दोस्त अंजान.. फिर भी ब्लड डोनेट कर बचाई जान
- ब्लड देकर पुलिस कांस्टेबल निभा रहे फ्रेंडशिप, सूचना पर सबके दुखदर्द में बन रहे भागीदार
- इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे स्पेशल लोगो के साथ GORAKHPUR: स्नेह और अपनेपन का छोटा सा शब्द है फ्रेंडशिप। आधी रात जब कोई सुनने वाला नहीं होता तो आपका बेस्ट फ्रेंड आपकी प्रॉब्लम सुनता है और उसके सॉल्युशन के लिए लग जाता है, फिर चाहे वो सात समंदर पार ही क्यों न हो। पर गोरखपुर में तस्वीर कुछ और है। यहां अंजान लोगों से भी फ्रेंडशिप निभाई जा रही है। फ्रेंडशिप निभाने वाले कोई और नहीं बल्कि पुलिस मित्र हैं, जिन्होंने मुश्किल वक्त में अंजान लोगों को ब्लड डोनेट कर सबसे प्यारी दोस्ती निभाई। एडीजी अखिल कुमार का कहना है कि पुलिस कर्मचारियों के इस काम से लोगों को प्रेरणा मिलती है। शिवाबुंज को कमान, मुकेश कोआर्डिनेटरजिले में तैनात पुलिस कर्मचारियों में शामिल शिवाबुंज पटेल और एडीजी ऑफिस के कर्मचारी मुकेश सिंह लोगों की मदद के लिए दिनरात खड़े रहते हैं। मुकेश का कहना है कि वर्ष 2010 में उनके पिता दिनेश सिंह की तबीयत खराब होने पर बीएचयू ले जाया गया था। तब वहां पर अचानक ब्लड की जरूरत पड़ गई। उस समय साथ गए लोगों ने भी मदद से मना कर दिया। ब्लड की आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने खुद ब्लड दिया। इसके बाद ही मुकेश ने फैसला कर लिया कि वह कभी किसी को खून का अभाव नहीं होने देंगे।
2011 से कर रहे रक्तदान वर्ष 2011 में पुलिस कांस्टेबल में भर्ती होने पर के बाद से वह स्वत रक्तदान करने लगे। तीन चार साल पूर्व वह ग्रुप से जुड़ गए। गोरखपुर में तैनाती के दौरान डॉयल 112 में पोस्टिंग शिवाबुंज पटेल से जान पहचान हुई। तभी से एक टीम बन गई, जिसके जरिए रोजाना लोगों की मदद हो रही है। कोविड की पहली और दूसरी लहर में शिवाबुंज की प्रेरणा से करीब 45 अंजान लोगों को ब्लड देकर जान बचाई। ब्लड डोनेशन में मददगार पुलिस मित्र एसआई अनूप कुमार तिवारी एसआई धीरेंद्र प्रताप सिंह महिला कांस्टेबल अंकिता सिंह उर्दू अनुवादक सुहेल परवेज कांस्टेबल सुनील यादव कांस्टेबल अविनाश राय कांस्टेबल मुकेश कुमार सिंह कांस्टेबल राहुल कांस्टेबल अविनाश राय कांस्टेबल भीम पटेल कांस्टेबल यशपाल यादव हम लोगों को किसी के बारे में सूचना मिलती है तो तत्काल इसे ग्रुप पर अपडेट करते हैं। इसके बाद हमारे टीम मेंबर संबंधित मरीज को ब्लड देने के लिए पहुंचते हैं। हर महीने हम लोग 30 से 35 मरीजों की मदद कर रहे हैं।शिवाबुंज पटेल, कांस्टेबल डॉयल 112, गोरखपुर
मेरे सामने एक बार मुश्किल आई थी। तब मेरे पिता जी के लिए ब्लड की जरूरत पड़ी, लेकिन उस समय साथ गए लोगों ने कोई मदद नहीं की। इसके बाद ही मैंने फैसला लिया कि मैं जिंदगी भर लोगों से खून वाली दोस्ती निभाऊंगा। - मुकेश सिंह, कांस्टेबल एडीजी जोन ऑफिस, गोरखपुर