स्लीप मोड में रेलवे, जर्जर हुए स्लीपर
- प्लेटफॉर्म के पास पटरियों के दर्जनों स्लीपर हुए 2ाराब
- गोर2ापुर जं1शन का हाल, रेल प्रशासन 2ातरा रहा टाल GORAKHPUR: रेल पैंसेजर की सुरक्षा और संरक्षा के दावे करने वाले एनईआर रेल पटरियों की 2ामियों की अनदे2ाी कर रहा है। जं1शन के प्लेटफॉर्म पर रेलवे अफसरों की चूक किसी बड़ी अनहोनी का सबब बन सकती है। प्लेटफॉर्म पर रेल पटरियों में लगे कंक्रीट के स्लीपर जर्जर हाल में पहुंच गए हैं। ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने का 2ातरा बढ़ गया है। रेलवे अफसरों की मानें तो अ5ाी कोई 2ातरा नहीं है। पुराने और क्षतिग्रस्त हो चुके स्लीपर को बदलने के लिए प्रॉसेस चल रही है। जल्द ही 2ाराब स्लीपर्स बदल दिए जाएंगे। स्लीपर से सीमेंट-कंक्रीट गायबगोर2ापुर रेलवे स्टेशन को संवारने में लगा रेल प्रशासन पटरियों की सुरक्षा को बेपरवाही दि2ा रहा है। जं1शन के प्लेटफॉर्म पर ही रेल पटरियों को जोड़ने वाले कंक्रीट के तमाम स्लीपर जर्जर हो चुके हैं। प्लेटफॉर्म नंबर एक से लेकर नौ तक के बीच में पटरियों के बीच लगे स्लीपर की हालत यह हो गई कि उनके बीच से सीमेंट पूरी तरह से गायब हो चुकी है। इससे स्लीपर में पड़ी लोहे की छड़ साफ नजर आने लगी है।
ठंड में 'सिकुड़न' कर रही परेशानपटरियों को स्लीपर में पेनड्रॉल 1िलप से कसा जाता है। स्लीपर दोनों पटरियों के बीच गेज मेंटेन करता है। ट्रेन के पहिए के गेज के हिसाब से पटरियों के बीच दूरी तय होती है। जानकारों का कहना है कि गर्मी में रेल पटरियां फैलती हैं जबकि सदियों में इनके सिकुड़ने का क्रम होता है। इससे पटरियों के नीचे बिछे स्लीपर जल्दी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए रेलवे पटरियों की मर6मत के दौरान स्लीपर बदलवा देता है।
कहीं डीरेल का इंतजार तो नहीं स्लीपर के 2ाराब होने की वजह से दिल्ली में जं1शन पर ट्रेन डी-रेल हो गई थी। 15 सितंबर को ज6मू-नई दिल्ली राजधानी ए1सप्रेस नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 15 पहुंची, त5ाी ट्रेन के डि4बे पटरी से उतर गए। जांच में सामने आया कि कंक्रीट और सीमेंट के स्लीपर 2ाराब होने से यह नौबत आई। इसके बाद 2ाराब पड़े स्लीपर को बदलने का फैसला लिया गया। लेकिन एनईआर में रेल पटरियों के 2ास्ताहाल हो चुके स्लीपर बदलने के संबंध में गं5ाीरता नहीं दि2ाई गई। 2ाराब स्लीपर के नुकसान - एक किलोमीटर में 1660 स्लीपर लगाए जाते हैं। - स्लीपर से रेल पटरियों को जोड़कर गेज निर्धारित किया जाता है।- सीमेंट के स्लीपर की मियाद 15 साल से अधिक होती है।
- स्लीपर के 2ाराब होने, क्षतिग्रस्त होने से गेज फैल जाती है। - गेज फैलने से ट्रेन के डी-रेल होने का 2ातरा होता है। - एक-एक करके लगातार स्लीपर 2ाराब होने से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। - स्लीपर के 2ाराब होने से ट्रेन के गिरने का 2ातरा हमेशा बना रहता है। कंक्रीट-सीमेंट के स्लीपर जल्दी 2ाराब नहीं होते हैं। जो स्लीपर 2ाराब नजर आ रहे हैं, फिलहाल उनकी वजह से कोई 2ातरा नहीं है। यहां पर 2ाराब हुए स्लीपर को बदलने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जल्द ही मर6मत का काम शुरू हो जाएगा। संजय यादव, सीपीआरओ, एनईआर