Gorakhpur News : खतरनाक है रेबीज, पॉश एरियाज में भी स्ट्रीट डॉग्स के झुंड
गोरखपुर (ब्यूरो)। वैसे गोरखपुर के पॉश एरिया में भी स्ट्रीट डॉग्स के झुण्ड हंै, जो रेबीज बांटकर पब्लिक के लिए खतरा बने हैं। वैसे भी इन दिनों जिलेभर से डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं और लोग जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। सितंबर से लेकर अब तक जिले के 1625 लोगों को 4825 वॉयल लगाए जा चुके हैं। ऐसे फैलता है रेबीज का वायरस
रेबीज का वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों में होता है। जब ये संक्रमित जानवर किसी को काटता है तो ये वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर मस्तिष्क तक पहुंचता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में स्थापित हो जाता है। कुछ समय बाद यह नसों के माध्यम से लार ग्रंथियों में फैल जाता है। इससे अक्सर मुंह में झाग पैदा होता है। संक्रमण के चार से छह सप्ताह के बीच बीमारी के डेवलप होने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। हालांकि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 10 दिनों से आठ महीने के बीच का है। यानी आठ महीनों के भीतर कभी भी ये बीमारी हो सकती है।रेस्पिरेटरी फेलियर से हो जाती डेथ जिला अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ। बीके सुमन ने बताया,
मनुष्यों में भी रेबीज जानवरों के समान ही होता है। लक्षणों में अवसाद, सिरदर्द, मतली, दौरे, एनोरेक्सिया, मांसपेशियों में अकडऩ और ज्यादा लार का बनना शामिल हैं। रेबीज से पीडि़त व्यक्ति की गले की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो जाती हैं, जिससे उसे निगलने या पानी गटकने में परेशानी होती है। इससे उसमें पानी का डर (हाइड्रोफोबिया) पैदा हो जाता है। रेबीज से संक्रमित व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। जल्द ही वह कोमा में चला जाता है और आमतौर पर हृदय या रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण एक सप्ताह से भी कम समय में मर सकता है।इन कॉलोनियों में स्ट्रीट डॉग का झुंड स्ट्रीट ड्रॉग्स का यह ब्रीडिंग टाइम है। इन दिनों ग्रीन सिटी, मोहद्दीपुर, तारामंडल, विवेकपुरम, सहारा एस्टेट, राप्ती नगर, सिविल लाइंस, बिलंदपुर, बेतियाहाता में स्ट्रीट डॉग का झुंड रहता है। इन्हें बनाया शिकार केस 1कूड़ाघाट निवासी प्रिंस (10) रविवार को घर के बाहर खेल रहा था। इस दौरान कुत्ते ने उसके दाए हाथ में काट लिया। सोमवार को उसे रेबीज वैक्सीन लगवाया गया।केस 2छोटेकाजीपुर निवासी वैभव श्रीवास्तव (31) किसी कार्य से जा रहे थे। इस दौरान अचानक कुत्ते ने उनके दाहिने हाथ में काट लिया। सोमवार को उन्होंने रेबीज वैक्सीन की पहली डोज लगवाई। केस 3
शाहपुर निवासी अभय कुमार (10) घर से बाहर जा रहा था। सोमवार की सुबह कुत्ते ने दाहिने पैर में काट लिया। पिता मारकंडेय सिंह बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे और रेबीज वैक्सीन की फस्र्ट डोज दिलवाई। केस 4राजघाट निवासी राजकुमार वर्मा (40) रविवार को घर लौट रहे थे। इस दौरान कुत्तों के झुंड ने उन्हें दौड़ा लिया। बाएं पैर में कुत्ते ने काट लिया। उन्होंने जिला अस्पताल में रेबीज वैक्सीन की फस्र्ट डोज ली। रेबीज के लक्षण - काटने वाली जगह पर झुनझुनी। - शरीर में तेज दर्द होना। - बुखार आना। - चिड़चिड़ापन होना। - लकवा मार देना। - लार या आंसू ज्यादा बहना। - तेज आवाज से गुस्सा आना। - हवा और पानी से डर लगना। - बोलने में तकलीफ होना। - किसी पर भी हमला कर देना। तो ये काम जरूर करें - कुत्ते के काटने पर अगर आपको मामूली सी चोट आई है या फिर खरोंच है तो सबसे पहले चोट को साफ पानी से धो लें।- वायरस फैलने से रोकने के लिए आप एंटी बैक्टीरियल क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।-घाव अगर कम है तो आप पट्टी या कपड़ा न बांधें। खुला रहने दें।-जितनी जल्दी से जल्दी या 24 घंटे के अंदर डॉक्टर को दिखाएं और रेबीज लगवाएं।
- ब्लड बह रहा है या मांस दिख रहा है तो पट्टी जरूर बांधें। स्ट्रीट डॉग्स की प्रॉब्लम काफी दिनों से है। रात के समय तो यह काफी खतरनाक हो जाते हैं। नगर निगम में शिकायत भी लोगों ने की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। स्ट्रीट डॉग्स कोई लोगों को शिकार भी बना चुके हैं। सुमित श्रीवास्तव, एसहारा स्टेट लगातार लग रहीं वैक्सीनमाह ---- कुल पेशेंट --- वायल सितंबर -- 1365 ------ 3945अक्टूबर -- 262 ------ 880 (नोट: आंकड़े हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार हैं। कुल पेशेंट में कैट बाइट, मंकी बाइट और रेफर केस भी शामिल हैं.) रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़ से फैल सकता है। लेकिन रेबीज के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामले कुत्ते के काटने से ही आते हैं.रेबीज इंफेक्टेड होने के बाद इसका कोई इलाज अब तक नहीं है। रेबीज के मामले में जानकारी ही सबसे अच्छा बचाव है। कुत्ता काटे हुए स्थान पर साबुन से धुलाई करें और समय से अस्पताल पहुंचकर रेबीज वैक्सीन लगवाएं। डॉ। बीके सुमन, सीनियर फिजिशियन जिला अस्पताल