कहींघर का भेदी ही तो चोर नहीं
-बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 7 लाख रुपए की दवाओं की चोरी का मामला
-घटना के 12 दिन भी पुलिस पीट रही लकीरGORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दवाइयों की चोरी का मामला पूरी सिटी में चर्चा का विषय है। क्ख् दिन बीत जाने के बाद भी दवाई चोर पुलिस की पकड़ से दूर हैं। चोरी की घटना पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। जिस तरह सिर्फ महंगी दवाओं की चोरी हुई और अभी तक किसी का न पकड़ा जाना यह इस बात की ओर इशारा करता है कि कहींन कहींयह चोरी की घटना संदिग्ध है। सूत्रों की मानें तो घटना के दो दिन बाद पुलिस ने इस मामले में चीफ फार्मासिस्ट श्रीराम यादव व फार्मासिस्ट हरीश चंद्र और मनोज से गहनता से पूछताछ की थी। फिर भी सच्चाई अभी तक सामने नहींआ सकी है। इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन भी कुछ कर्मचारियों को संदिग्ध मान रही और उनकी जांच कर रही है। इतनी सब कवायदों के बाद भी नतीजा अभी तक सिफर है। पूरे मामले पर आई नेक्स्ट ने पिछले पांच दिनों तक तहकीकात की। तहकीकात में निकला कि क्ख् दिन बाद भी चोरों का न पकड़ा जाना पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठाता है। कई ऐसे सवाल है जिसका जवाब अभी तक नहींमिला है। साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता है कि कहीं खड़की तोड़कर मामले को उलझाने या भटकाने की कोशिश तो नहींकी गई?
ऐसे हुई साल लाख रुपए की दवाओं की चोरी मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय में पुराना इमरजेंसी बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर सेंटर ड्रग स्टोर है। दो कमरों में चलने वाले इस ड्रग सेंटर में ख्9 जनवरी की रात चोरों ने धावा बोला। जिस कमरे से दवा की चोरी हुई उस कमरे में दरवाजे के सामने फ् गुना भ् की खिड़की है। जिस दीवार खिड़की है उस पर ऐसा कोई साधन है जिसका सहारा लेकर चोर तीसरी मंजिल तक जा सके। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दावा है कि चोरों ने दवाइयों का बैग उसी खिड़की से फेंका था। जो दवाएं चोरी की गई वह बहुत कीमत और महत्वपूर्ण थी। चोरी की गई दवाओं में आई ड्रॉप (आंख की दवा), डैटी फ्लाक्सासीन, अस्थालीन रोटा कैप (सांस फूलने की दवा), अस्थालीन रेसपुल्स (दमे की दवा) समेत कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल थी। दवाओं की कीमत करीब साल लाख रुपए बताई जा रही है। आई नेक्स्ट की तहकीकात में निकले ये तथ्य-चोर दवाओं का अच्छा जानकार था, तभी तो दमे महत्वपूण दवाओं को ले गया। इससे इस तथ्य को भी मजबूती मिलती है कि चोर कहींन कहींघर का ही था।
-इतनी बड़ी चोरी बिना कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव ही नहींहै। -जब चोरी हो रही थी तो क्या उस समय वहां कोई सुरक्षा गार्ड नहींथा, यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि चोरी को काफी दिनों पहले प्लान किया गया था। - इतनी मात्रा में दवाइयों को ले जाते क्या किसी ने भी चोर को नहींदेखा, क्या ऐसा संभव है? -जिस खिड़की को तोड़ कर चोरी की गई थी, उसके पास से चाकू और सरिया भी मिला था। वहां पर दवाएं बिखरी मिली थी। कहींऐसा तो नहींकि दवाएं दरवाजे ले जाई गई हों और कहीं खिड़की तोड़कर मामले को उलझाने या भटकाने की कोशिश गई हो। घटना के समय कहां थे गार्ड बीआरडी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा के लिए सैनिक कल्याण निगम के फ्ख् सुरक्षा गार्ड हैं। इसमें से भ् गार्ड रिजर्व में है। इन गार्डो की आठ-आठ घंटे की डयूटी होती है। मेन गेट, प्रिंसिपल ऑफिस, ट्रामा सेंटर, इंसेफेलाइटिस वार्ड, न्यू वार्ड, इंदिरा, राजेंद्र, सरोजनी हॉस्टल के पास डयूटी करते हैं। इसके अलावा लेबर रूम की सुरक्षा के लिए चार महिला गार्ड भी तैनात है। अब सवाल पैदा होता है कि चोरी की रात गार्ड कहां थे?पहले भी सामने आए हैं कई मामले
-एक सितंबर ख्0क्ब् एक्सपायर्ड दवा पकड़ी गई। -ख्म् सितंबर को स्टोर से ख् लाख भ्0 हजार रुपए के जांच किट की चोरी। -ख् फरवरी को गाइनी वार्ड के लेबर रूम से दवा चोरी करते पकड़ा गया कर्मचारी। -फ् फरवरी को पेशेंट के फैमिली मेंबर्स ने जूनियर डाक्टर पर डॉक्टर पर दवाइयों की चोरी का आरोप लगाया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से बनी टीम जांच में लगी है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। डा.रामयश यादव, एसआईसी मेडिकल कॉलेज दवाइयों की चोरी के मामले में जांच पड़ताल चल रही है। इस संबंध में कई लोगों से भी पूछताछ की गई। मामला जल्द ही खुल जाएगा। अजय कुमार ओझा, एसओ, गुलरिहा