- पब्लिक के सहयोग के बाद भी अभी तक नहीं लिया पुलिस ने एक्शन

- बाइक के नंबर पर चल रही सिटी में तीन कार

- क्रिमिनल्स एक्टिविटी में शामिल हो सकती है कारें

GORAKHPUR: पुलिस को हमेशा यही शिकायत रहती है कि उसे पब्लिक का सहयोग नहींमिलता है। यही वजह है कि पुलिस की तरफ से समय-समय पर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जाते हैं। इस बार पब्लिक ने पुलिस को ऐसा इनपुट दिया कि उनकी सारी शिकायत दूर हो गई। उसने अपना काम तो कर दिया बस पुलिस की चाल अभी कछुए जैसी है। पब्लिक ने पुलिस को ऐसा एक इनपुट दिया जिसमें बाइक के नंबर पर एक नहीं बल्कि तीन कार गोरखपुर की सड़कों पर दौड़ रही हैं। तफ्तीश में पुलिस ने रिकार्ड भी खंगाला और पब्लिक सच साबित हुई। पब्लिक ने अपना काम कर दिया, अब गेंद पुलिस के पाले में है।

ऐसे खुला कार का राज?

ट्रैफिक मंथ के दौरान एसएसपी ने पब्लिक से मदद लेने के लिए 'सहयोग' स्कीम चालू की थी। इस स्कीम के तहत एक व्हाट्सअप नंबर जारी किया गया था। अपील की गई थी कि पब्लिक उस नंबर पर ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों की फोटो भेज सकती है। स्कीम लांच होने के साथ ही पुलिस डिपार्टमेंट को क्00 से ज्यादा ऐसी फोटो मिली। इसमें से ब्9 केस में ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने कार्रवाई भी की। ट्रैफिक डिपार्टमेंट और कंट्रोलरूम की संयुक्त टीम ने तीन अलग-अलग मामले निकाले। रिकार्ड में जब उन गाडि़यों के नंबर चेक किए गए तो पता चला कि वह नंबर बाइक के हैं और आरटीओ में बाइक के नंबर में रजिस्टर्ड हैं।

अब तक क्या हुई कार्रवाई?

पब्लिक ने अपनी जिम्मेदारी निभा दी। ट्रैफिक डिपार्टमेंट, कंट्रोलरूम और आरटीओ ने भी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभा दी, लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट पिछले एक सप्ताह से केवल जांच ही कर रहा है। जबकि पुलिस के पास गाडि़यों के मॉडल और कलर की फोटो भी हैं। एसपी सिटी सतेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि मामले की अभी जांच की जा रही है। जबकि सच यह है कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने जांच के बाद ही तीनों मामले पुलिस के हवाले किए थे। अब सवाल यह उठता है कि अब पुलिस के पास अब कौन सी जांच बची है जिसे वह कर रही हैं। पुलिस को फोटो के आधार पर गाडि़यों को पकड़ना था।

कहींबड़े अपराध का इंतजार तो नहीं?

सहयोग स्कीम के तहत एक बात साफ हो गई कि सिटी में तीन अलग-अलग कार है, जिन्हें फर्जी नंबर प्लेट से चलाया गया हैं। इसके बाद भी पुलिस शांत हैं। शायद पुलिस को किसी बड़े अपराध का इंतजार है? इस मामले में पुलिस के अफसर भी मानते हैं कि तीनों कारें या तो चोरी की है और उनमें फर्जी नंबर प्लेट लगाकर चलाया जा रहा है या फिर किसी बड़ी वारदात के लिए भी क्रिमिनल्स ऐसी गाडि़यों का यूज कर सकते हैं।

तो क्या सिर्फ नाम के लिए होती है चेकिंग

सिटी में तीन फर्जी नंबर की कार चल रही हैं। इससे साफ है कि पुलिस चेकिंग के नाम पर केवल खानापूर्ति करती है। पुलिस अपने गुडवर्क में यह दिखाती है कि उन्होंने चेकिंग के दौरान बदमाशों को लूट के बाद पकड़ा और लूट या फिर चोरी की बाइक बरामद की। उपरोक्त घटना से साफ है कि पुलिस चेकिंग के नाम पर कोरम पूरा करती है। जबकि कार या बड़ी गाडि़यों के केवल फिल्म या सीट बेल्ट तक चालान की कार्रवाई खानापूर्ति करती हैं। अगर कार के पेपर चेक करती तो शायद कई और बड़ी गाडि़यों से संबंधित अपराध का खुलासा हो सकता है।

वर्जन-

पब्लिक ने ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वाली करीब क्00 गाडि़यों की फोटो खींच कर 'सहयोग' को व्हाट्एप दिया था। जिसमें तीन कारों के नंबर ऐसी थी, जो बाइक के लिए रजिस्टर्ड हुए थे। इस मामले की जांच की जा रही है। आशंका है वे गाडि़यां चोरी की हैं।

सतेन्द्र कुमार सिंह, एसपी सिटी

कार में फर्जी नंबर के मामले में पुलिस रिकार्ड से संबंध में कोई हेल्प मांगती है तो आरटीओ डिपार्टमेंट जरूरी देगा। रजिस्टर बाइक नंबर की डिटेल उपलब्ध कराएगा ताकि पुलिस की इनवेस्टिगेशन कर सके।

एम। अंसारी, आरटीओ

Posted By: Inextlive