दामों में लगी आग, दाल खाना हुआ मुहाल
- आम आदमी की थाली से दूर होती जा रही दालें
- अचानक बढ़ गए दाल के दाम, साल भर में दोगुनी हो गई अरहरGORAKHPUR : महंगाई डायन से परेशान पब्लिक के लिए अब दाल खाना भी मुहाल हो गया है। एक हफ्ते पहले 110 रुपए किलो रही अरहर की दाल अब 130 रुपए प्रति किलो बिक रही है। सब्जियां पहले से ही महंगी चल रही हैं, ऐसे में दाल-रोटी खाना भी आम आदमी के लिए पहाड़ चढ़ने जैसा हो गया है। कॉमन मैन की थाली से दाल तो जैसे गायब ही हो गई है। एक तो सब्जियां महंगी, ऊपर से दाल की महंगाई ने थाली से न्यूट्रिशन को निकाल फेंका है। एक्सपर्ट्स की मानें तो मौसम की बेरुखी ने दालों के दाम में आग लगाई, लेकिन आकंड़े पैदावार बढ़ने की कहानी कहते हैं। नई फसल आने में अभी करीब दो महीने लगेंगे, तब तक पब्लिक को दाल से दूरी बनाकर रहने पर मजबूर होना पड़ेगा।
दालों के भाव प्रति किलो रुपए के हिसाब से दाल एक साल पहले एक सप्ताह पहले पहले फुटकर भाव (वर्तमान) अरहर 70-72 110-111 130-135 चना 36-38 50-51 55-60 मटर 30-31 34 35-36 मलका मसूर 75-80 100-102 105-110 नोट- दालों के दाम रुपए प्रति किलो में है। इस वजह से बढ़े दामबारिश के दौरान ओले पड़ने की वजह से फसल को काफी नुकसान हुआ था। यूपी में ही करीब 35 परसेंट खराब हो गई?थी। यही हाल कमोबेश अन्य राज्यों में भी देखने को मिला। इस वजह से सप्लाई पर असर पड़ा और दाम बढ़ने लगे।
आंकड़े तो कह रहे कुछ और ही कहानी डायरेक्टर ऑफ इकॉनमिक्स एंड स्टैटेस्टिक्स की मानें तो बीतें 3 सीजन में गोरखपुर में अरहर की पैदावार बढ़ी है। ऐसे में अरहर के दामों में कमी कालाबाजारी की ओर इशारा करती है। जबकि अन्य दालों की पैदावार में अपेक्षा के मुताबिक पैदावार न होने से उनकी किल्लत हुई है। Production of Pulses in recent years Gorakhpur Arhar Year Area Production 2011-12 3522 2879 0.82 2012-13 4121 2956 0.72 2013-14 3147 2922 0.93 Masoor 2011-12 1294 845 0.65 2012-13 1269 961 0.76 2013-14 1250 916 0.73 Gram 2011-12 472 510 1.08 2012-13 486 464 0.95 2013-14 981 643 0.66 Peas 2011-12 2142 2318 1.08 2012-13 2339 2431 1.04 2013-14 1480 861 0.58 दाल तो पहले से ही महंगी थी। अब और महंगी हो गई। प्याज और हरी सब्जियों के भी भाव भी बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में अब कुछ भी खरीदने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। मीरा, हाउसवाइफ बढ़ती हुई महंगाई ने खाने-पीने पर पाबंदी लगा रही है। प्रदेश और केंद्र की सरकारें महंगाई कम करने के मुद्दे पर ही चुनीं गई थीं, लेकिन उनको पब्लिक की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। बबीता, हाउसवाइफमांग अधिक और सप्लाई कम है, इस वजह से दालों का भाव बढ़ रहा है। अभी अरहर की दाल मध्य प्रदेश के कटनी, सतना और नागपुर से आ रही है। ओले पड़ने के कारण दाल की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था।
पवन सिंघानिया, दाल के थोक कारोबारी दाल का मूल्य बढ़ने की मुख्य वजह अरहर की कमी है। म्यांमार से आनी वाली दाल भी 14 सौ डॉलर प्रति कुंटल है। ऐसे में दो महीने बाद अरहर की नई फसल आने पर दाल की कमी पूरी होगी। इस वर्ष अरहर की फसल अच्छी नहीं हुई थी जिसकी वजह से बाजार में दाल की कमी है। भास्करन, दाल के थोक कारोबारी सब्जियों के भाव पहले से ही आसमान छू रहे हैं। एक सप्ताह पहले 110 रुपए किलो रही प्याज अब 130 रुपए किलो हो गई है। ऐसे में कम वेतन वाला व्यक्ति इसे कैसे खरीदेगा। बबलू राय, बिजनेसमैन महंगाई से परेशान पब्लिक के सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है। प्रदेश और केंद्र सरकार को इस पर अभी से ध्यान देना चाहिए जिससे लोगों को कम से कम दाल तो सस्ती मिल सके। सुधीर जैन, बिजनेसमैनमांग अधिक और सप्लाई कम होने कारण दालों के भाव बढ़े हैं। उत्तर प्रदेश में दाल की बुआई का रकबा तो घटा ही है, इस बार पैदावार भी काफी कम हुई है।
सुभाष यादव, मंडी सचिव दाल के अलावा मशरूम, सोयाबीन, सोयाबड़ी, राजमा, पनीर और लोबिया का दाना प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। प्रोटीन की एक अच्छी मात्रा शरीर के लिए जरूरी होती है। दाल के स्थान पर इनका यूज किया जा सकता है। डॉ। राजकिशोर सिंह, फिजीशियन