तो राजनाथ सिंह सन 1970-71 में एमएसी फिजिक्स की पढ़ाई करते वक्त रहा करते थे। इस वक्त वह हॉस्टल के सांस्कृतिक एवं सामाजिक कमेटी के अध्यक्ष थे। यूनिवर्सिटी से जुड़े टीचर्स की मानें तो जब वह गौतमबुद्ध हॉस्टल में रहते थे, तब वह पीजी हॉस्टल हुआ करता था। जैसे-जैसे स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती गई। डिमांड को देखते हुए नया पीजी हॉस्टल संतकबीर बना दिया गया और गौतमबुद्ध हॉस्टल रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एलॉट किया जाने लगा। युद्ध स्तर पर रिपेयरिंग वर्क रिसर्च स्कॉलर्स की माने तो जिस प्रकार से हॉस्टल की सूरत बदली जा रही है, उसे उन्हें बहुत पहले ही कर देना चाहिए था। छिट-पुट रिपयेरिंग का काम तो हॉस्टल में होता रहता है, लेकिन राजनाथ सिंह के आने की सूचना पर हॉस्टल की ओवरहॉलिंग कराई जा रही है। इसमें हॉस्टल के एक-एक कमरे में टूटी खिड़कियां, जाल और दरवाजों को भी बदला जा रहा है। टॉयलेट का जहां नक्शा बदल रहा है, वहीं झाडि़यों साफ कराने के साथ ही रंग-रोगन भी कराया जा रहा है। अगर मेस चालू हो जाता तोहॉस्टल तक पहुंचने के लिए मार्ग तक को रिपेयर करा दिया गया है। हॉस्टलर्स की माने तो कुल 98 कमरे हैं, लेकिन सभी कमरे बदहाल हो चुके हैं। कई बार रिपेयरिंग की मांग भी हुई, लेकिन डिमांड पूरी नहीं की जा सकी। अब यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की आंख खुली है। वहीं हॉस्टलर्स की मानें तो पिछले पांच साल से बंद पड़े मेस को अगर चालू कर दिया जाए, तो स्टूडेंट्स को काफी राहत मिल जाएगी। इससे रिसर्च स्कॉलर्स को खाने-पीने में दिक्कत नहीं होगी और उनकी रिसर्च और भी बेहतर ढंग से हो सकेगी। ठेकेदार की माने तो 22 फरवरी दीक्षांत से पहले गौतमबुद्ध रिसर्च हॉस्टल को रिपेयर करके पूरा करने का टारगेट दिया गया है। इसके बाद बाकी के हॉस्टल को रिपेयर कराया जाएगा।