- स्वाइन फ्लू की दहशत से गोरखपुराइट्स परेशान

- रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर नहीं है निपटने के कोई इंतजाम

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : स्वाइन फ्लू, मौजूदा वक्त में एक ऐसा डर हो चुका है, जिसका नाम सुनते ही हर खास व आम की टेंशन बढ़ जा रही है। जरा सी खांसी या गले में प्रॉब्लम उनकी इस परेशानी को बढ़ा दे रही है। लोग फौरन ही डॉक्टर्स से कंसल्ट करने में लग जा रहे हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इससे छुटकारा कैसे पाया जाए। इससे निपटने का अगर कोई कारगर तरीका है, तो वह है प्रिकॉशन। अगर इस मामले में जरा सा भी लापरवाही बरती तो इसकी बीमारी जद में आना तय है। गोरखपुर में इस बीमारी को लाने का काम रेलवे स्टेशंस और बस स्टैंड के थ्रू हो रहा है, क्योंकि इन्हीं के जरिए एक बड़ा जन सैलाब गोरखपुर में एंटर करता है, लेकिन मुसाफिरों की स्क्रीनिंग के कोई आदेश अब तक नहीं दिए गए हैं।

स्क्रीनिंग के थ्रू ही टै्रक हो सकते हैं मरीज

गोरखपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के थ्रू सिटी में एंट्री पाने वाले पैसेंजर्स स्वाइन फ्लू के कैरियर हो सकते हैं। फिजिशियन डॉ। सुधांशु शंकर की मानें तो यह बीमारी इंफेक्शियस डिजीज है, इसलिए इसके फैलने का रिस्क भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ज्यादा है। इन्हें ट्रैक करने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि इसकी प्रॉपर स्क्रीनिंग की जाए। जिन फॉरेन कंट्रीज और डोमेस्टिक एरियाज में स्वाइन फ्लू फैला हुआ है, वहां से आने वाले पैसेंजर्स की मॉनीटरिंग और स्क्रीनिंग की जाए।

कहीं पर कोई इंतजाम नहीं

रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से सबसे ज्यादा पैसेंजर्स सिटी में एंट्री करते हैं, लेकिन सोर्सेज की मानें तो पैसेंजर्स को इससे बचाने के लिए रेलवे स्टेशन पर न तो कोई इंतजाम हैं और न ही बस स्टैंड पर। अगर कोई स्वाइन फ्लू का पेशेंट आता है, तो वह कई और लोगों को मुफ्त में स्वाइन फ्लू के वायरस बांट सकता है।

अगल-बगल वालों का भी रखें ध्यान

डॉ। सुधांशु ने बताया कि यह वायरस दो तरीकों से बॉडी में एंटर कर सकता है, एक मुंह और दूसरा नाक। इसलिए भीड़-भाड़ वाले इलाकों में छींकने और खांसने के दौरान आस-पास के लोगों में वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर्स की मानें तो खांसने और छींकने के दौरान मुंह पर कपड़ा रख लें, वहीं अगर आस-पास कोई हो तो उसे बचाएं। ं अगर छींक आई है और उसके कुछ पार्टिकिल्स आपके पास कपड़ों में लग जाती है, तो उसे फौरन ही साफ करने की कोशिश करें, क्योंकि इससे भी वायरस के बढ़ने और फैलने का खतरा है।

प्रिकॉशन के थ्रू ही स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है, जहां तक पॉसिबल हो सेफ्टी प्रिकॉशन अपनाएं। अगर शक है तो एंटी वायरल टेमीफ्लू और वैक्सीन दोनों ही मौजूद है, जिससे इससे बचा जा सकता है।

- डॉ। सुधांशु शंकर, फिजिशियन

Posted By: Inextlive