डर दहशत के बीच होता रहा सफर, पैसेंजर घटे तो बेहतर हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर
गोरखपुर (ब्यूरो) पब्लिक न होने से बस और ट्रेनों के पहिए बिल्कुल थम गए, जबकि फ्लाइट पर भी ब्रेक लग गया। जुलाई के बाद धीरे-धीरे हालात सामान्य की तरफ बढ़े और डर-दहशत के बीच लोगों ने सफर शुरू किया। साल के आखिर में संक्रमण की रफ्तार जब मंद पड़ी, तो दूसरे देशों के बाद इंडिया में भी ओमिक्रॉन ने दस्तक दे दी, ऐसे में अब एक बार फिर लोगों में इसका खौफ नजर आने लगा है। मगर फिलहाल ट्रांसपोर्ट सर्विस चालू है और लोग इसको एक्टिव रहने की दुआएं भी कर रहे हैं।
थमे पहिए, जबरदस्त नुकसान
कोरोना के डेल्टा वैरियंट ने लोगों को खूब परेशान किया। ट्रांसपोर्ट सर्विस पर सबसे ज्यादा असर पड़ा और बस, ट्रेन सभी के पहिए पूरी तरह से थम गए। रेलवे ने जहां पैसेंजर्स को सुविधा देने के लिए कुछ स्पेशल ट्रेनें चलाईं। वहीं, कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए बसों का संचालन भी होता रहा। 4 अप्रैल से 15 जून तक कंप्लीट लॉकडाउन के दौरान पब्लिक घरों में थी। इस वजह से ट्रेन के साथ ही बसों के संचालन पर भी इसका असर रहा। इसकी वजह से लोगों को तो परेशानी हुई थी। विभाग को भी नुकसान उठाना पड़ा।नेपाल के लिए बस चलाने का खाका तैयार
गोरखपुर से नेपाल बस चलाने के लिए इस साल पहल की गई है। यह इंटरनेशनल सर्विस जो प्रभावित थी, उसे फिर से रिज्यूम करने की कवायदें तेज हो गई हैं। उम्मीद है कि साल की शुरुआत में यह बसें सड़कों पर होंगी। इसके साथ ही बिहार रूट पर भी बसों को चलाने के लिए हरी झंडी मिल चुकी है। शासन ने प्राइवेट बसों के लिए रूट निर्धारित कर दिया है। परमिट के लिए आवेदन करने के बाद वहां बसों के संचालन का मौका मिलेगा। काफी तादाद में लोग बिहार के लिए सफर करते हैं। वहीं, बसों की धुलाई के लिए राप्तीनगर डिपो वर्कशॉप में ऑटोमेटिक वॉशिंग का निर्माण शुरू होने वाला है, इसकी टेंडर प्रॉसेस फाइनल कर दी गई है। 20 लाख की लागत से प्लांट तैयार किया जा रहा है। अब तक 30-40 धुलाई होती थीं। प्लांट लगने के बाद इसकी तादाद 60 हो जाएगी।यहां पर चूक गया रोडवेज
जहां रेलवे ने पेंडमिक का फायदा उठाते हुए अपना ढांचा मजबूत किया। वहीं, पूरा मौका होने के बाद भी रोडवेज एडमिनिस्ट्रेशन कोई खास काम नहीं कर सका। बरसों से लटके बस टर्मिनल का लोगों को अब भी इंतजार है। पीपीपी मोड पर बनने वाले इस स्टेशन के लिए उन्हें कोई वेंडर नहीं मिल पा रहा है। इसमें एयरपोर्ट की तर्ज पर सुविधाएं विकसित की जानी है। वहीं बसों की हालत अब भी वैसे ही जैसे पहले हुआ करती थी। वहीं बसों के कम संचालन से उनको जबरदस्त नुकसान भी हुआ। पेंडमिक के बाद जब रोडवेज की बसें सड़कों पर आईं, तो भी उन्हें इसका खास फायदा नहीं मिला। कोविड प्रोटोकॉल भूले रोडवेज से कम लोगों ने ही सफर किया। वहीं, अब जब थोड़ा भीड़ बढ़ी तो साल ही खत्म होने को आ गया। रोड में यह हुए काम - नए साल पर लॉन्ग रूट के लिए रोडवेज एडमिनिस्ट्रेशन ने 50 नई बसों की डिमांड की थी, लेकिन उन्हें सिर्फ 20 बसों का ही तोहफा मिल पाया। - राप्तीनगर डिपो में बनी नई वर्कशॉप।- 20 लाख की लागत से बसों की धुलाई के लिए लगाई गई हाईटेक मशीनरेलवे ने इंफ्रास्ट्रक्चर किया मजबूत
