Gorakhpur News : 'डीएम' पर डिजिटल ताला, खुद की ब्रांडिंग में लगे गोरखपुर के नेता-अफसर
गोरखपुर (ब्यूरो)।ट्विटर बुद्धजीवियों का प्लेटफॉर्म माना जाता है। यहां पर लगभग सभी नेता और अधिकारी एक्टिव रहते हैं। मौजूदा केंद्र और प्रदेश सरकार डिजिटल इंडिया पर काफी जोर दे रही है, ताकि हर आदमी अपनी आवाज को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से उठा सके। पर क्या आपको पता है कि आप अपने जनप्रतिनिधि या अधिकारियों को ट्विटर पर डायरेक्ट मैसेज ही नहीं कर सकते। जी हां, गोरखपुर में सांसद से लेकर विधायक और एडीजी से लेकर नगर आयुक्त सभी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर डायरेक्ट मैसेज का ऑप्शन बंद कर रखा है।
ट्विटर के सभी अकाउंट पर डायरेक्ट मैसेज का एक ऑप्शन रहता है। इसे चालू या बंद रखने की सुविधा यूजर को दी जाती है। अगर कोई जनप्रतिधि अपना डीएम बंद कर देता है और कोई व्यक्ति उन्हें पर्सनल मैसेज करना चाहता है तो वह नहीं कर सकता। उसे अपने ट्विट में उस जनप्रतिनिधि को मेंशन करना होगा। डीएम बंद करने का कारण
आमतौर पर नेता या अधिकारी अपना डीएम इसलिए बंद कर देते हैं, क्योंकि वहां पर काफी ज्यादा संख्या में लोग अपनी समस्या भेजना शुरू कर देते हैं। इससे परेशान होकर वे डायरेक्ट मैसेज का ऑप्शन बंद कर देते हैं। इस तरह उनका अकाउंट केवल एकतरफा संवाद और खुद की ब्रांडिंग के लिए रह जाता है। इन लोगों को नहीं कर सकते मैसेजसांसद रविकिशन, कमलेश पासवान, डॉ। राधामोहन दास अग्रवाल, विधायक विपिन सिंह, डॉ। विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ला, महेंद्र पाल सिंह, एमएलसी डॉ। धमेंद्र सिंह, एडीजी जोन गोरखपुर, डीएम गोरखपुर, नगर आयुक्त गोरखपुर, डीआईजी रेंज गोरखपुर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई। इन्होंने खोल रखा है डीएमई। सरवन निषाद, जीडीए वीसी महेंद्र सिंह तंवर, गोरखपुर पुलिस और नगर निगम गोरखपुर। जुड़ी है 10 लाख जनताडीएम बंद करने वाले नेताओं और अधिकारियों की बात करें तो इनके अकांउट से लगभग 10 लाख फॉलोअर्स जुड़े हैं। अगर आप अपनी किसी समस्या से इन लोगों को अवगत कराना चाहते हैं तो आपको आप या इन्हें पत्र लिखना होगा या फिर इनसे मिलना पड़ेगा।