यहां तो पुलिस है फेल
- निरोधात्मक कार्रवाई में पुलिस बीते साल रही विफल
- एनडीपीएस एक्ट में गोरखपुर को ग्राफ गिरा GORAKHPUR: जिले में मादक पदार्थ की खरीद-फरोख्त बढ़ती जा रही है। पुलिस इनकी रोकथाम के लिए पूरी तरह से फेल होती नजर आ रही है। इस का नतीजा है कि निरोधात्मक कार्रवाई के श्रेणी एनडीपीएस एक्ट के मामले में बीते साल गोरखपुर पुलिस के लिए काफी निराशा पूर्ण साबित हुआ। साल 2015 में एनडीपीएस एक्ट मामलों का खुलासा करने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। वहीं ऐसे मामलों की इनवेस्टिगेशन में पुलिस का ग्राफ भी काफी नीचे आ गया है। नहीं टूटा बीते साल का रिकार्डगौरतलब है कि पिछले साल 2014 के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस पुलिस ने ऐसे 83 मामलों में कार्रवाई की थी, जबकि इस बार पुलिस पुराने रिकॉर्ड की बराबरी करने में भी नाकाम साबित हुई है। साल 2015 में एनडीपीएस एक्ट के तहत पुलिस ने कुल 47 मामलों का खुलासा किया है, जो पिछली बार के मुकाबले 36 कम है। ऐसा नहीं है कि जिले में मादक पदार्थो की खरीद फरोख्त कम हो गई है, बल्कि जानकारों की मानें तो पुलिस ऐसे मामलों में कार्रवाई से हिचक रही हैं। लिहाजा कच्ची शराब से लेकर गांजा, चरस, अफीम, स्मैक का धंधा महानगर सहित आस-पास के इलाकों में जोरों से फल-फूल रहा है।
नशे की लत कर रही बर्बाद महानगर में नशे का धंधा जोरों पर चल रहा है। इस जानलेवा लत की चपेट में आकर मासूमों का बचपन बर्बाद हो रहा है। नशे के सौदागर कच्ची उम्र में उन्हें नशे की जद में ले आ रहे हैं। पुलिसिया कार्रवाई इतनी सुस्त है कि दिन ब दिन ऐसे मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। आलम यह है कि कबाड़ बिनने वालों से लेकर रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले बच्चे भी इसके जबरदस्त आदी हो चुके हैं। कई बार इस तरह के धंधेबाजों को पुलिस ने गिरफ्त में लिया है, लेकिन अब तक उनपर लगाम नहीं लग सकी है। सूत्रों की मानें तो अभी भी शाहपुर एरिया, टीपीनगर, गोपलापुर में इस तरह के कारोबारी चोरी-छिपे धंधा करने में लगे हुए हैं। गुडवर्क में भी पीछे रह गई पुलिसपुलिस की हमेशा ही कोशिश रहती है कि वह ज्यादा से ज्यादा घटनाओं का खुलासा करे और अपनी गुड वर्क की फेहरिस्त को और लंबा करें। मगर चंद लालची पुलिसकर्मियों की वजह से पूरे महकमे का ग्राफी दिन ब दिन नीचे आता जा रहा है। किसी घटना का खुलासा या पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई गुडवर्क की श्रेणी में आते हैं। बावजूद इसके यह ग्राफ बीते साल 83 से गिरकर 47 पर आ गया। लिहाजा अब ऐसे मामलों में पुलिस कोताही कर रही है।
अबकारी का भी रिकॉर्ड खराब एक तरफ जहां एनडीपीएस एक्ट के तहत पुलिस मुजरिमों पर लगाम कसने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है, वहीं अबकारी में भी इनका आंकड़ा खराब हो गया है। साल 2014 में पुलिस ने अबकारी के 1662 मामलों में कार्रवाई की थी, इस दौरान कई बड़ी शातिर कारोबारियों का सलाखों के पीछे भेजा गया था, मगर इस बार पुलिस ऐसा कुछ भी करने में नाकाम साबित हुई है। साल 2015 में पुलिस ने कुल 1249 मामलों में ही कामयाबी हासिल की है। साल 2015 में की गई निरोधात्मक कार्रवाई 2015 2014 एनडीपीएस 47 83 आबकारी 1249 1662