यहां चूहे, नेवले खा जाते हैं कान, आंख
- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस का हाल
- पुराने व जंग लगे उपकरणों से होती है लाशों की चीरफाड़ - एमसीआई के मानक से इतर पीएम हाउस GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज का पोस्टमार्टम हाउस बदहाल हो चुका है। यहां सफाई और लाशों के रख-रखाव की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। आलम यह है कि प्रतिदिन 8 से 10 लाशें आती हैं। ढंग से देखभाल न होने के कारण चूहे और नेवले फर्श पर पड़ी लावारिश लाशों के कान, नाक और आंख तक खा जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं लाशों की चीरफाड़ में इस्तेमाल होने वाले इक्पिवमेंट्स भी काफी पुराने और एमसीआई मानक से इतर हैं। मेडिकल कॉलेज में एमसीआई के दौरे के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पोस्टमार्टम हाउस की ओर नजर तक नहीं दौड़ा। फिलहाज यहां की व्यवस्था जैसे तैसे चलाई जा रही है।बाहर से मंगाते हैं सामान
पिछले दिनों आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पीएम हाउस में जो नजारा देखा वह हैरान करने वाला था। पोस्टमार्टम होने के लिए करीब आठ लाशें फर्श पर पड़ी थीं। पास में खड़े एक एंप्लाई ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह सिर्फ नाम का पोस्टमार्टम हाउस है। यहां मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जाती है। सड़ चुकी और बर्न लाशों की धुलाई के लिए फिनायल और ब्लीचिंग पाउडर तक नहीं मिलता है। फर्श की धुलाई के पानी तक का प्रबंध नहीं है। यहां तक कि किसी की मौत के बाद गम में डूबे परिजनों पर भी पीएम हाउस के कर्मचारी दया नहीं दिखाते। यह उन्हीं से कफन, ग्लव्स, सुई, ब्लेड, मोमबत्ती और सील करने के लिए सामान मंगवाते हैं।
उगी हुई हैं झाडि़यां पोस्टमार्टम हाउस के अगल-बगल में जंगल-झाडि़यां है। ऐसा लगता है कि इसकी कभी सफाई ही नहीं गई है। यहीं वजह है कि झाडि़यों से चूहे, नेवला अन्य जानवर पीएम हाउस में पहुंच कर लाशों को अपना भोजन बना रहे हैं। पीएम हाउस के एंप्लाई ने बताया कि यह पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले भी कई बार मामले उजागर हो चुका हैं। ठंड के मौसम में ही ऐसा होता है। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन मौन साधे हुए हैं। लाइटिंग भी ध्वस्तपोस्टमार्टम हाउस में लाइटिंग व्यवस्था भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। सिर्फ एक बल्ब के सहारे काम चलाया जाता है जबकि पीएम हाउस को रोशन युक्त होना चाहिए। यहां के हालात बदतर हो चुके हैं। अंधेरे में ही किसी तरह काम चलाऊ कार्य किए जाते हैं।
फर्श पर ही पोस्टमार्टम शवों के पोस्टमार्टम के लिए बाकायदा अत्याधुनिक उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके लिए अलग से ऑपरेशन मेज की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। लाश को बेरहमी से फर्श पर लिटाकर हैमर और छेनी के सहारे फाड़ दिया जाता है। डॉक्टर्स के मुआयने के बाद उसे सील कर परिवार वालों के हवाले कर दिया जाता है। डीपफ्रीजर हैं खराब लावारिश लाशों को रखने के लिए मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में दो डीपफ्रीजर लगाए गए है। इन में एक फ्रीजर में करीब दो से तीन लाशें रखी जाती हैं, लेकिन यह कई महीनों से खराब पड़ा है। शिकायत के बाद भी किसी जिम्मेदार ने इसकी मरम्मत कराने की जहमत तक नहीं उठाई। आज भी वह कबाड़ की तरह एक कोने में पड़ा है। सच बयां करते तीमारदारकुशीनगर एरियाज के रेलवे स्टेशन पर लावारिश हालत में 60 वर्षीय बुजुर्ग की लाश मिली। जीआरपी ने लाश को पोस्टमार्टम हाउस के लिए भेज दिया। इसके बाद इसकी जानकारी परिजनों को हुई। लाश की शिनाख्त व्यास मुनी त्रिपाठी निवासी महराजगंज एरिया के शिकारपुर के रूप हुई। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे परिजनों से पोस्टमार्टम के नाम पर पुलिस और एंप्लाइज 1500 रुपए की डिमांड की।
-संतोष त्रिपाठी, शिकारपुर, महराजगंज चिलुआताल के अमवामुंशी गांव में पति और पत्नी के डबल मर्डर हुआ था। पोस्टमार्टम के लिए हाउस में बॉडी आई थी। मंगलवार को 3 बजे का समय निर्धारित किया गया। परिवार के लोग मौके पर पहुंचे। वह बेटे और बहू के मौत पर उनकी आंखों से आंसू टपक रहे थे, लेकिन पोस्टमार्टम हाउस पर तैनात कर्मी पैसे की मांग की। 700 रुपये में सामान मंगाया गया। इंकार करने पर धमकी भी मिली। -राज, अमवामुंशी, चिलुआताल इन सामनों की पड़ती है जरूरत बोन कटर, कैंची, ब्लेड, निडल, लैंप, वजन नापने की मशीन, स्केल, धागा, एग्जाइमिनेशन काउच मेज, ऑपरेशन थिएटर की तरह लाइटिंग का उचित प्रबंध, पोस्टमार्टमहाउस फुल एसी लेकिन यहां हैं ये यहां तो सिर्फ जंग लगे उपकरण जंग लगे हैमर, छेनी, चाकू आदि वर्जन