'भगवान' के दर पर मिलती है बीमारी
- बेतियाहाता में भी पब्लिक को पेशाब करने के लिए होती है परेशानी
- डॉक्टर्स के क्लीनिक और नर्सिग होम को लोग लेते हैं सहारा - क्लीनिक और हॉस्पिटल के अंदर तो है, लेकिन बाहर नहीं है कोई व्यवस्था GORAKHPUR: बेतियाहाता एरिया स्थित अस्पतालों में लोग जीवन पाने के लिए आते हैं। लेकिन शहर के जिम्मेदारों की नासमझी के कारण वे अपने साथ बीमारियां लेकर लौटते हैं। ज्यादातर मार्केट्स की तरह यहां भी पब्लिक टॉयलेट की समस्या मुंह बाए खड़ी है। बेहद व्यस्त इलाकों में से एक होने के बावजूद यहां यूरिनल की कोई व्यवस्था नहीं है। बेतियाहाता में डेली पचास हजार से अधिक मरीज और तीमारदार आते हैं। मरीजों के साथ आए कुछ तीमारदार तो अस्पतालों के टॉयलेट का यूज कर लेते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को मजबूरी में बाहर किसी दीवार या खुले नाले का सहारा लेना पड़ता है। डॉक्टर्स बनते हैं सहाराबेतियाहाता की पहचान पूरे मंडल में जिस तरह जीवन देने वाले डॉक्टर्स की है, वैसे ही इसे तमाम समस्याओं के लिए भी जाना जाता है। ट्रैफिक जाम तो फिर भी गनीमत है लेकिन मुख्य इलाका होने के बावजूद यहां भी कुछ बुनियादी चीजों की कमी है। ऐसी ही समस्या है यूरिनल की। अगर यहां के डॉक्टर्स अपने क्लीनिकों और नर्रि्सग होम्स में तीमारदारों को पेशाब करने के लिए जगह न दें तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। यहां डेली आने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोग तो अस्पतालों के टॉयलेट को यूज करते हैं, जबकि 40 प्रतिशत को रोड पर पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
मार्केट का नाम- बेतियाहाता मार्केट की खासियत- कई नामी डॉक्टर्स के क्लीनिक दुकानों की संख्या- 300 क्लीनिक और नर्सिग होम और 200 से अधिक दुकानें दुकानों पर कार्य करने वाले वर्कर की संख्या- 3000 कस्टमर की संख्या- 50000 कहां-कहां से आते हैं कस्टमर- गोरखपुर, बस्ती मंडल के साथ ही बिहार और नेपाल के लोग आते हैं इलाज कराने के लिए इन जगहों का करते हैं इस्तेमाल - अलहदादपुर से आने वाले नाले में - भगत सिंह चौराहा पर नगर निगम की दुकान के पीछे - पशु अस्पताल की ब्राउंड्री के पीछे - इलाहाबाद बैंक की ब्राउंड्री पर - जजेज कम्पाउंड वाले रास्ते में - इसके अलावा गली में स्थित क्लीनिक व अस्पताल की दीवार के सहारे