लॉकडाउन के पहले फेज में रेलवे को जबरदस्त नुकसान हुआ, लेकिन फेस 2 यानि कि 2021 में रेलवे की स्ट्रैटजी से उन्हें काफी फायदा मिला। जहां एक ओर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का मौका मिल गया, वहीं, ट्रैक डबलिंग, ट्रिपलिंग के साथ इलेक्ट्रिफिकेशन वर्क भी काफी तेजी से कंप्लीट हो गए। इसके साथ ही रेलवे ने अपने स्टेशनों को बेहतर करने पर भी काम किया। कोविड परियड होने की वजह से फोकस्ड वर्क हुआ और उन्हें बेहतर और जल्दी रिजल्ट मिले। सबसे ज्यादा एनर्जी बचाईदुनिया के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म का दर्जा रखने वाले एनई रेलवे ने देश में एक बार फिर अपने नाम का डंका बजाया है। देश भर की रेलवे को पछाड़ते हुए एनईआर गोरखपुर ने सबसे ज्यादा एनर्जी कंजर्व की है। इसके लिए एनई रेलवे को ट्रांसपोर्ट कैटेगरी में नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवॉर्ड मिलेगा। एनई रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने एनर्जी कंजर्वेशन के तमाम तरीकों को अपनाकर 57 परसेंट से ज्यादा एनर्जी बचाई है, जिसकी वजह से उन्हें ट्रांसपोर्ट कैटेगरी में देश में सबसे पहली पोजीशन हासिल हुई है।रेलवे में 2021 में हुए तमाम काम - 31 मार्च 2021 तक 576.62 रूट किलोमीटर की डबल लाइन कंप्लीट की।- 800 किलोमीटर की थर्ड लाइन के 11 प्रोजेक्ट पर चल रहा है काम।- बनाई जा रही है 304 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन।- औडि़हार-गाजीपुर के बीच 40 किमी ट्रैक की डबलिंग का काम 370 करोड़ से कंप्लीट किया गया।- डोमिनगढ़-कुसम्ही थर्ड लाइन जोकि 15.6 किमी है और गोरखपुर-नकहा 5.6 किमी का 56 फीसद पूरा हो चुका है काम।- मऊ-आजमगढ़ सिंगल लाइन - 43 रूट किलोमीटर काम पूरा।
- आनंदनगर-नौतनवां सिंगल लाइन 42 किमी काम पूरा।इन्हें पूरा होने का इंतजारसहजनवां-दोहरीघाट - 81 किमी के इस रूट की लागत 1320 करोड़ रुपए है। 2016-17 में सेंक्शन इस प्रोजेक्ट के लिए बजट नहीं मिला। सर्वे के लिए 27 दिसंबर को टेंडर ओपन किया गया है।- आजमगढ़-शाहगंज सिंगल लाइन 54 किलोमीटर - 31 जनवरी तक काम पूरा होने की उम्मीद।- शाहजहांपुर-पीलीभीत - 85 किमी जनवरी में पूरा होने की उम्मीद।- गोंडा-बहराइच सिंगल लाइन 60 किमी 10 जनवरी तक काम पूरा होने की उम्मीद।- आनंदनगर से गैंसारी 96 किमी सिंगल लाइन 31 मार्च तक काम पूरा होने की उम्मीद।- गैंसारी से सुभागपुर 84 रूट किमी 31 मार्च तक पूरा होने की उम्मीद।लोगों की जेब भी कटीएक तरफ जहां रेलवे ने लोगों के फायदे के लिए स्पेशल ट्रेने चलाई और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया। वहीं उन्होंने लोगों की जेबें काटने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। रेलवे की सभी रूटीन ट्रेने स्पेशल के नाम पर दौड़ीं और सभी पैसेंजर्स को इसके लिए अलग से स्पेशल चार्ज भी देना पड़ा। इतना ही नहीं, कोविड की वजह से रेलवे ने पैसेंजर्स को दी जाने वाली सुविधाओं जैसे कंबल, तकिया आदि में भी कटौती की। खाने पीने के लिए दिए जाने वाले आईटम्स भी हटा दिए गए। डिजिटल को मिला बढ़ावारेलवे ने कोविड पीरियड में डिजिटल पर फोकस किया। जहां पैसेंजर्स के लिए यूटीएस एप के जरिए कैशलेस टिकट की व्यवस्था की गई। वहीं आईआरसीटीसी पर भी ऑनलाइन पेमेंट कर लोगों ने कैशलेस सर्विस अवेल की। इतना ही नहीं, इंटरनली भी रेलवे ने एंप्लाइज के लिए काफी एप और सॉफ्टवेयर डेवलप किए, जिसके जरिए उनके काम डिजिटली होने लगे और उन्हें दौड़ लगाने से छुटकारा मिला।गोरखपुर से उड़ान भर रहीं 11 फ्लाइटगोरखपुर में जहां रेल और रोडवेज लोगों को सुविधाएं मुहैया करा रही हैं। वहीं, एयरवेज में भी गोरखपुर लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब तक एक्का-दुक्का फ्लाइट पर गोरखपुर एयरबेस 11 फ्लाइट्स रन कर रहा है। इसके लिए बाकायदा 1 दिसंबर से लेकर 31 मार्च तक का शेड््यूल भी जारी कर दिया गया है। यह फ्लाइट्स रोजाना हैं और इससे गोरखपुर से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ आदि के लिए फ्लाइट रन कर रही है। इसमें खास बात यह है कि गोरखपुर से देर शाम भी फ्लाइट चल रही है।