साहब, यहां भी इंसान रहते हैं
- अनुशासन का डर, सब सहते पुलिसकर्मी
- पानी और सफाई की समस्या कर रही परेशान GORAKHPUR: पुलिस लाइन परेड ग्राउंड कॉलोनी निवासी पुलिस कर्मचारी भी इंसान हैं। उनका कसूर सिर्फ इतना है कि वह वर्दी पहनते हैं। उनकी जुबान पर विभागीय अनुशासन का ताला लगा है। इसलिए उनकी समस्याओं की सुधि कोई नहीं लेता। आरआई से लेकर एसएसपी तक बेपरवाह बने रहते हैं। दो दिनों से परेड ग्राउंड में पानी के लिए हाय-तौबा मची रही। शिकायत के बावजूद आरआई ने संज्ञान नहीं लिया। शुक्रवार की देर रात पुलिस कर्मचारियों के परिवारीजन गुस्से से उबले तो आश्वासन मिला। शनिवार को दोपहर बाद लोगों को बमुश्किल दो टैंकर पानी नसीब हो सका। बार-बार जल रहा पानी का मोटरपुलिस लाइन परेड ग्राउंड में करीब दो सौ आवास है। उन आवासों में पुलिस कर्मचारियों के परिवार के करीब आठ सौ सदस्य भी निवास करते हैं। कॉलोनी में वॉटर सप्लाई के लिए लगे ट्यूबवेल का मोटर बुधवार को जल गया। शिकायत करने पर उसकी मरम्मत कराई गई तो चंद घंटे के बाद दोबारा फुंक गया। गुरुवार और शुक्रवार को पूरे कॉलोनी में वॉटर सप्लाई नहीं हो सकी। इससे पुलिस कर्मचारी और उनके परिवारजन परेशान हो गए। शुक्रवार की देर रात लोगों ने पानी के लिए हो हल्ला शुरू किया। शनिवार की दोपहर कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए नगर निगम से टैंकर मंगाए गए। लोगों ने कहा कि मोटर की मरम्मत में लापरवाही होती है। इसलिए बार- बार जलता है।
गंदगी का है अंबार कॉलोनी में सिर्फ पानी की प्रॉब्लम नहीं होती। गंदगी का अंबार भी यहां की पहचान बन चुकी है। जाड़ा हो या गर्मी, हर मौसम में नालियों का पानी घरों के आसपास लगा रहता है। गंदगी और नालियों के बजबजाने से लोग परेशान रहते हैं। पुलिस कर्मचारी और उनके परिवार के लोग अनुशासनहीनता के डर से कोई आवाज नहीं उठा पाते हैं। लोगों ने बताया कि सफाई और पानी की सुविधा के बदले 640 रुपए हर माल वसूले जाते हैं। लेकिन सफाई का कोई इंतजाम नहीं होता। लोग चंदा जुटाकर साफ-सफाई कराते हैं। वर्ष 2010 में तत्कालीन डीआईजी असीम अरुण ने नई व्यवस्था बनाई थी। कूड़ा उठाने के लिए अलग से कर्मचारी तैनात किए। प्रत्येक परिवार से 50 रुपए वसूलकर दिए जाते थे। उनके तबादले के बाद व्यवस्था खत्म हो गई।