राजभवन के रुख पर टिका भविष्य
-एग्जाम कंडक्ट कराए जाने को लेकर पैसिफिक कॉलेज ऑफ फिजियोथिरैपी के स्टूडेंट्स का अनशन जारी
- बीपीटी और बीएमएलटी कोर्स के परिनियमावली में शामिल न होने की बात कहकर यूनिवर्सिटी झाड़ रही पल्ला द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : पैसिफिक कॉलेज ऑफ फिजियोथिरैपी कॉलेज के स्टूडेंट्स एग्जाम कराने के लिए डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी की एडी बिल्डिंग के मेन गेट पर अनशन कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इन स्टूडेंट्स के कोर्सेज के परिनियमावली में शामिल न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है। कॉलेज के बीपीटी और बीएमएलटी स्टूडेंट्स एडी बिल्डिंग में 3 दिसंबर से क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि पिछले एक साल से उनके एग्जाम कंडक्ट नहीं कराए गए हैं। जबकि यूनिवर्सिटी को समय से एग्जाम करा लेना चाहिए था। 2005 से लगातर हो रहे थे एग्जामक्रमिक अनशन पर बैठे इरफान अहमद, शोभित श्रीवास्तव, रश्मी झा, कैफ खान, अहमद अली, हरिओम और लालसा सरोज आदि स्टूडेंट्स का कहना है कि 2005 से ही डीडीयूजीयू लगातार एग्जाम कंडक्ट कराता आ रहा है, लेकिन अब यूनिवर्सिटी प्रशासन कोर्स के परिनियमावली में शामिल न होने की बात कहकर मामले को टाल देता है। पैसिफिक कॉलेज ऑफ फिजियोथिरैपी के डायरेक्टर सैयद हबीब बताते हैं कि पैथालोजी कोर्स को 2006, 2007 और 2008 में यूनिवर्सिटी की तरफ से टेम्पे्ररी एफिलिएशन दिया गया। उसके बाद 2009 में यूनिवर्सिटी ने इस कोर्स के लिए परमानेंट एप्रूवल दे दिया। तब से लगातार कोर्स चल रहा है। इन दोनों कोर्स को परिनियमावली में शामिल करने की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी प्रशासन की है, तो फिर देरी क्यों हो रही है और एग्जाम कंडक्ट क्यों नहीं कराए जा रहे है?
गवर्नर को भेजें रिपोर्ट डायरेक्टर सैयद हबीब की मानें तो कॉलेज 2005 से पहले आगरा यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड था, लेकिन 2005 में ही डीडीयूजीयू से एफिलिएशन मिला। उसके बाद 2006 में बीपीटी कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी की तरफ से परमानेंट एप्रूवल मिला। इसके बाद 2010 में कोर्स बनाया गया। वे बताते हैं कि 2005-13 तक डीडीयूजीयू ही लगातार स्टूडेंट्स एंट्रेस और एग्जाम कराता आ रहा है तो फिर परिनियमावली के लिए गवर्नर के पास यूनिवर्सिटी प्रशासन को रिपोर्ट भेजनी चाहिए। इसमें कॉलेज प्रशासन और स्टूडेंट्स का क्या दोष है? इन कोर्स को परिनियमावली में शामिल करने के लिए राजभवन को चिट्ठी लिखी गई है। चिट्ठी का जवाब आने के बाद ही यूनिवर्सिटी निर्णय ले सकेगी। प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयूजीयू गोरखपुर